सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल के अधिकार को चुनौती देने वाली याचिका पर विचार करने से किया इनकार

Supreme Court refuses to consider petition challenging authority of Jammu and Kashmir Lieutenant Governorचिरौरी न्यूज

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल की उस शक्ति को चुनौती देने वाली याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया, जिसके तहत केंद्रीय गृह मंत्रालय की सिफारिशों पर विधानसभा में पांच सदस्यों को मनोनीत करने का अधिकार है।

न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी से कहा, “उच्च न्यायालय जाएं।” न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने आदेश दिया, “हम भारत के संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत दायर वर्तमान याचिका पर विचार करने के इच्छुक नहीं हैं और याचिकाकर्ता को भारत के संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत रिट याचिका के माध्यम से क्षेत्राधिकार वाले उच्च न्यायालय में जाने की स्वतंत्रता देते हैं।”

पीठ ने स्पष्ट किया कि उसने “गुण-दोष के आधार पर कोई राय” व्यक्त नहीं की है। जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन संशोधन अधिनियम 2013 के अनुसार, सभी पांच मनोनीत सदस्यों को सरकार गठन में मतदान का अधिकार होगा। मनोनीत सदस्यों में दो महिलाएं होंगी, दो कश्मीरी पंडित विस्थापित समुदाय से होंगे, जिनमें कम से कम एक महिला होगी और एक पश्चिमी पाकिस्तान के शरणार्थियों से होगा। शुक्रवार को नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने श्रीनगर के राजभवन में उपराज्यपाल मनोज सिन्हा से मुलाकात की और सरकार बनाने का दावा पेश किया।

90 सदस्यीय विधानसभा में नेशनल कॉन्फ्रेंस के 42 सदस्य हैं, जबकि उसके सहयोगी कांग्रेस और सीपीआई-एम के क्रमश: छह और एक सदस्य हैं। भाजपा के 29, पीडीपी के तीन, आप और पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के एक-एक तथा सात निर्दलीय हैं।

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