शतायु भेलाह बाबा पंडित गोविन्द झा
चिरौरी न्यूज़
नई दिल्ली: कतेक आह्लादक गप्प अछि जे आई मैथिली साहित्य केर युग पुरुष पंडित गोविन्द झा जी अप्पन 100वां जन्मदिन मना रहल छथि। हुनक पूर्वजक आशीष आई फलित भ रहल छैन्हि। अथर्ववेद कें श्लोकक उपयोग करैत लोक अप्पन नेना कें आशीष दैत छथिन – जीवेम शरदः शतम्। ई आशीष हुनकें फलित होइत छन्हि जिनक पुरखा पुण्य कमौने रहैत छथि आ आशीषक अधिकारी सेहो पुण्यप्रतापी होइत छथि। एहि दृष्टिये बाबा पंडित गोविन्द झा पर देवता-पितर सभक बड्ड कृपा। हम अप्पनाकें सौभाग्यशाली बुझैत छी जे एहि पुण्यकुल मे छी।
करीब 250 सं बेसी पोथी (प्रकाशित, अप्रकाशित) कें रचनाकार पंडित गोविन्द झा आइयो ओतबै सक्रिय छथि, जतबा ओ 1944 मे छलाह। बरख 1944 जनतब ओहि दुआरे कि ओहि बरख हुनक पहिल पोथी मालविकाग्निमित्र: संस्कृत सं मैथिली मे अनूदित भेल रहैन्ह जकर प्रकाशन मैथिली साहित्य परिषद्, दरभंगा कएने रहय।
1944 मे जाहि डेग कें ओहि उठौला ओ आई धरि अनवरत आगां बढि रहल अछि। माय मैथिली कें सेवा मे अहर्निश लागल छथि। शतायु भेला पर ओ सदिखन एकटा समर्पित सेवक जकां सभदिन साहित्य साधना मे तल्लीन छथि। हां, बता दी जे समयक संग कोना तारतम्य बनाओल जाइत अछि, ओहि मे बाबा निष्णात छथि। पहिन कूची, तहन कलम आ पछिला दशक सं की-बोर्ड पर हिनक आंगुर जेना चलैत अछि, ओकरा देखि ई कहबा मे कनिको असोकर्ज नहि जे ई साक्षात सरस्वती पुत्र थिकाह। पंडित गोविन्द झा भाषाविद छथि। मैथिली (मातृभाषा), संस्कृत, हिंदी आ अँग्रेजी मे प्रवीणताक संगे-संगे बंगला, असमिया, ओडिया, नेपाली आ उर्दू मे सेहो प्रचुर ज्ञान रखैत छथि। ई सबटा मां वीणापाणि कें कृपा ने।
सगर संसार मे शाइते कोनो एहन विरले साहित्यकार हेताह जे शतायु भेला पर साहित्य साधना मे एहितरहें तल्लीन छथि। लिखबाक एतेक उत्कंठा जे नवतुरक संगे-संग सोशल मीडिया कें फेसबुक प्लेटफाॅर्म पर सभदिन अपन विचार आ संस्मरण लय उपस्थित रहैत छथि। संभव जे ई फराक सन कीर्तिमान होइन्हि।
पंडित गोविन्द झा, विद्यां ददाति विनयं कें प्रतिमूर्ति छथि। अपन एहि लौकिक जीवनकाल शाइते किनको ई ‘दुरछी’ धरि कहने हेताह।
ई हमर परम सौभाग्य थिक जे हुनक आशीर्वाद हमरा सदिखन भेटैत रहैत अछि। चाहे सोझां रहि वा मोबाइल फोन पर। माँ सरस्वीत आ मैथिलीक एहि सपूत कें अजुका दिन मे करजोरि बारम्बार प्रणाम। बाबा अप्पन आशीर्वाद एहिना हमरा पर बनौने रहब।