कांग्रेस ने मोदी सरकार पर RTI क़ानून को कमजोर करने का आरोप लगाया

Congress accuses Modi government of weakening RTI Act
(File Photo: Congress Twitter)

चिरौरी न्यूज

नई दिल्ली: कांग्रेस ने मंगलवार को नरेंद्र मोदी सरकार पर नए डेटा सुरक्षा क़ानून के जरिए ‘सूचना का अधिकार (RTI) क़ानून’ को कमजोर करने का आरोप लगाया और कहा कि उनकी पार्टी “तानाशाही” शासन के खिलाफ लड़ाई जारी रखेगी ताकि लोगों के अधिकार सुरक्षित रह सकें।

कांग्रेस ने अपने तर्क को ‘गोपनीयता के अधिकार’ और ‘सूचना के अधिकार’ के बीच संतुलन पर केंद्रित किया, यह दावा करते हुए कि सार्वजनिक कल्याण योजनाओं और वित्तीय गड़बड़ियों के बारे में महत्वपूर्ण डेटा नए कानून के तहत छिप सकता है।

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने X पर एक पोस्ट में कहा, “एक ओर भारत पिछले कुछ वर्षों से झूठी जानकारी और गलत सूचना में सबसे ऊपर आ रहा है, वहीं दूसरी ओर मोदी सरकार कांग्रेस-यूपीए द्वारा लागू किए गए RTI क़ानून को कमजोर करने पर तुली हुई है, डेटा सुरक्षा क़ानून लेकर।”

उन्होंने कहा, “चाहे वह सार्वजनिक क्षेत्र से जुड़ी जानकारी हो जैसे राशन कार्ड सूची, MGNREGA के लाभार्थी श्रमिकों के नाम, सार्वजनिक कल्याण योजनाओं के तहत लाभार्थियों के नाम, चुनाव में मतदाता सूची, या सरकार से लोन लेकर विदेश भागने वाले ‘घोटालेबाज अरबपतियों’ के नाम हो, यह जरूरी है कि इन सभी नामों को सार्वजनिक डोमेन में उपलब्ध कराया जाए।”

खड़गे ने कहा, “गोपनीयता के अधिकार का भी ध्यान कांग्रेस के RTI में रखा गया था, लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि लाभार्थियों की सूची या धोखाधड़ी करने वालों के नाम सार्वजनिक न किए जाएं।”

उन्होंने आरोप लगाया कि मोदी सरकार “डेटा सुरक्षा के नाम पर RTI को कमजोर कर रही है”, जिसके कारण ऐसे नाम अब सार्वजनिक नहीं किए जा सकेंगे।

खड़गे ने कहा, “कांग्रेस पार्टी RTI को कमजोर नहीं होने देगी, हमने इसके लिए पहले भी अपनी आवाज उठाई है और सड़क से लेकर संसद तक अपनी आवाज उठाते रहेंगे।”

RTI क़ानून, जिसे 2005 में कांग्रेस-यूपीए सरकार के तहत लागू किया गया था, नागरिकों को सार्वजनिक अधिकारियों से जानकारी प्राप्त करने का अधिकार देता है। हालांकि, डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन एक्ट, 2023 के परिचय ने इस डेटा की उपलब्धता पर संभावित प्रतिबंधों को लेकर चिंताएं उत्पन्न की हैं।

सरकार का कहना है कि नया क़ानून व्यक्तिगत गोपनीयता की सुरक्षा के लिए है, जिसे सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक 2017 के निर्णय में मौलिक अधिकार के रूप में मान्यता प्राप्त है (न्यायमूर्ति केएस पुट्टस्वामी (सेवानिवृत्त) बनाम भारत संघ)।

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