बिहार मंत्रिमंडल बदलाव: क्या नीतीश कुमार एक बार फिर सहयोगी राजद को चौकाएंगे?

Bihar cabinet change: Will Nitish Kumar surprise ally RJD once again?
(File Photo/Twitter)

चिरौरी न्यूज

नई दिल्ली: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के शनिवार को राष्ट्रीय जनता दल (राजद) कोटे के तीन मंत्रियों के विभागों में फेरबदल के फैसले ने एक बार फिर मुख्यमंत्री और राजद सुप्रीमो लालू यादव के बीच स्पष्ट दरार की चर्चा को तेज कर दिया है।

22 जनवरी को अयोध्या में नवनिर्मित राम मंदिर के उद्घाटन से ठीक पहले नीतीश ने राजद कोटे के मंत्रियों के विभागों में फेरबदल किया।

फेरबदल का मुख्य आकर्षण शिक्षा विभाग है, जहां विवादास्पद बयानों के लिए जाने जाने वाले मंत्री चंद्रशेखर को हटा दिया गया है और गन्ना उद्योग विभाग का प्रभार दिया गया है। भूमि सुधार एवं राजस्व मंत्री आलोक मेहता को अब शिक्षा मंत्री बनाया गया है।

ललित यादव को भूमि सुधार एवं राजस्व मंत्री बनाया गया है। अभी तक ललित यादव लोक स्वास्थ्य एवं अभियंत्रण विभाग के मंत्री थे। गौरतलब है कि पिछले साल भर रामचरित्र मानस, हिंदुत्व और धार्मिक मामलों को लेकर अपने बयानों को लेकर चन्द्रशेखर विवादों में रहे हैं।

चन्द्रशेखर को सभी महत्वपूर्ण शिक्षा विभाग से हटाकर गन्ना उद्योग में स्थानांतरित किया जाना इस बात का संकेत था कि नीतीश कुमार ने उन्हें अपने आकार में कटौती करने की कोशिश की है और राजद को एक स्पष्ट संदेश भेजा है कि आने वाले दिनों में सरकार में बदलाव संभव है। आना।

सूत्रों के मुताबिक, यादव समुदाय से आने वाले चन्द्रशेखर का लालू प्रसाद से अच्छा तालमेल रहता है। ऐसे में जब नीतीश कुमार ने चन्द्रशेखर से शिक्षा जैसा अहम विभाग छीनकर उन्हें गन्ना उद्योग विभाग दे दिया तो साफ है कि बिहार के मुख्यमंत्री ने महागठबंधन से संभावित अलगाव की दिशा में पहला कदम बढ़ा दिया है।

पिछले साल जनवरी में चन्द्रशेखर ने रामचरित्र मानस को लेकर विवादित बयान दिया था और इसकी कुछ चौपाइयों का हवाला देते हुए कहा था कि यह पवित्र ग्रंथ नफरत फैलाता है और मनुस्मृति को जलाने की बात कही थी. बाद में सितंबर में चन्द्रशेखर ने एक बार फिर रामचरित्र मानस को लेकर विवादित टिप्पणी की और इसकी तुलना पोटैशियम साइनाइड से कर दी.

इसके बाद खुद नीतीश कुमार ने मंत्री को ऐसे बयानों से परहेज करने की हिदायत दी थी, लेकिन इसके बावजूद भी चंद्रशेखर धार्मिक मुद्दों और हिंदुत्व पर विवादित टिप्पणियां करते रहे।

लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या नीतीश कुमार ने राजद कोटे के तीन मंत्रियों के विभाग बदलकर यह स्पष्ट संदेश देने की कोशिश की है कि महागठबंधन सरकार में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है।

हाल ही में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी नीतीश कुमार के प्रति अपने रुख में नरमी दिखाई है। कुछ दिन पहले नीतीश कुमार के दोबारा बीजेपी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) में शामिल होने की अटकलों को लेकर राजस्थान के एक अखबार को दिए इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि अगर उनके पास कोई प्रस्ताव आएगा तो वह उस पर विचार करेंगे।

अमित शाह की टिप्पणी के बाद नीतीश कुमार की पार्टी ने भी अपने रुख में नरमी दिखाई और कहा कि शाह ने कभी नहीं कहा कि जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के लिए दरवाजे बंद हो गए हैं।

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