कलिंग लिटरेरी फेस्टिवल में देश-विदेश के साहित्यकार अमिताव घोष की करेंगे मेजबानी
चिरौरी न्यूज़
भुवनेश्वर: देश के एक प्रमुख साहित्यिक उत्सव मंच कलिंग लिटरेरी फेस्टिवल (केएलएफ) की पहल केएलएफ भाव संवाद, अपने 100 वें सत्र में 3 दिसंबर को अंग्रेजी भाषा के सुविख्यात साहित्यकार अमिताव घोष की मेजबानी करेगा। KLF ने “भाव संवाद” ’का शुभारंभ कवियों, लेखकों, विचारकों, दार्शनिकों, बुद्धिजीविओ, आध्यात्मिक गुरुओं, शोधकर्ताओं, कलाकारों, और आम नागरिकों को इस लॉकडाउन के दौरान और उससे आगे के जीवन और भावनाओं को दर्शाने के लिए किया है। यह मंच अब तक सफलतापूर्वक 20 लाख से अधिक दर्शकों तक पहुंच चुका है।
१०० वें सत्र में उपन्यासकार अमिताव घोष पत्रकार, अक्षय मुकुल और लेखिका मनीषा तनेजा के साथ अपने नए उपन्यास, “बन्दूक द्विप- मायावी मिथक और गहन यथार्थों का कथा जाल” पर बातचीत करेंगे, जो मूल रूप से एक आदमी की आत्म-खोज, सुंदरवन के लुप्त होते लोककथाओं और हमारे समय के सबसे अधिक दबाव वाले बेचैनिओं को एक साथ लाता है। यह उपन्यास सितंबर, 2019 में अंग्रेजी में प्रकाशित हुआ था। पुस्तक दिखाती है कि कैसे एक सामान्य शब्द ‘बन्दूक’, या ‘गन’, दीन दत्ता की दुनिया को उलट देता है। दुर्लभ पुस्तकों के डीलर, दीन जिसकी दुनिया अपने घर की चारदीवारी तक ही सीमित थी , लेकिन जैसे-जैसे उसकी धारणाएं बदलती है, वह एक असाधारण यात्रा पर निकलता है। वह यात्रा उसे भारत से लॉस एंजिल्स और वेनिस तक एक पेचीदा मार्ग से उन यादों और अनुभवों के माध्यम से ले जाता है जो उसे यात्रा के क्रम में मिलते हैं। एक बंगाली-अमेरिकी लड़की है पिया, जो उसकी यात्रा को गति देती है। एक उद्यमी युवक टीपू, जो दीन को आधुनिक समय में विकास की वास्तविकता से अवगत कराता है। एक तरफ रफी जो हमेशा तैयार है, किसी जरूरतमंद की मदद करने के लिए अपने हताश प्रयास के साथ; तो वही सिंटा, जो यह बताती है कि इस यात्रा में सभी पात्र कैसे एक दूसरे से सम्बंधित हैं।
यह एक ऐसी यात्रा है जिसमे वह अपने बचपन की बंगाली किंवदंतियों और उसके आसपास की दुनियाँ के बारे में जान पाता है। “बन्दूक द्विप- मायावी मिथक और गहन यथार्थों का कथा जाल” एक खूबसूरती से महसूस किया जाने वाला उपन्यास है जो सहजता से अंतरिक्ष और समय का विस्तार करता है। यह बढ़ती विस्थापन और अजेय संक्रमण की कगार पर स्तिथ दुनिया की कहानी है। लेकिन यह एक उम्मीद की कहानी भी है, एक ऐसे व्यक्ति की जिसका विश्वास दुनिया और भविष्य में दो उल्लेखनीय महिलाओं द्वारा बहाल किया गया है।
