कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय और आईईपीएफए ने ‘ईज ऑफ लिविंग’ और ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ को बनाया सरल

Ministry of Corporate Affairs and IEPFA simplify 'Ease of Living' and 'Ease of Doing Business'चिरौरी न्यूज़

नई दिल्ली: भारत सरकार के ‘ईज ऑफ लिविंग’ और ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ के मिशन और विजन की दिशा में एक प्रमुख कदम उठाते हुए कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय ने (एमसीए) ने निवेशक शिक्षा एवं संरक्षण निधि प्राधिकरण (लेखा, लेखा परीक्षा, स्थानांतरण और रिफंड) नियमावली, 2016 के तहत विभिन्न जरूरतों को युक्तिपूर्ण बनाकर दावा निपटान प्रक्रिया को और अधिक सरल बनाया है।

दावादारों के लिए अग्रिम रसीद की आवश्यकता को समाप्‍त कर दिया गया है। वस्‍तुगत और डिमेट शेयरों के लिए उत्तराधिकार प्रमाण पत्र/ वसीयत के मूल लेख/ वसीयत की जरूरत में 5,00,000 रुपये (पांच लाख) तक छूट दी गई है, दस्तावेजों के नोटरीकरण के स्‍थान पर स्वयं सत्यापन कर दिया गया है और शपथ पत्र और जमानत की जरूरतों को अपेक्षाकृत रूप से आसान बना दिया गया है।

कंपनियों के लिए दावा न किए गए उचिन्‍त (सस्पेंस) खाते से संबंधित दस्तावेज को संलग्न करने की जरूरत को सरल बना दिया गया है और कंपनियों को अपनी आंतरिक अनुमोदित प्रक्रियाओं के अनुसार ट्रांसमिशन दस्‍तावेज यानी उत्तराधिकार, प्रमाण पत्र, वसीयत आदि के मूल लेख/ वसीयत को स्‍वीकार करने में छूट दी गई है और वस्‍तुगत शेयर प्रमाणपत्र के नुकसान के लिए समाचार पत्र में विज्ञापन देने की अनिवार्यता में 5,00,000 रुपये तक की राशि की छूट दी गई है।

इस परिवर्तन के द्वारा दावादारों के लिए प्रक्रिया को आसान और तेज बनाने पर ध्‍यान केन्द्रित किया गया है। नई व्यवस्था में तेजी से नागरिक केन्द्रित सेवाएं और काम में लगने वाले समय में तेजी लाने के लिए विश्वास-आधारित मॉडल की परिकल्पना की गई है। अब यह उम्मीद की जाती है कि इन परिवर्तनों से अनेक दावेदार निवेशक शिक्षा और संरक्षण निधि प्राधिकरण (आईईपीएफए) से अपने शेयरों और राशियों का दावा करने के लिए आगे आएंगे। अब तक आईईपीएफए ने 20,000 से अधिक दावों को मंजूरी दी है और 1.29 करोड़ से अधिक शेयरों की राशि रिफंड की है। 1,011 करोड़ रुपये से अधिक बाजार मूल्य के शेयर और लाभांश तथा 20 करोड़ रुपये से अधिक अन्‍य राशि रिफंड की गई है।

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