‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ एक ऐतिहासिक घटना है: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह

Defence Minister Rajnath Singh to inaugurate infrastructure projects worth Rs 2,236 crore along China borderचिरौरी न्यूज़

नई दिल्ली: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने नई दिल्ली में उद्योग जगत की जानी-मानी संस्था फिक्की के 93वें वार्षिक सम्मेलन को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से संबोधित करते हुए कहा कि कोविड-19 महामारी ने देश के सामने कई नई चुनौतियों को जन्म दिया है। ऐसे में लोगों की ज़िंदगी और आजीविका पर पड़ने वाले कोविड के विपरीत प्रभाव से निपटने और उसे कम करने के लिए सरकार ने कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं।उन्होंने कहा कि कोरोना से लोगों की जान बचाने को सबसे पहली प्राथमिकता दी गई है और चिकित्सा क्षेत्र से जुड़े कोरोना वारियर्स ने लोगों की जान के जोखिम को कम करने के लिए हर संभव प्रयास किए हैं।

सरकार की तरफ से आर्थिक मोर्चे पर किए गए प्रयासों की चर्चा करते हुए श्री राजनाथ सिंह ने कहा ‘ऐसा माना जा रहा था कि राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के बाद वर्तमान वित्त वर्ष की पहली तिमाही में जीडीपी में 23.9 फीसदी की जो गिरावट दर्ज की गई है,उससे निपटने और इसे फिर से पटरी पर लाने में भारत को एक-दो साल का समय लग जाएगा’। लेकिन भारत ने आर्थिक मोर्चे पर इस चुनौती से निपटने में ज़्यादा समय नहीं लिया और जल्दी ही देश की जीडीपी पटरी पर आ गई। यही वजह है कि दूसरी तिमाही में भारत की जीडीपी में केवल 7.5 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई,जबकि दूसरी तरफ निर्माण क्षेत्र में पहली तिमाही में 39.3 फीसदी की गिरावट की तुलना में दूसरी तिमाही में  0.6 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई।

राजनाथ सिंह ने कहा कि आर्थिक क्षेत्र में जारी इन विकास कार्यों को ध्यान में रखते हुए एशियन डेवलपमेंट बैंक (एडीबी)ने भारतीय अर्थव्यवस्था के बारे मे अपने पूर्व के 9 फीसदी गिरावट के अनुमान में बदलाव करते हुए वर्ष 2020-21 में 8 फीसदी की गिरावट का अनुमान लगाया है।

अर्थव्यवस्था की मज़बूती पर बल देते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि अप्रैल-अगस्त 2020 में भारत में 35.73 बिलियन अमरीकी डॉलर का सर्वाधिक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश(एफडीआई) दर्ज किया गया है,जोकि पिछले वित्त वर्ष में इस दौरान दर्ज किए गए एफडीआई की तुलना में 13 फीसदी ज़्यादा है।

राजनाथ सिंह ने कहा कि “ये सब निर्णायक प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में लोगों को प्रोत्साहित करने के लिए चलाए जा रहे है ‘आत्मनिर्भर भारत’ की मदद और सरकार द्वारा सही समय पर सही निर्णय लेने से संभव हुआ है।” रक्षा मंत्री ने उद्योग जगत से आग्रह  किया कि “…वे वैश्विक स्तर पर निर्माण क्षेत्र में लागत को कम करने के रास्ते निकालकर इस दिशा में आगे बढ़ें और जल्द ही भारत को वैश्विक स्तर पर निर्माण क्षेत्र का हब बनाने की दिशा में ज़रूरी रास्तों पर विचार करें।”

उन्होंने भरोसा जताया कि अर्थव्यवस्था को फिर से पटरी पर लाने और आत्मनिर्भर अभियान को मज़बूत बनाने की दिशा में रक्षा क्षेत्र अहम भूमिका अदा करेगा। उन्होंने कहा कि “हम दुनिया की सबसे बड़ी सशस्त्र सेना में से एक हैं, इसके बावजूद हम कई अहम क्षेत्रों में आयात पर निर्भर हैं। हालाँकि हमने रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में कई स्तरों पर महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं,लेकिन अभी भी इस दिशा में बहुत कुछ किया जाना बाकी है।”

रक्षा मंत्री ने कहा कि “हमने निजी क्षेत्र के लिए भी दरवाज़े खोल दिए हैं, घरेलू स्तर पर उत्पादन को प्रोत्साहित किया है, रक्षा गलियारे का निर्माण के अलावा और भी बहुत कुछ इस दिशा में किया जा रहा है। हम दूसरे देशों के साथ मिलकर संयुक्त उपक्रम (ज्वाइंट वेंचर)और सहभागिता बढ़ाने की दिशा में भी काम कर रहे हैं।”

