आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था के लिए कृषि क्षेत्र को मिला 11 बड़ी योजनाओं का बूस्टर डोज
न्यूज़ डेस्क
नई दिल्ली: भारत एक कृषि प्रधान देश है, ये बचपन से हम सब पढ़ते और सुनते आये हैं। भारत की अर्थव्यस्था की रीढ़ है कृषि, और यही कारण है कि हर एक साल कृषि क्षेत्र के लिए सरकारें कुछ न कुछ नई घोषणाएं करती है, ये और बात है कि उस पर अमल कितना होता है।
कोरोना वायरस से अगर कोई एक क्षेत्र सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है तो वो है भारत की कृषि। कई राज्यों में फसलें कड़ी है, लेकिन लॉक डाउन के कारण उसे घर बताक लाया नहीं जा सकता है। हालांकि लॉकडाउन 2 के बाद कुछ छुट दी गयी थी जिसमे कृषि कार्य कुछ हुआ, लेकिन वो पर्याप्त नहीं था।
कोरोना से उत्पन्न हुए आर्थिक संकट से निपटने के लिए प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी ने 20 लाख करोड़ का आर्थिक पैकेज की घोषणा की थी, जिसके बाद दो दिनों तक वित्त मंत्री ने विस्तार से विभिन्न योजनाओं के बारे में प्रेस कांफ्रेंस में बताया। आज तीसरे दिन वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कृषि सुधर के लिए 11 क़दमों कि घोषणा की है, जिसमें खेती और सहायक गतिविधियों मसलन मछलीपालन और पशुपालन आदि के लिए पैकेज का ऐलान किया। वित्त मंत्री ने कहा कि इनमें से पहले 8 कदम कृषि संबंधित आधारभूत ढांचों का निर्माण, क्षमता विकास और कृषि उत्पादन के भंडारण और विपणन आदि को लेकर हैं, वहीं आखिरी तीन कदम शासन-प्रशासन से संबंधित हैं।
1 लाख करोड़ रुपये का फार्म-गेट इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड
माइक्रो फूड एंटरप्राइजेज (MFE) के फॉर्मलाइजेशन के लिए 10 हजार करोड़ रुपये की स्कीम
प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY) के लिए 20 हजार करोड़ रुपये
राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम
पशुपालन के आधारभूत ढांचों के लिए 15 हजार करोड़ रुपये का विकास फंड
औषधीय पौधों की खेती को बढ़ावा देने के लिए 4 हजार करोड़ रुपये की योजना
मधुमक्खी पालन को बढ़ावा देने के लिए 500 करोड़ रुपये की योजना
टॉप टु टोटल – 500 करोड़ रुपये
बदलेगा आवश्यक वस्तु अधिनियम
किसानों को मनपसंद मार्केटिंग के लिए कृषि विपणन सुधार
कृषि उत्पादों की कीमत और गुणवत्ता निर्धारण का ढांचा
इन सभी योजनाओं के लिए अलग अलग से पैसे आवंटित किये गए है, जिस से किसानों को कोरोना से हुए हानि से उबारा जा सके। इन सभी योजनाओं के तहत फसलों के भंडारण और उनकी खरीद की सही व्यवस्था से लेकर, ब्रैंड बनाने और मार्केटिंग करने, सामन का भण्डारण सहित तमान तरह की बातों को समावेश किया गया है, जिस से किसानो को फायदा हो।
ऐनिमल हज्बेंड्री इन्फ्राक्ट्रस्चर डिवेलपमेंट फंड के तहत दूध उत्पदान की प्रोसेसिंग की इंडस्ट्री लगाने, वैल्यु अडीशन करने आदि के लिए 15 हजार करोड़ रुपये खर्च होंगे। नैशनल मेडिसिनल प्लांट्स बोर्ड (NMPB) ने 2।25 लाख हेक्टेयर जमीन पर औषधीय पौधों की खेती में मदद की है।
लॉकडाउन के कारण सप्लाई चेन बाधित हुआ है और किसान अपने उत्पाद बाजारों बेच नहीं पा रहे हैं। माल ज्यादा होने और मांग कम होने के कारण कृषि उत्पादों, फलों आदि को कम दाम पर बेचना पड़ रहा है। इसके लिए ऑपरेशन ग्रीन का दायरा बढ़ाने का फैसला किया गया है। इसके तहत अब 50% सब्सिडी माल ढुलाई में और 50% सब्सिडी कोल्ड स्टोरेज में भंडारण पर दी जाएगी।
इससे पहले, वित्त मंत्री ने कहा कि ज्यादातर किसान मानसून पर निर्भर हैं इसके बावजूद भी देश दूध, जूट, दाल आदि के उत्पादन में दुनिया में टॉप है। वहीं, ईख, कपास, मूंगफली, फल और मछली उत्पादन के मामले में हमारा देश दुनिया में दूसरे नंबर पर है जबकि अन्न (सीरियल्स) उत्पादन में तीसरे नंबर पर है।’ उन्होंने कहा कि आशा है इतने सारे फैसले लेने के बाद देश की कृषि व्यवस्था में एक सकारात्मक बदलाव आएगा।