प्रधानमंत्री मोदी ने कोविड के बाद वैश्विक आर्थिक एजेंडे पर प्रमुख अर्थशास्त्रियों के साथ की बातचीत
चिरौरी न्यूज़
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कोविड के बाद वैश्विक आर्थिक एजेंडे का प्रारूप निर्धारित करने के लिए आज प्रमुख अर्थशास्त्रियों के साथ बातचीत की। इस बातचीत का आयोजन नीति आयोग के द्वारा किया गया जिसमें शामिल सभी प्रतिभागियों ने सहमति जताई कि निरंतर दिखने वाले शानदार उच्च संकेतक अपेक्षा से काफी पहले ही एक मजबूत आर्थिक सुधार के संकेत दे रहे हैं।
उपस्थित अर्थशास्त्रियों ने इस मुद्दे पर भी सहमति जताई कि अगला वर्ष भारत के सामाजिक आर्थिक परिवर्तन को जारी रखने और इस विकास दर को बनाए रखने के लिए सुझाए गए मजबूत वृद्धि उपायों का साक्षी बनेगा।
चर्चा में शामिल अर्थशास्त्रियों ने पिछले कुछ वर्षों में किए गए मजबूत संरचनात्मक सुधार उपायों पर प्रकाश डालते हुएएक आत्म-निर्भर भारत के निर्माण में इनकी उपयोगिता का समर्थन किया। अर्थशास्त्रियों ने भविष्य में सुधार किए जाने वाले क्षेत्रों पर भी अपने सुझाव दिए। उन्होंने बुनियादी ढांचे पर सरकारी व्यय को आने वाले वर्षों में विकास चालक के रूप में मानते हुए इस बिन्दु पर सहमति जताई कि बुनियादी ढांचे में सार्वजनिक निवेशों से अर्थव्यवस्था को महत्वपूर्ण रूप से अत्यंत लाभ अर्जित होगा। प्रतिभागियों ने मोबाइल निर्माण में उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना के शुभारंभ से अर्जित भारत की सफलता में शामिल गहन श्रम विनिर्माण पर भी ध्यान केंद्रित करते हुए विचार-विमर्श किया।
अर्थशास्त्रियों ने भविष्य में राजकोषीय उपायों की संभावनाओं पर चर्चा की और राजकोषीय समेकन के लिए निर्धारित उपायोंपर भी अपने सुझावदिये। प्रतिभागियों द्वारा वित्तीय क्षेत्र में सुधार पर चर्चा की गई। प्रतिभागियों ने बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए दीर्घकालिक वित्तपोषण को सुरक्षित बनाने के लिए संभावित आय के रूप में घरेलू बचत का उपयोग करने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। प्रतिभागियों ने सार्वजनिक स्वास्थ्य और शिक्षा में निवेश के महत्व पर भी जोर देते हुए माना कि मानव पूंजी विकास के संचालक के रूप में विशेष रूप से ज्ञान अर्थव्यवस्था के उभरने की संभावना है।
प्रधानमंत्री ने प्रतिभागियों से प्राप्त महत्वपूर्ण सुझावों की सराहना करते हुए राष्ट्रीय विकास के एजेंडे को निर्धारित करने में इस तरह के वार्तालाप की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला। प्रधानमंत्री ने बल देते हुए कहा कि किस प्रकार कोविड-19 महामारी और उसके बाद के प्रबंधन ने इसमें शामिल सभी लोगों के समक्ष नई पेशेवर चुनौतियां उत्पन्न की हैं। उन्होंने कहा कि एक राजकोषीय प्रोत्साहन के साथ, सरकार ने सुधार आधारित प्रोत्साहन का भी प्रयास किया है, जिन्हें कृषि, वाणिज्यिक कोयला खनन और श्रम कानूनों में ऐतिहासिक सुधारों के माध्यम से अंजाम दिया गया है।
प्रधानमंत्री ने एक आत्म-निर्भर भारत के लिए अपने दृष्टिकोणपर प्रकाश डालते हुए कहा कि इसके माध्यम से भारतीय कंपनियां वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में एकीकृत हुई हैं और ऐसा पहले कभी नहीं देखागया। उन्होंने वैश्विक मंदी के बावजूद अप्रैल और अक्टूबर के बीच प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में 11 प्रतिशत की वृद्धि के साथ भारत की विकास कहानी में विदेशी निवेशकों द्वारा दिखाए गए विश्वास पर भी प्रसन्न्ता जताई। प्रधानमंत्री ने भविष्य में राष्ट्रीय ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क द्वारा हासिल की जा सकने वाली आर्थिक क्षमताओं पर भी प्रकाश डाला, जो भारत के कुछ सर्वाधिक दूर-दराज के क्षेत्रों में इंटरनेट कनेक्टिविटी प्रदान करता है। देश में बुनियादी ढाँचे के विकास परप्रधानमंत्री ने विश्व स्तर के बुनियादी ढाँचे को विकसित करने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता के रूप में राष्ट्रीय अवसंरचना व्यवस्थाकी भी जानकारी दी। प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन के समापन से पूर्व कहा कि लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए भागीदारी काअत्यधिक महत्व है और इस तरह के परामर्श व्यापक आर्थिक एजेंडा को स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
इस वार्तालाप में प्रधानमंत्री के अलावा, वित्तमंत्री और राज्यमंत्री (वित्त) उपस्थित थे। इसके अलावा नीति आयोग के उपाध्यक्ष राज्य मंत्री (योजना), नीति आयोग के सदस्य, प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव, प्रधानमंत्री के प्रमुख सलाहकार, कैबिनेट सचिव और नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी भी बैठक में शामिल हुए। वार्तालाप के दौरान वित्त मंत्रालय के वित्त सचिव, मुख्य आर्थिक सलाहकार और प्रधान आर्थिक सलाहकार भी उपस्थिति थे।
चर्चा में भाग लेने वाले प्रमुख अर्थशास्त्री थे, अरविंद पनगढिया, अरविंद विरमानी, अभय पेथे, अशोक लाहिड़ी, अभय बरुआ, इला पटनायक, केवी कामथ, मोनिका हालन, राजीव मन्त्री, राकेश मोहन, रवींद् ढोलकिया, सौम्यकांतिघोष, शंकर आचार्य, शेखर शाह, सोनल वर्मा और सुनील जैन।