KLF “भाव – सम्वाद “के सत्रों में कला, साहित्य,संस्कृति, पौराणिक कथाओं, रह्स्य्वाद, जलवायु परिवर्तन, मानसिक स्वास्थ्य आदि पर गंभीर परिचर्चा हुई है, जो KLF के लिए इस चुनौतीपूर्ण समय में रचनात्मक स्तर पर बड़ी उपलब्धि है। इस श्रृंखला में नयनतारा सहगल,, अमीश त्रिपाठी, के सचिदानंदन, कोरल दासगुप्ता, डॉ प्रतिभा राय, आनंद नीलकंठन, भानमती नरसिम्हन, अरुंधति सुब्रमण्यम, सुनील कोठारी, शांतनु गुप्ता, अनिता अग्रवाल सहित लगभग 100 वक्ताओं ने भाग लिया। पद्मश्री हलधर नाग, रजिता कुलकर्णी, सुब्रतो बागची, डॉ फारूक गुलसारा, दया दिसानायके, जयश्री मिश्रा त्रिपाठी, रचना जोशी, दीपा अग्रवाल, स्मिता अग्रवाल, मोनिदीपा साहू, अमीनुर रहमान, चादोर वांगमो, प्रमोद, विद्या, सुभाष विक्रम , अक्षय मुकुल, प्रभात रंजन, चंदन पांडे, वंदना राग, अश्विन सांघी, मेधा श्री, विनीत बाजपेयी, निष्ठा गौतम, पं कुंज बिहारी मिश्रा, अभिनंदन सेखरी, विनीत कुमार, हरप्रीत सिंह, गोपाल सिंह चौहान, अतुल कुमार ठाकुर , केशवा गुहा, अर्चना सोरेंग, भावना सोमाया, प्रो अमिताभ श्रीवास्तव, वर्षा बत्रा, यशोधरा रे चौधुरी, प्रो मीनाक्षी जैन, सुमेधा वर्मा, ओझा वर्मा, ओझा बंधु, डॉ रामचंद्र खुंटिया, डॉ डीपी पट्टनायक, मुकुल कुमार, दुती चंद, असित मोहंती, देबाशीष सामंतराय, विक्रम संपत, डॉ अमर पटनायक, चंदना दत्ता, रेखा सूर्या, सुचिता मिश्रा, इप्सिता सारंगी, प्रीतिधर समाल, स्व बासाब चंदाना, भागबन जयसिंह, दिलीप स्वैन, मौसमी सेनगुप्ता, शोभित आर्य, रणधीर खरे, अमित दासगुप्ता, प्रो तिशा श्रीवास्तव, अमरेश बिस्वाल, बिचित्रा बिस्वाल, मदन मोहन महापात्रा, मोनालिसा मिश्रा,आदितेश्वर मिश्रा, कृष्ण मिश्रा, अनीता अग्निहोत्री, सहाना अहमद, मंदिराघोष, हमरा कुरैशी, दिवसी गुप्ता, जीतू मिश्रा और कई अन्य साहित्यकारों ने शिरकत की है।
KLF “भाव संवाद” मानव जीवन और भावनाओं से जुडी विषयों को समायोजित करती है साथ ही हर्ष, पीड़ा, गहन मानवीय सम्बन्ध ,साहित्यिक संवाद, संस्कृति संवाद, पर्यावरण चेतना, आध्यात्मिकता, सार्वजनिक नीति, स्त्री विमर्श , दलित विमर्श, मानसिक स्वस्थ्य, बाल साहित्य, और मानवीय भावनाओं, जैसे सामाजिक विषयों के साथ अपने सभी वर्गों के दर्शकों को जोड़ने का प्रयास करती है।
इसके बारे में बात करते हुए, केएलएफ के संस्थापक और निदेशक, श्री रश्मि रंजन परिदा ने कहा, “केएलएफ भाव संवाद को महामारी के कारण लॉकडाउन के दौरान साहित्यिक भावना को अक्षुण्ण बनाए रखने के लिए शुरू किया गया था। लेकिन मंच की तीव्र वृद्धि और दर्शकों से अपार प्रेम प्राप्त करने के बाद, केएलएफ भाव संवाद नए अपने 100 वें सत्र तक की यात्रा दुनियाँ भर के साहित्यकारों-कलाकारों के साथ तय किया है जो की एक मिल की पत्थर के रूप में स्थापित हुआ है और अब यह एक स्थायी मंच के रूप में अबाध रूप से चलता रहेगा। हम 3 दिसंबर को श्री अमिताव घोष की मेजबानी करने के लिए बेहद उत्साहित हैं और इस यात्रा के एक महत्वपूर्ण पड़ाव पर हम अपने दर्शको को हमारे साथ सकारात्मक रूप से जुड़ने के लिए से प्रतीक्षा कर रहे हैं।