भारत में IgG लैब-आधारित एंटीबॉडी टेस्ट के एक मिलियन से अधिक टेस्ट की आपूर्ति करेगा एबॅट
नई दिल्ली।एबॅट ने आज घोषणा की कि उसने एंटीबॉडी IgG (इम्युनोग्लोबुलिन जी) का पता लगाने के लिए अपने प्रयोगशाला-आधारित सीरोलॉजी ब्लड टेस्ट की आपूर्ति शुरू कर दी है। इससे यह पता चलता है कि क्या कोई व्यक्ति कोरोनावायरस (कोविड-19) से ग्रस्त है। गौरतलब है कि एबॅट में भारत को लाखों टेस्ट प्रदान करने की क्षमता है और यह पहले से ही महाराष्ट्र, दिल्ली, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और गुजरात के प्रमुख सरकारी और निजी अस्पतालों और प्रयोगशालाओं में एंटीबॉडी टेस्ट का वितरण करने की प्रक्रिया में है।
भारत में एबॅट के डायग्नोस्टिक्स बिजनेस के जनरल मैनेजर और कंट्री हेड नरेंद्र वरडे कहते हैं, “एबॅट IgG CLIA एंटीबॉडी टेस्ट का उपयोग करने के लिए ICMR की कोविड -19 एंटीबॉडी परीक्षण रणनीति में योगदान करके बेहद खुश है। एबॅट ने हाल ही में लॉन्च किए गए SARS-CoV-2 IgG टेस्ट का उपयोग उच्च जोखिम वाले आबादी जैसे स्वास्थ्य सेवा कर्मचारियों, कमजोर इम्युनिटी वाले लोग, अग्रिम पंक्ति में कार्य करने वाले लोगों या संक्रमित क्षेत्रों में रहने वाले लोगों में संक्रमण के प्रसार को समझने में किया जा सकता है। ये टेस्ट सार्वजनिक स्वास्थ्य अधिकारियों को संक्रमण से फैलने वाले मामलों के प्रसार के बारे में बहुमूल्य जानकारी प्रदान करते हैं। यह जानकारियां हमारे सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रयासों के प्रभाव का आकलन करने और कोविड-19 को लेकर हमारी प्रतिक्रिया को मार्गदर्शित करने में मददगार साबित होती हैं।”
मुंबई का हिंदुजा अस्पताल भारत में टेस्ट का मूल्यांकन करने वाले पहले अस्पतालों में से एक था। डॉ. टेस्टर एफ. आशा वैद, चीफ-लैब्स (एडमिन), डायरेक्टर लैब रिसर्च, हिंदुजा हॉस्पिटल एंड मेडिकल रिसर्च सेंटर, मुंबई कहती हैं, “यह टेस्ट चिकित्सकों और समुदाय के लिए उपयोगी है । हमारे प्रारंभिक टेस्ट से मरीजों को विशिष्ट परिणाम मिले हैं, जो कोविड-19 के लिए RT-PCR पॉजिटिव थे। ”
डॉ. जयंती शास्त्री, प्रोफेसर एवं हेड, माइक्रोबायोलॉजी,कस्तूरबा हॉस्पिटल फॉर इंफेक्शियस डिजीजेज, मुंबई कहते हैं, “मुंबई जैसे शहर के लिए, समुदाय में जनसंख्या के जोखिम के स्तर का आकलन करना महत्वपूर्ण है। यह नियंत्रण वार्ड के हिसाब से हो सकता है और कंटेनमेंट रणनीतियों का दोबारा आकलन करने पर अथॉरिटीज का मार्गदर्शन करता है। इस टेस्ट की उच्च जोखिम वाली आबादी जैसे कि अग्रिम पंक्ति में कार्य करने वाले कर्मचारी और हेल्थकेयर कर्मचारियों में ज्यादा प्रासंगिकता है, जहां प्राप्त परिणाम हमें कोविड-19 की संक्रामकता को समझने में मदद करेंगे।”
कोलकाता के अपोलो ग्लेनईगल्स हॉस्पिटल्स की कंसल्टेंट माइक्रोबायोलॉजिस्ट डॉ. उज्ज्वयिनी रे, एमडी (एम्स) कहती हैं, “हमने पाया है कि जिन मरीजों को चिकित्सकीय रूप से ठीक किया गया है या जो रिकवरी की राह पर हैं, उन्होंने कोविड-19 के खिलाफ IgG एंटीबॉडी के महत्वपूर्ण स्तर विकसित किए हैं। IgG एसे को अस्पताल में भर्ती कोविड-19 रोगियों की डिस्चार्ज नीति में शामिल किया जा सकता है। ”
एबॅट का SARS-CoV-2 IgG टेस्ट खासकर IgG एंटीबॉडी की पहचान करता है। यह एक प्रोटीन है जो शरीर में संक्रमण होने के बाद की स्थितियों में उत्पन्न होता है। यह व्यक्ति के संक्रमण से रिकवर हो जाने के बाद महीनों और शायद वर्षों तक शरीर में बना रह सकता है। टेस्ट का उपयोग ARCHITECT® i1000SR और i2000SR प्रयोगशाला उपकरणों ** में किया जाता है, जिन्हें पूरे भारत में अस्पतालों या प्रयोगशालाओं में लगाया गया है और ये महामारी के दौरान एंटीबॉडी टेस्ट की विश्वसनीयता को ध्यान में रखते हुए प्रति घंटे 100-200 टेस्ट तक कर सकते हैं। स्वतंत्र शोधकर्ताओं ने ** उन रोगियों के टेस्ट में 99.9% विशिष्टता और 100% संवेदनशीलता पाई है, जिनका टेस्ट लक्षणों के शुरू होने के 17 दिनों या उसके बाद किया गया था।
एबॅट ने खासकर IgG एंटीबॉडी का पता लगाने के लिए अपने टेस्ट को डिजाइन किया है। यह एंटीबॉडीज के संयोजन को देखने के बजाय संक्रमण से रिकवरी निर्धारित करने में डॉक्टरों की ज्यादाबेहतर ढंग से मदद कर सकता है। एबॅट एक IgM एंटीबॉडी टेस्ट भी विकसित कर रहा है।