वोटों की राजनीति की खातिर हो रहा है अग्निवीर योजना का विरोध

Agniveer scheme is being opposed for the sake of vote politicsअनंत अमित

20 जून को देश के कई राज्यों में भारत बंद का आह्वान किया गया है। यह बंद है कि अग्निवीर योजना के विरोध में। यह बंद है युवाओं को सरकारी नौकरी के लिए अवसर उपलब्ध कराने के विरोध में। जिस दिन से केंद्र सरकार की ओर से कहा गया है कि अग्निपथ भर्ती योजना के तहत देश के युवाओं को अग्निवीर बनाया जाएगा, उसके बाद से ही कुछ संगठन और राजनीतिक दलों को लगने लगा कि देश के युवा अनुशासित होंगे। उनको रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे। ये लोग भाजपा सरकार की नीतियों से लाभान्वित होंगे, तो उन्हें बरगलाओ। कुछ इलाकों में हुआ भी ऐसा ही।

बिहार और उत्तर प्रदेश के कई जिलों में सरकारी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया गया। रेल संपत्ति को काफी क्षति हुई है। बार-बार रेल मंत्री के अनुरोध को भी उपद्रवियों ने अनसुना कर दिया। कई घटनाओं में यह बात सामने आ रही है कि रेल संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने वाले वो युवा नहीं थे, जो अपने रोजगार और देशसेवा के लिए सेना में जाने की तैयारी करते हैं। बल्कि वैसे लोग थे तो पूर्वाग्रह से ग्रसित थे और किसी न किसी संगठन से जुड़े थे।

असल में, भारतीय सशस्त्र बलों में भर्ती से संबंधित ‘अग्निपथ योजना’ में चयनित उम्मीदवारों को 4 साल की अवधि के लिए थल सेना, वायु सेना और नौसेना में अग्निवीर के रूप में काम करने का मौका मिलेगा। चार साल की अवधि पूरी होने पर, ये अग्निवीर एक अनुशासित, गतिशील, प्रेरित और कुशल श्रमशक्ति के रूप में अन्य क्षेत्रों में रोजगार पाने के उद्देश्य से अपनी पसंद के पेशे में करियर बनाने हेतु सिविलियन के रूप में वापस लौटेंगे। सशस्त्र बलों द्वारा घोषित संगठनात्मक जरूरतों एवं नीतियों के अनुरूप अपनी संलग्नता की अवधि पूरी कर लेने के बाद इन अग्निवीरों को स्थायी संवर्ग में नामांकन के लिए आवेदन करने का एक अवसर प्रदान किया जाएगा।

इनमें से 25 प्रतिशत अग्निवीरों को सशस्त्र बलों में नियमित संवर्ग के रूप में नामांकित होने के लिए चुना जाएगा। यह योजना देश की सेवा करने के इच्छुक भारतीय युवाओं को कम अवधि के लिए सशस्त्र बलों में भर्ती होने का अवसर प्रदान करती है। यह योजना सशस्त्र बलों के युवाओं के प्रोफाइल को बेहतर करती है। इस प्रस्ताव के तहत युवाओं को कम अवधि के लिए सेना में कार्य करने का अवसर प्रदान करने की परिकल्पना की गई है। इस कदम के जरिए सशस्त्र बलों में युवाओं और अनुभवी कर्मियों के बीच एक अच्छा संतुलन सुनिश्चित करके एक अपेक्षाकृत अधिक युवा और तकनीकी रूप से सक्षम युद्ध लड़ने वाले सैन्य बल को भी तैयार किया जा सकेगा।

इस योजना के व्यापक उद्देश्य हैं:  सशस्त्र बलों की युवा छवि को बढ़ाना ताकि वे जोखिम लेने की बेहतर क्षमता के साथ हर समय अपने सर्वश्रेष्ठ युद्ध कौशल से लैस हों। देश के तकनीकी संस्थानों का लाभ उठाते हुए उन्नत तकनीकी सीमाओं से लैस, उभरती हुई आधुनिक तकनीकों का प्रभावी ढंग से उपयोग करने, उन्हें अपनाने और उनका उपयोग करने हेतु समाज से युवा प्रतिभाओं को आकर्षित करना। थोड़े समय के लिए वर्दी में राष्ट्र की सेवा करने के इच्छुक युवाओं को अवसर प्रदान करना।  युवाओं में सशस्त्र बलों के जोश, साहस, सौहार्द, प्रतिबद्धता और समूह की भावना को आत्मसात करना।  युवाओं को अनुशासन, जोश, प्रेरणा और कार्य-कुशलता जैसी योग्यताओं एवं गुणों से लैस करना ताकि वे हमारे लिए एक संपदा साबित हों।

