अमित शाह का कांग्रेस पर हमला, संविधान संशोधनों को लेकर भाजपा और कांग्रेस के दृष्टिकोण में अंतर बताया
चिरौरी न्यूज
नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को राज्यसभा में संविधान पर चल रही दो दिवसीय बहस के समापन पर कांग्रेस पार्टी पर तीखा हमला बोला। उन्होंने भाजपा के नेतृत्व वाली सरकारों द्वारा किए गए संविधान संशोधनों की तुलना कांग्रेस द्वारा किए गए संशोधनों से की।
अमित शाह ने कहा कि यह संसद सत्र देश के लोगों को यह समझने में मदद करेगा कि किस पार्टी ने संविधान के मूल्यों का सम्मान किया है और किसने नहीं। उन्होंने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि वह संविधान को एक ‘निजी जागीर’ के रूप में देखती है और इसका राजनीतिक लाभ लेने के लिए संशोधन करती है।
गृह मंत्री ने पूर्व प्रधानमंत्रियों जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी पर भाजपा के हमलों को जारी रखते हुए कहा कि कांग्रेस ने संविधान में 77 संशोधन किए, जबकि भाजपा ने 16 साल में केवल 22 संशोधन किए। उन्होंने यह भी बताया कि संविधान में संशोधन का अधिकार पहले से ही मौजूद था और दोनों दलों ने इसे प्रयोग में लाया है, लेकिन भाजपा ने नागरिकों को सशक्त बनाने और शासन को बेहतर बनाने पर ध्यान केंद्रित किया है, जबकि कांग्रेस ने राजनीतिक लाभ के लिए मूलभूत प्रावधानों में बदलाव किए हैं।
कांग्रेस शासन के दौरान किए गए प्रमुख संविधान संशोधन:
- पहला संशोधन (1951): यह संशोधन ने अनुच्छेद 19(1)(ए) के तहत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार को सीमित किया।
- 24वां संशोधन (1971): इस संशोधन ने संसद को नागरिकों के मौलिक अधिकारों को घटाने का अधिकार दिया।
- 39वां संशोधन (1975): आपातकाल के दौरान यह संशोधन प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के चुनावों को न्यायिक जांच से मुक्त कर दिया।
- 45वां संशोधन: अमित शाह के अनुसार यह भी राजनीति से प्रेरित था और इससे संविधान में बदलाव किया गया।
भा.ज.पा. शासन के दौरान किए गए प्रमुख संविधान संशोधन:
- 101वां संशोधन (2018): जीएसटी (माल और सेवा कर) लागू करने के लिए संविधान में बदलाव किया गया, जिसने भारत की कर संरचना को क्रांतिकारी रूप से बदला।
- 102वां संशोधन (2018): राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (एनसीबीसी) को संवैधानिक दर्जा दिया गया, जिससे पिछड़े समुदायों के लिए बेहतर प्रतिनिधित्व और अधिकार सुनिश्चित किए गए।
- 103वां संशोधन (2019): आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (ईडब्ल्यूएस) के लिए शिक्षा और सरकारी नौकरियों में 10% आरक्षण लागू किया गया।
- 105वां संशोधन (2021): संघीय व्यवस्था और क्षेत्रीय स्वायत्तता को बढ़ावा देते हुए राज्य सरकारों को सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों (एसईबीसी) की पहचान करने की शक्ति दी गई।
अमित शाह ने इन उदाहरणों के माध्यम से भाजपा के दृष्टिकोण को स्पष्ट किया, जिसमें उन्होंने कहा कि भाजपा ने संविधान में बदलाव करते समय नागरिकों के अधिकारों और शासन व्यवस्था को प्राथमिकता दी है, जबकि कांग्रेस ने इसे राजनीतिक फायदे के लिए इस्तेमाल किया।