कालेज टीचर्स ऐशोसिएशन हरियाणा ने की ‘विशेष एक्स-ग्रेशिया/कंपैशियोनेट आर्थिक सहायता नीति’ को ऐडिड कॉलेजों के स्टाफ पर लागू करने की माँग
चिरौरी न्यूज़
नई दिल्ली: हरियाणा कालेज टीचर्स ऐशोसिएशन ने सरकार से कोरोना महामारी से मृत्यु हुई किसी भी कर्मचारी के आश्रितों को हरियाणा सरकार के द्वारा बनायी गयी ‘विशेष एक्स-ग्रेशिया नीति’ के तहत आर्थिक मदद की मांग की है। हरियाणा कालेज टीचर्स ऐशोसिएशन ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर सरकार से मांग की है कि प्रदेश के 97 एडेड कॉलेजों में कार्यरत कर्मचारियों को भी स्पेशल एक्स ग्रेशिया/स्पेशल कंपैशनेट फाइनेंशियल एसिस्टेंस पॉलिसी का लाभार्थी बनाया जाय।
बता दें कि हरियाणा सरकार ने 8 जून 2021 को एक नीति बनायी है जिसमें कोरोना महामारी के कारण हरियाणा सरकार में कार्यरत किसी भी कर्मचारी की मृत्यू हो जाने पर परिवार के आश्रितों के लिए एक ‘विशेष एक्स-ग्रेशिया नीति’ के तहत आर्थिक लाभ मिलेगा। लेकिन हरियाणा सरकार ने प्रदेश के 97 एडेड कॉलेजों में कार्यरत कर्मचारियों को स्पेशल एक्स ग्रेशिया/स्पेशल कंपैशनेट फाइनेंशियल एसिस्टेंस पॉलिसी का पात्र लाभार्थी नहीं बनाया है। हरियाणा कालेज टीचर्स ऐशोसिएशन का कहना है कि सरकार की यह नीति सरासर विभेदनकारी है।
हरियाणा कालेज टीचर्स ऐशोसिएशन के प्रेसिडेंट डॉ राजबीर सिंह ने कहा कि, “इन कॉलेजों में कार्यरत कर्मचारियों पर हरियाणा सरकार द्वारा बनाए सारे सर्विस लीव रुल्स एंड रेगुलेशन्स लागू होते हैं l इन कॉलेजों को 95% अनुदान सरकार द्वारा दिया जाता है, बाकी बचा 5 प्रतिशत मैनेजमैन्टस द्वारा वहन किया जाता है। शिक्षा के क्षेत्र मे इन महाविद्यालयों का योगदान सर्वोपरि रहा है। स्टाफ की सिलेक्शन भी यूजीसी और हरियाणा सरकार के नियमानुसार होने के साथ ही लिखित परीक्षा और साक्षात्कार में उच्चतर शिक्षा विभाग और यूनिवर्सिटी के नॉमिनी होते हैं। यहां तक कि फाइनल अप्रूवल भी उच्चतर शिक्षा विभाग, पंचकुला द्वारा दी जाती है l फिर भी जब जब इन कालेजों में कार्यरत कर्मचारियों को भत्ते और अन्य लाभ देने की बारी आती है, तो सरकारों द्वारा हर बार इनकी अनदेखी की जाती है।”
डॉ राजबीर सिंह ने कहा कि, “इतना ही नही, एक्स- ग्रेशिया की जो पॉलिसी पहले इन कर्मचारियों पर लागू होती थी, उसको भी इनसे छीन लिया गया है।“
सरकार के इस विभेदनकारी नीति पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि, “8 जून, 2021 को लागू विशेष एक्स-ग्रेशिया नीति को एडिड कालेजों के स्टाफ पर लागू किया जाए।“
डॉ राजबीर सिंह ने कहा कि, “बीते 1 साल के दौरान लगभग 15 से 20 कर्मचारी करोना महामारी के कारण अपनी जान गंवा चुके हैं। जिनमें से डॉ गुरविंदर सिंह (एस डी कॉलेज, अम्बाला छावनी), डॉ जोगिंद्र (डीएन कॉलेज, हिसार), डॉ शशि सोलंकी (सी आर एम जाट कॉलेज, हिसार), डॉ नमीषा (सी आईएसकेएमवी, ढांड, कैथल), डॉ मनोज कुमार (एमपीएन कॉलेज, मुलाना), सुरेंद्र सिंह और सुरेश कुमार (हिंदू कॉलेज, सोनीपत) और अन्य बहुत से गैर शिक्षक कर्मचारी अब हमारे बीच नही रहे जिस कारण से इन कर्मचारियों के परिवार न केवल आर्थिक रुप टूट चुके है बल्कि सामाजिक रुप से भी खतरे में डाल दिए गए हैं। इन कॉलेजों में कार्यरत एनपीएस कर्मचारियों की डेथ-कम- रिटायरमेंट ग्रेच्युटी की फाइल भी पिछले चार साल से उच्च शिक्षा विभाग में धूल फांक रही हैl”
डॉ राजबीर सिंह ने सरकार से आग्रह किया कि बिना किसी भेदभाव और देरी के इस पॉलिसी को ऐडिड कालेजों में कार्यरत कर्मचारियों के आश्रितों पर लागू किया जाए ताकि इनकी आर्थिक और सामाजिक सुरक्षा को कोई क्षति न पहुँच पाए।