भारत के महान साहित्यकार रवीन्द्र नाथ टैगोर की पुण्य तिथि पर जानें कुछ ख़ास..
शिवानी रज़वारिया
भारत की धरती पर जन्मे महान रचनाकार रवीन्द्र नाथ टैगोर की 79वीं पुण्यतिथि पर उनको शत शत नमन!
भारत अपनी साहित्य रचनाओं को लेकर जाना जाता रहा है और उन साहित्य रचनाओं के रचनाकारों का सदा ऋणी रहेगा जिनकी प्रतिभाओं से दूर-दूर तक भारत का नाम जाना जाता है। बहुआयामी प्रतिभा से सुशोभित शख्सियत रवीन्द्र नाथ टैगोर, जिन्हें गुरुदेव के नाम से भी जाना जाता है, 7 अगस्त 1941 को इस दुनिया से विदा ले ली। पर कहते हैं इंसान पहले ही मर जाए पर उसकी रचनाएं उसकी प्रतिभा हमेशा अमर रहती है। और आज भी रविंद्र नाथ टैगोर द्वारा दी गई धरोहर अमर है। इसे लोग आज भी याद करते हैं और जिंदगी में शामिल करते है। भारत को अपना राष्ट्रगान देने वाले रवीन्द्र नाथ टैगोर भारत के पहले व्यक्ति थे जिन्होंने साहित्य में नोबेल पुरस्कार मिला था।
किसी एक प्रतिभा से नहीं अपितु टैगोर बहुआयामी प्रतिभाओं के मालिक थे। टैगोर ने कविता, साहित्य, दर्शन, नाटक, संगीत और चित्रकारी समेत कई विधाओं में प्रतिभा का परिचय दिया। उनके द्वारा लिखा गया महाकाव्य गीतांजलि के लिए उन्हें साहित्य में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। हालांकि, साहित्य के क्षेत्र में रुडयार्ड किपलिंग को भी नोबेल मिला है पर वह मूल रूप से ब्रिटिश है उनका जन्म भले ही भारत में हुआ है।
भारत की धरती पर इस महान रचनाकार का जन्म 7 मई 1861 को कोलकाता के जोड़ासाँको ठाकुरबाड़ी में हुआ था। उनके पिता देवेंद्रनाथ टैगोर और मां शारदा देवी को उनसे बहुत लगाव था। रवीन्द्र नाथ टैगोर 13 भाई-बहन थे जिनमें सबसे छोटे गुरुदेव थे। उन्होंने अपनी आरम्भिक शिक्षा प्रतिष्ठित सेंट जेवियर स्कूल से पूरी इसके बाद बैरिस्टर बनने की इच्छा में 1878 में इंग्लैंड के ब्रिजटोन में पब्लिक स्कूल में दाखिला ले लिया फिर लन्दन विश्वविद्यालय में कानून का अध्ययन किया।इसके बाद उन्होंने लंदन यूनिवर्सिटी से लॉ (कानूनी शिक्षा) प्राप्त की। हालांकि, डिग्री मिलने से पहले वह अपने देश भारत वापस आ गए। टैगोर तार्किक दृष्टिकोण के व्यक्ति थे जिसके कारण अक्सर उनकी राय मेल नहीं खाती थी। टैगोर महात्मा गांधी का बहुत सम्मान करते थे और वही वह व्यक्ति थे जिन्होंने महात्मा गांधी को “महात्मा” शब्द की उपाधि से नवाजा। दोनों के बीच कई विषय को लेकर अलग-अलग विचार रहतीं थीं।
टैगौर को भारत के राष्ट्रगान ‘जन गण मन अधिनायक’ के रचियता के रूप में माना जाता है। जिसने भारत को अपना राष्ट्रगान दिया, इतना ही नहीं बांग्लादेश का राष्ट्रगान ‘आमार सोनार बांग्ला’ भी उन्हीं की रचना है। यहां तक कि श्रीलंका के राष्ट्रगान को भी उनकी कविता से प्रेरित माना जाता है।
उनकी रचनाओं की बात की जाए तो उन्होंने करीब 2,230 गीतों की रचना की। रवींद्र नाथ टैगोर की कुछ प्रसिद्ध रचनाएं हैं- हैमांति, काबुलीवाला, क्षुदिता पश्न, मुसलमानिर गोल्पो। प्रसिद्ध उपन्यास हैं- चतुरंगा, गोरा, नौकादुबी, जोगजोग, घारे बायर। उनकी लिखी गीतांजलि नाम की कविता ने सबसे बड़ी उपलब्धि हासिल की है जिसे एक महाकाव्य माना जाता है। ये उनकी आखिरी रचना थी और गीतांजलि के लिए उन्हें साल 1913 में नोबेल पुरस्कार भी दिया गया।
टैगोर साहब के पिता बचपन से ही यात्रा में व्यस्त रहते थे और टैगोर साहब के बचपन में ही उनकी माता का निधन हो गया था जिस कारण उनका अधिकांशत लालन-पालन नौकरों की निगरानी में ही हुआ। सन् 1883 में मृणालिनी देवी के साथ उनका विवाह हुआ।
टैगोर के भाई द्विजेंद्रनाथ एक दार्शनिक और कवि थे एवं दूसरे भाई सत्येंद्रनाथ कुलीन और पूर्व में सभी यूरोपीय सिविल सेवा के लिए पहले भारतीय नियुक्त व्यक्ति थे। एक भाई ज्योतिरिंद्रनाथ संगीतकार और नाटककार थे एवं इनकी बहिन एक स्वर्णकुमारी उपन्यासकार थीं। ज्योतिरिंद्रनाथ की पत्नी कादंबरी देवी टैगोर से थोड़ी बड़ी थीं व उनकी प्रिय मित्र और शक्तिशाली प्रभाव वाली स्त्री थीं।
रवीन्द्र नाथ टैगोर महान रचनाकार, साहित्यकार गीतकार के साथ-साथ एक महान व्यक्तित्व थे जो आज भी समाज में एक आईना प्रस्तुत करते हैं। पुण्यतिथि पर उनको शत-शत नमन!