हिमा की चोट कितनी गहरी? भारतीय एथलेटिक का दर्द किसने देखा….??
राजेंद्र सजवान
पूर्व खेल मंत्री सर्वानंद सोनोवाल ने खेल मंत्री रहते भले ही कोई उल्लेखनीय काम नहीं किया लेकिन असम के मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने खेल हित में एक बड़ा काम यह किया कि प्रदेश और देश की चैंपियन एथलीट हिमा दास को सीधे डीएसपी बना दिया। महिला स्वाभिमान और खिलाड़ियों को बढ़ावा देने की दिशा में उन्होंने अभूतपूर्व कदम उठाया और खूब वाह वाह लूटी।
तारीफ की बात यह है कि उच्च पद पाने तक हिमा ने एशियाड, कामनवेल्थ या ओलंपिक में कोई बड़ा तीर नहीं चलाया था। हां, भारतीय एथलेटिक के कर्णधार और कुछ मीडियाकर्मी उसमें 200 और 400 मीटर की ओलंपिक चैंपियन जरूर देखने लगे थे।
लेकिन हिमा दास का ओलंपिक स्वर्ण जीतने का सपना टूट गया लगता है। नेशनल इंटर स्टेट चैंपियन शिप में चोटिल होने के कारण वह अब टोक्यो नहीं जा पाएगी। इसी दौड में ओलंपिक पदक की उम्मीद बताई जा रही दुति चंद भी कसौटी पर खरी नहीं उतर पाई।
पिछले कुछ सालों से हिमा और दुति ओलंपिक पदक के दावेदारों में शामिल रही हैं और लगातार सुर्खियां चुराती रही हैं। शुरूआती सालों में हिमा को दो सौ और चार सौ मीटर की दौड़ों की बेजोड़ एथलीट बताया गया। उसे बाकायदा ‘ढींग(उसके गांव का नाम) एक्सप्रेस’ भी कहा जाने लगा।
लेकिन अब हमारी यह एक्सप्रेस चोट के चलते टोक्यो की यात्रा नहीं कर पाई तो भारत के लिए कौन पहला ओलंपिक पदक जीतेगा? दुति चंद भी अब शायद ओलंपिक पदक बिना ही रिटायर हो सकती हैं। 2024 के अगले ओलंपिक तक फार्म बनाए रखना दोनों के लिए कठिन होगा। वैसे दोनों एक ही नाव पर सवार हैं, फिर भले ही एक दूसरे की प्रतिद्वंद्वी क्यों न हों।
हैरानी वाली बात यह है कि एशियाई खेलों की रजत पदक विजेता और जूनियर विश्व चैंपियन हिमा दास लगातार नीचे सरक रही है। वह 400 से 200 मीटर में उतरी और अब 100 मीटर में दौड़ रही है, जिस कारण से उसका दुति चंद से विवाद भी हुआ।
2019 में उसने यूरोप में पांच स्वर्ण पदक जीत कर तहलका मचा दिया था। उसे पीटी उषा के बाद दूसरी उड़न परी, गोल्डन गर्ल और ना जाने कैसे कैसे खिताब दिए गए। लेकिन आज हालत यह है कि खराब प्रदर्शन के चलते चोट को कारण बनाया जा रहा है। कुछ एथलेटिक जानकार कह रहे हैं कि वह बहुत जल्दी बस भी कर सकती है।
घूम फिर कर भारत की उम्मीद जेवलिन थ्रोवर नीरज चोपड़ा पर टिक जाती है। हालांकि नीरज एक दमदार एथलीट है लेकिन उसकी स्पर्धा में पदक जीतना हंसी खेल कदापि नहीं है। नीरज का बेस्ट 88 मीटर से ऊपर है लेकिन लगभग तीन चार थ्रोअर उससे बेहतर स्थिति में हैं। कुछ एक तो 90 पार कर रहे हैं। ऐसे में किसी की खराब फार्म या बदकिस्मती ही नीरज को पदक दिला सकती है।
देखना यह होगा कि ओलंपिक का टिकट पाने वाले कितने एथलीट कसौटी पर खरे उतर पाते हैं और कितने मिल्खा और उषा जैसा प्रदर्शन कर पाते हैं। लेकिन हिमा और दुति ने देशवासियों को ओलंपिक से पहले ही निराश कर दिया है। उन्हें जरूरत से ज्यादा सिर चढ़ाना भारी पड़ा है।
(लेखक वरिष्ठ खेल पत्रकार हैं.)