राजनाथ सिंह ने विश्वास जताया कि नई रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया के साथ-साथ स्वचालित तरीके से एफडीआई को 74 फीसदी तक बढ़ाने के पूर्व में लिए गए निर्णय से घरेलू निर्माण और विकास को गति मिलेगी। साथ ही नवीन प्रौद्योगिकी और वैश्विक स्तर पर अपनाए जाने वाले उपायों का लाभ भी मिलेगा।

उन्होंने कहा कि घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए 101 सामानों की नकारात्मक आयात सूची जारी की गई है। इससे विशेषरूप से निजी क्षेत्र को रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में प्रवेश करने का अवसर मिलेगा। उन्होंने विश्वास व्यक्त करते हुए कहा कि 1,75,000 करोड़ के टर्नओवर और 35,000 करोड़ के आयात के लक्ष्य को हासिल करने में निजी क्षेत्र सक्रिय भागीदार की भूमिका निभाएगा।

रक्षा मंत्री ने कहा कि सरकार ने मई 2020 में देश को विभिन्न चुनौतियों से निकालने के लिए 20 लाख करोड़ के पैकेज की घोषणा की थी। इस पैकेज का उद्देश्य आत्मनिर्भर भारत अभियान को मज़बूत करना भी था। उन्होंने कहा कि “भारत के आर्थिक इतिहास में आत्मनिर्भर भारत अभियान एक ऐतिहासिक घटना है”।

उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भर भारत पैकेज के तहत करीब 81 लाख एमएसएमई ने प्रधानमंत्री एमरजेंसी क्रेडिट लाइन गारंटी स्कीम (ईसीएलजीएस)का लाभ लिया है। राजनाथ सिंह ने कहा कि कोविड-19 संकट से निपटने के दौरान भारत ने अपने लोगों की मदद करने के अलावा दुनियाभर के लोगों की मदद की।“चाहे एक स्थान से दूसरे स्थान तक सुरक्षित पहुंचाना हो, दवाइयों की आपूर्ति हो या कोई अन्य सहायता,भारत ने हर दिशा में सकारात्मक तरीके से बढ़चढ़कर मदद की।” उन्होंने कहा कि भारत ने स्वयं की प्रेरणा से दूसरों को भी प्रेरित करने का काम किया। “भारत एक ऐसा देश है,जहाँ सैकड़ों सालों से ‘संगच्छध्वं,संवदध्वं’ विचार का पालन किया जाता,जिसका अर्थ है कि हम सब आगे बढ़ेंगे,हम सबको मिलकर आगे बढ़ना है।”

कृषि क्षेत्र से जुड़े सुधारों पर रक्षा मंत्री ने कहा कि इस क्षेत्र से जुड़े सभी सुधार भारत के किसानों के हितों को ध्यान में रखकर किए गए हैं। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार हमेशा हमारे किसान भाइयों की बात को सुनने और उनकी गलतफहमी को दूर करने के लिए तैयार रहती है। उन्होंने कहा कि “हमारी सरकार ने किसान भाइयों के साथ चर्चा और वार्ता के सभी रास्ते खोल रखे हैं।”

हिमालय से सटे सीमावर्ती क्षेत्रों में तनावपूर्ण स्थिति पर रक्षामंत्री ने कहा कि लद्दाख में एलएसी पर सशस्त्र बलों की भारी संख्या और पर्याप्त सुविधाएं मौजूद है। उन्होंने कहा कि परीक्षा की इस घड़ी में हमारे सुरक्षा बलों ने ज़बर्दस्त साहस और धैर्य दिखाया है,इतना ही नहीं हमारे सुरक्षा बलों ने पीएलए का बहादुरी से सामना करते हुए उन्हें वापस भेजने पर मज़बूर किया है। रक्षा मंत्री ने कहा कि सेना की संख्या किसके पास ज़्यादा है, इस पर गंभीर बहस की जा सकती है, लेकिन जब बात साहस और जज़्बे की आती है,तो हमारी सेना का कोई जवाब नहीं है। जब विचारों के स्तर पर दुनिया का नेतृत्व करने की बात आती है तो भारत चीन से कई गुणा आगे नज़र आता है।

सीमापार आतंकवाद पर राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत ने ख़ुद इस समस्या का सामना किया है, वो भी ऐसे समय में जब कोई भी हमारे साथ नहीं खड़ा था। लेकिन बाद में,दुनिया को यह बात समझ आ गई कि आतंकवाद की जड़ें पाकिस्तान में हैं और वहीं से दुनियाभर में आतंकवाद फैलाया जा रहा है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *