चीन को जवाब देने के लिए सेना को मिली खुली छूट, सेना प्रमुखों के साथ मीटिंग में रक्षा मंत्री ने लिया फैसला
चिरौरी न्यूज़ डेस्क
नई दिल्ली: भारत सरकार ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए सीमा पर तैनात भारतीय सैनिकों को छूट दिया है कि वो अब एलएसी पर चीन की किसी भी करतूत से निपटने के लिए फायरिंग भी कर सकते हैं।
रूस की यात्रा पर जाने से पहले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की तीनो सेना के अध्यक्ष के साथ हुए बैठक में ये निर्णय लिया गया। चीन की सीमा पर जारी दुस्साहस का मुहतोड़ जवाब देने के लिए आज रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने तीनों सेना प्रमुख और सीडीएस, जनरल बिपिन रावत के साथ समीक्षा-बैठक की।
इस मीटिंग के बाद सरकार ने सेना को एलएसी पर चीन के किसी भी दुस्साहस से निपटने के लिए हथियार चलाने और गोलाबारी तक करने की छूट दे दी है। यानि सैनिक अब चीन के साथ सीमा को लेकर हुई संधियों से बंधे नहीं हैं। करीब एक घंटे चली इस मीटिंग में रक्षा मंत्री ने सैनिकों को चीन सीमा पर उत्पन्न किसी भी विषम-परिस्थिति में किसी भी तरह कार्रवाई की छूट दी है।
बता दें कि कल से रक्षा मंत्री तीन दिवसीय रूस की यात्रा पर जा रहे हैं। उससे पहले चीन सीमा पर बने हुए हालात को लेकर ये एक अहम मीटिंग थी। सूत्रों के मुताबिक, गलवान घाटी में हुई हिंसक संघर्ष के बाद समीक्षा कर पाया गया कि भारतीय सैनिकों ने 15/16 जून की रात इसलिए फायरिंग नहीं की थी क्योंकि भारत और चीन के बीच 1996 में एलएसी पर फायरिंग और गोलाबारी ना करने की संधि हुई थी। इस संधि के बाद से ही भारतीय सैनिक यहां कोई भी परिस्थिति हो फायरिंग नहीं करते थे। लेकिन अब ऐसा लगता है कि भारत सरकार ने चीन के साथ सीमा पर शांति बनाए रखने को हुई संधि को दरकिनार कर दिया है।
बता दें कि 1996 में भारत और चीन ने सीमा पर शांति बनाए रखने के लिए ‘मिलिट्री फील्ड’ में संधि की थी जिसके तहत दोनों देशों के सैनिकों को एलएसी यानि लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल के दो किलोमीटर के दायरे में किसी भी तरह की फायरिंग और गोलाबारी पर रोक थी। लेकिन ताज़ा हालत में भारत ने इस की समीक्षा की और अब सेना को इस संधि से पूरी तरह छूट दे दी गयी है।