पिच के साथ टीम चयन की पेचीदगियों को भी समझ गए धवन
ईश्वर नाथ झा
नई दिल्ली: कहा जाता है कि जिम्मेवारियों का अहसास स्वछंद व्यक्ति को भी बदल देता है। भारतीय टीम के सलामी बल्लेबाज शिखर धवन, जो अपनी उन्मुक्त बल्लेबाजी के लिए जाने जाते हैं, को भी अपनी जिम्मेवारियों का अहसास हुआ और उनके खेल में एक ठहराव आया है जो उनके लिए और भारतीय टीम के लिए बहुत ही सुखद है। कल इंग्लैंड के खिलाफ उनकी 98 रनों की पारी में जो जिम्मेदारियां दिखाई दी, वह शायद उनकी टीम में स्थान पक्का करने के लिए काफी है।
वनडे सीरीज शुरू होने से पहले किसी चैनल पर सुनील गावस्कर ने कहा था कि इस सीरीज में सबसे ज्यादा दवाब शिखर धवन पर रहेगा। उन्हें परफॉर्म करना ही होगा नहीं तो वह टीम से बाहर हो सकते हैं। गावस्कर का कहना एकदम सही है, क्योंकि भारतीय टीम में उपर के बल्लेबाजी क्रम में बेहद कड़े कॉम्पिटिशन चल रहे हैं। नए खिलाडियों इशान किशन, पृथ्वी शॉ के उदय के बाद ये और भी दिलचस्प हो गया है। ऐसे में मिले मौकों को कोई भी खिलाड़ी जाया नहीं करना चाहेगा। टॉप लेवल पर लगातार रन बनाकर ही कोई बल्लेबाज टिक सकता है। धवन ये बातें बखूबी जानते हैं और कल की उनकी 98 रनों की पारी में जिम्मेदारी का अहसास भी था और टीम को कठिन परिस्थितियों से उबारने का जज्बा भी दिखाई दिया।
हालांकि कल की पारी से पहले धवन की पिछले पांच-छह पारियों को अगर देखा जाय तो धवन का फॉर्म कहीं से भी ख़राब नहीं लगेगा। पिछले छह वनडे में धवन ने 74, 96, 74, 30 , 16 और कल 98 रनों की पारी खेली है। इसमें सिर्फ दो इन्निंग्स में धवन अच्छी शुरुआत करके आउट हो गए। टी20 में भी पिछले छः पारियों में उनके दो अर्द्धशतक हैं।
कल के मैच के बाद धवन ने कहा कि उनकी रणनीति कठिन दौर से बाहर निकालने की थी। अगर धवन की बात को सीधे तौर पर देखा जाय तो ये कहा जा सकता है कि उनका मतलब टीम को कठिन दौर से बाहर निकालना था। इसका दूसरा पहलू ये है कि धवन टीम में जगह बनाने के लिए बढे हुए कम्पटीशन के दवाब से भी बाहर निकलना चाह रहे थे और इसीलिए उनकी ये पारी टीम के साथ साथ उनके लिए भी महत्वपूर्ण है।
रोहित शर्मा 28 रनों की पारी खेलकर 15 वें ओवर में आउट हो गए थे और तक़रीबन 4 से थोडा ज्यादा रनों के औसत से भारत की पारी आगे बढ़ रही थी। धवन पर कितना दवाब था वह इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि पहले पॉवरप्ले में सिर्फ 39 रन बने थे। हालांकि इसके लिए सिर्फ उन्हें ही जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है। दूसरे छोड़ पर रोहित शर्मा भी थे।
लेकिन जब टीम में स्थान को लेकर दवाब हो तब संभल कर खेलना ही पड़ता है। ये अहसाह तब भी दिखाई दिया जब विराट कोहली के साथ उनकी 100 रनों से ज्यादा की साझेदारी भारतीय पारी की एक ठोस नीव रख चुकी थी। उसके बाद भी धवन जितने बेफिक्र होकर खेलने के लिए जाने जाते हैं, वैसा खेल देखने को दर्शकों को नहीं मिल रहा था। लेकिन ये धवन के द्वारा रखी गयी ठोस नीव ही थी जिसपर अंतिम के दस ओवरों में 112 रन भारतीय बल्लेबाज क्रूणाल पांड्या और के एल राहुल ने बना दिया।
मैच के बाद धवन ने कहा कि, “एक अनुभवी खिलाड़ी होने के नाते मुझे पता है कि दबाव को कैसे झेलते हैं। हमने पिच को अच्छे से समझा और पिच के अनुसार ही हमने बल्लेबाजी की।”
कल की पारी के आधार पर ये कहा जा सकता है कि धवन क्रिकेट की पिच के साथ साथ टीम चयन की पेचीदगियों को भी भलीभांति जान गए हैं।