AADTA प्रतिनिधिमंडल ने आज उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया से मुलाकात की

AADTA delegation met Deputy Chief Minister Manish Sisodia todayचिरौरी न्यूज़

नई दिल्ली:

  • उपमुख्यमंत्री ने 12 दिल्ली सरकार के कॉलेजों को संशोधित एस्टिमेट (RE) राशि तुरंत जारी करने और वित्त-पोषण को समयबद्ध तरीके से नियमित करने का निर्देश दिया
  • उपमुख्यमंत्री ने इन कॉलेजों की वित्तीय आवश्यकताओं को पूरा करने का आश्वासन दिया जो कि गुणवत्तापूर्ण सार्वजनिक वित्तपोषित शिक्षा को मजबूत करने हेतु AAP की फिलोसफी के अनुरूप है।

आज AADTA के राष्ट्रीय प्रभारी डॉ. आदित्य नारायण मिश्रा और डीयू कार्यकारिणी परिषद (EC) सदस्य डॉ. सीमा दास के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने दिल्ली सरकार के उपमुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री श्री मनीष सिसोदिया से मुलाकात की।

प्रतिनिधिमंडल ने दिल्ली विश्वविद्यालय जैसे तमाम केंद्रीय विश्वविद्यालयों में, अनुदान आधारित वित्तीय सहायता से ऋण आधारित वित्त-पोषण में परिवर्तित किए जाने से उपजने वाले भयावह परिणामों के बारे में बताया। इस क्रम में डीयू को शिक्षा मंत्रालय-युजीसी द्वारा हेफा-HEFA से 1000 करोड़ रुपए का ऋण लेने के लिए मजबूर किया गया है। इसके अलावा, आईओई ने डीयू पर भारी वित्तीय देनदारियां भी लाद दी हैं। ऐसे में थोपे गए वित्तीय संकट से जूझ रहे डीयू की एक आधिकारिक समिति ने पुस्तकालय और प्रयोगशालाओं के लिए गंभीर वित्तीय संकट और धन की कमी को भी स्वीकार किया है।

प्रतिनिधिमंडल ने इस बात पर जोर दिया कि जहां केंद्रीय बजट में उच्च शिक्षा के लिए जारी किए जाने वाले फंड में भारी कटौती की गई है, वहीं दिल्ली सरकार के बजट में उच्च शिक्षा के लिए बजटीय आवंटन में 2018-19 में जारी 403 करोड़ रुपये की धनराशि में 62% की भारी वृद्धि करते हुए, वर्ष 2018-19 के 403 करोड़ रुपए से बढाकर 2022-23 में 651.12 करोड़ की राशि आवंटित की गई है। इसने शिक्षाविदों, शिक्षकों, छात्रों और अभिभावकों में सकारात्मकता का संचार किया है। इसलिए, दिल्ली सरकार के (100% वित्त पोषित) बारह कालेजों के फंड जारी करने में देरी के आड मे वर्तमान दिल्ली सरकार के शिक्षा के क्षेत्र में उपलब्धि पर कीचड़ नही उछालने का मौका नहीं दिया जा सकता है।

प्रतिनिधिमंडल द्वारा सौंपे गए ज्ञापन में नियमित वेतन, पेंशन, चिकित्सा बिलों की समय पर प्रतिपूर्ति और एलटीसी/एचटीसी बिलों की निकासी की समस्या का सामना कर रहे शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों का मुद्दा उठाया गया। इससे शिक्षक बिरादरी और कर्मचारियों को होने वाली आर्थिक परेशानी को भी रेखांकित किया गया। साथ ही इस बात पर ज़ोर दिया गया कि कॉलेजों के ढांचागत विकास के लिए आवश्यक धनराशि बिना किसी देरी के वितरित की जानी चाहिए।

उपमुख्यमंत्री ने प्रतिनिधिमंडल द्वारा उठाई गई चिंताओं को गहराई से समझा। उन्होंने कॉलेजों की रिवाइज्ड एस्टीमेट (आरई) राशि को तत्काल जारी करने का निर्देश दिया। उन्होंने समयबद्ध तरीके से फंडिंग के नियमितीकरण में तेजी लाने का भी निर्देश दिया ताकि शिक्षकों और कर्मचारियों के विभिन्न खर्चों और बिलों का सौ फ़ीसदी निष्पादन किया जा सके।

उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय क़ानून द्वारा दिल्ली सरकार को प्रदान किए गए के अधिकारों के अतिक्रमण पर भी गहरी चिंता व्यक्त की। उन्होंने में इस बात पर भी ज़ोर दिया कि सभी अधिकारियों को, हजारों छात्रों के गुणवत्तापूर्ण शिक्षा-हित को ध्यान में रखते हुए पारस्परिक वैधानिकता का सम्मान करना चाहिए और संकीर्ण राजनीति को इसमें बाधा नहीं बनने देना चाहिए।

प्रतिनिधिमंडल में राजपाल सिंह पवार, सदस्य ईसी, डॉ जेएल गुप्ता, सदस्य वित्त समिति, प्रोफेसर टीएन ओझा, अध्यक्ष महाराजा अग्रसेन कॉलेज स्टाफ एसोसिएशन, आनंद प्रकाश सदस्य डूटा कार्यकारी, डॉ समरेंद्र कुमार, पूर्व सदस्य डीयू एसी और AADTA नेशनल समिति के सदस्य- नरेंद्र पांडेय, प्रेम चंद और राजेश झा शामिल थे।

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