कहते हुए दुःख होता है कि कुछ विषयों पर जिनपर राजनीति नहीं होनी चाहिए। उन राष्ट्रनीतियों के विषय पर भी देश में राजनीति हो रही है और सेना के अधिकारियों को आकर समझाना पड़ रहा है। सेना के अधिकारियों को कहना पड़ रहा है कि आगजनी और हिंसा के लिए इस देश में कोई स्थान नहीं है। हिंसा मत करिए। विपक्ष कहां पथ भटक चुका है ? आखिर विपक्ष चाहता क्या है ? प्रधानमंत्री जी 24 घण्टे काम करके Reform, Perform और Transform के पथ पर चलते हैं, अग्निपथ पर चलते हैं ताकि मेरा देश आगे बढ़ सके, मेरा भारत महान बन सके। लेकिन इस राष्ट्रनीति को कुछ लोग हजम नहीं कर पा रहे हैं, इसपर भी राजनीति हो रही है। जिस प्रकार सेना की कॉन्फ्रेंस में लेफ्टिनेंट जनरल पूरी ने अग्निपथ योजना को समझाया है। मुझे लगता है कि अब इसके विषय में कोई संशय नहीं है।

इस योजना से सशस्त्र बलों की संचालनात्मक प्रभावकारिता बढ़ेगी। एक युवा छवि, जोकि कम घबराहट के साथ लड़ाई के मैदान में उतरने की दृष्टि से अधिक योग्य होता है, से लैस होने की वजह से यह उम्मीद की जाती है कि इन कर्मियों की जोखिम लेने की क्षमता अधिक होगी। प्रौद्योगिकी के समावेश और प्रशिक्षण कार्यक्रमों में सुधार के साथ, सशस्त्र बल यह सुनिश्चित करेंगे कि इस योजना के तहत शामिल किए गए कर्मियों के पास वही कौशल हो, जो कि संचालनात्मक चुनौतियों से निपटने के लिए जरूरी है। चूंकि सशस्त्र बलों में प्रशिक्षण संबंधी मानक स्पष्ट रूप से परिभाषित होते हैं और उच्चतम अधिकारियों द्वारा इसकी निगरानी की जाती है, यह सुनिश्चित किया जाएगा कि अग्निवीर उच्चतम पेशेवर मानकों पर खरे उतरें।

साढ़े 17 वर्ष से लेकर 21 वर्ष की आयु के बीच अन्य शैक्षिक, शारीरिक और चिकित्सा संबंधी मानदंडों को पूरा करने वाले उम्मीदवारों को बड़े पैमाने पर अग्निवीर के रूप में नामांकित किया जाएगा। इस योजना का उद्देश्य भविष्य में कुछ तकनीकी पेशों के लिए आवश्यक कौशल के साथ आईटीआई/डिप्लोमा धारक योग्य उम्मीदवारों को नामांकित करके ‘स्किल इंडिया’ की पहल को बढ़ावा देना है। आज के युवा बेहतर भोजन खाते हैं, तेज एवं लंबे समय तक दौड़ते हैं, तकनीक के प्रति अधिक दक्ष हैं और परिस्थिति के अनुरूप अधिक आसानी से ढलने में माहिर हैं।

उद्देश्य एक प्रभावी प्रशिक्षण कार्यक्रम सुनिश्चित करने के लिए सिमुलेटर जैसी तकनीक का उपयोग करते हुए हमारे प्रशिक्षण के प्रारूप में वर्तमान पीढ़ी की प्रतिभा का दोहन करना है। चूंकि युवाओं की बुनियादी योग्यता और उनके गुणों में पिछले कुछ वर्षों में सुधार हुआ है, यह हमें शारीरिक एवं तकनीकी प्रशिक्षण दोनों के लिए अधिक समय उपलब्ध होने के साथ प्रशिक्षण के प्रारूप को पुनर्गठित करने का मौका देता है। यह हमें अपने वर्तमान प्रशिक्षण के प्रारूप की समीक्षा करने का भी अवसर देता है, ताकि उन्हें सामयिक, प्रौद्योगिकी आधारित और सशस्त्र बलों की जरूरतों के अनुरूप बनाया जा सके।

(लेखक राजनीतिक विश्लेषक हैं।) 

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