भावनाओं को व्यक्त करने का बदलता तरीका
आकांशा सिंह
नई दिल्ली: इमोटिकॉन या इमोजी एक ऐसा माध्यम है जिसके ज़रिए हम ऑनलाइन चैटिंग या बातचीत करते वक्त अपनी भावनाओं को प्रकट करते है। आमतौर पर जब हम आमने सामने बात करते है तो चेहरे से भावनाओं को समझ जाते है लेकिन यही बातचीत जब ऑनलाइन होती है तो अपने इमोशन को हम इमोजी के ज़रिए दर्शाना शुरू कर देते हैं.
इमोजी मोबाइल और वेब आधारित मैसेज कम्यूनिकेशन में चित्रमय पात्रों, स्माइली या इमोटिकॉन्स का उपयोग करने के लिए एक जापानी शब्द को संदर्भित करता है। इमोजी को पिक्टोग्राफ, आइडियोग्राम, स्माइली और इमोटिकॉन्स भी कहा जा सकता है।
इमोजी या इमोटिकॉन का अविष्कार 1982 में कार्नेगी मेलॉन विश्वविद्यालय में एक जोक के गलत होने के कारण हुआ। एक ऑनलाइन मैसेज बोर्ड में पोस्ट किए गए फर्जी मर्क्यूरी स्पिल के बारे में एक गड़बड़ ने विश्वविद्यालय को चिढ़ा दिया, और इस भ्रम के कारण डॉ स्कॉट ई. फहलमैन ने सुझाव दिया कि चुटकुले और गैर-चुटकुले उन पात्रों के दो सेटों द्वारा चिह्नित किए जाते हैं जिन्हें हम स्टैंडर्ड इमोटिकॉन्स के रूप में पहचानते हैं: स्माइली फेस : – ) और फ्राइंग फेस : – ( इसके बाद ऑनलाइन की दुनिया में संकेत के साथ अपने भाव जाहिर करने के लिए एक नया और अनोखा तरीका सामने आ गया।
इमोजी की दुनिया देखते देखते इतनी आगे बढ़ गई है कि अब पूरे वर्ल्ड में 17 जुलाई को वर्ल्ड इमोजी डे मनाया जाता है। और विकिपीडिया पर हम किसी भी प्रकार की जानकारी हासिल कर लेते है वैसे ही एमोजीपीडिया भी है जहाँ हर तरह के इमोजी और उसकी जानकारी प्राप्त की जा सकती है।
इमोजीपीडिया की शुरुआत जेरेमी वर्ग ने वर्ष 2014 में की थी। आज हर एक स्मार्ट फ़ोन में, किसी भी सोशल नेटवर्किंग साइट पर हर जगह इमोजी का खास इस्तेमाल किया जाता है. पर इसी बीच इमोजी के बढ़ते एवं बदलते दौर में इंसान अपनी जीवित भावनाओं से दूर दिखावे की दुनिया में और खूबसूरती के साथ जीने लगा है। जहाँ उसके भाव कुछ और होते हैं, पर वह इमोजी के ज़रिए दिखाता कुछ और है। इमोजी अब हमारे इमोशन्स को बदलने लगी है। अब हम अपने भाव व्यतीत करने के लिए लंबा चौड़ा टेक्स्ट नहीं एक इमोजी से दर्शा देते हैं। अब पहले की तरह बात कर के एहसास नहीं दिलाते बल्कि इमोजी का इस्तेमाल कर के भावनाओं को तोड़ मरोड़ कर है दिखाते। असल में इमोटिकॉन्स अब हमारी भावनाओं को धीरे धीरे बदलते जा रहा है।