टीम कॉम्बिनेशन को लेकर असमंजस जारी, भारत टी20 विश्व कप से करीब-करीब बाहर
ईश्वर नाथ झा
अगर अप्रत्याशित उलटफेर नहीं हुआ तो पहले पाकिस्तान के हाथों मिली 10 विकेट की शर्मनाक हार और रविवार को न्यूजीलैंड से हारने के बाद भारतीय टीम का T20 वर्ल्ड कप से विदाई तय है। जितनी उम्मीदों के साथ टीम इस बार वर्ल्ड कप में पहुंची थी उसके हिसाब से देखा जाय तो भारतीयों का प्रदर्शन बहुत निराशाजनक रहा है। पाकिस्तान के साथ हाई प्रेशर मैच में टीम बुरी तरह से बिखड़ी नज़र आई जबकि न्यूज़ीलैण्ड के विरुद्ध गलत टीम कॉम्बिनेशन के साथ खेलने का खामियाजा भुगतना पड़ा।
अब इस हार से भारत के सेमीफाइनल में पहुंचने की संभावना बहुत कम है। भारत को अब अफगानिस्तान, स्कॉटलैंड और नामीबिया के खिलाफ अपने तीन शेष मैच जीतने की जरूरत है, जबकि उम्मीद है कि अन्य परिणाम और नेट रन रेट समीकरण भारत के अनुसार हों।
दो मैच में हारने के बाद कैप्टन विराट कोहली और टीम मैनेजमेंट पर उँगलियाँ उठनी शुरू हो गयी है। कुछ खिलाडियों को टीम में रखने को लेकर सवाल खड़े किये जा रहे हैं जबकि उनका प्रदर्शन लगातार ख़राब है। विराट कोहली की कप्तानी पर भी सवाल उठने शुरू हो गए है।
भारत के सबसे बेहतरीन बॉलर में से एक रविचंद्रन अश्विन को टीम से क्यों बाहर बैठाया गया है, इसका जवाब शायद ही किसी के पास हो। ये भी एक मिस्ट्री है कि अश्विन को पहले इंग्लैंड दौरे में प्लेयिंग टीम में जगह क्यों नहीं मिली थी और अब दो महत्वपूर्ण मैच में उसे टीम में नहीं रखा गया। मिस्ट्री स्पिनर के नाम पर वरुण चक्रबर्ती का सिलेक्शन को सिर्फ कप्तान ही सही ठहरा सकते हैं।
वरुण और अश्विन दोनों अगर टीम में होते तो भारतीय टीम कम से कम बोलिंग में मजबूत होती। वैसे भी दोनों में से किसी एक को टीम में सेलेक्ट करना हो तो अश्विन के एक्सपीरियंस को देखते हुए 100 में से 99 लोग उसे ही टीम में जगह देंगे लेकिन भारतीय टीम मैनेजमेंट और कप्तान कोहली शायद कुछ और सोचते हों।
हार्दिक पंड्या का टीम में क्या रोल है शायद ही किसी की समझ में आ रहा है। ये सब जानते हैं कि हार्दिक पंड्या कंधे की चोट से उबर नहीं पाए हैं। उन्हें फिफ्थ बॉलर के रूप में इस्तेमाल के लिए टीम में रखा गया है लेकिन वह बोलिंग नहीं कर पा रहे। पाकिस्तान के खिलाफ उन्होंने बोलिंग नहीं की।
न्यूज़ीलैण्ड के खिलाफ भारत के तीन मध्यम पेसर खेले जिसमें मोहमाद शमी ने एक ओवर किया, हार्दिक पंड्या ने 2 ओवर और शार्दुल ठाकुर जिसे भुवनेश्वर कुमार की जगह टीम में लाया गया था, से सिर्फ एक ओवर ही कराया गया। अब इस बात का जवाब शायद ही किसी के पास है कि जब शार्दुल से सिर्फ एक ओवर ही कराना था तो उन्हें क्यों टीम में लाया गया।
पाकिस्तान के साथ हारने के बाद कोहली ने प्रेस कांफ्रेंस में जिस तरह टीम सिलेक्शन को लेकर पूछे गए सवाल का जबाव दिया था उसे देखते हुए लगता है कि कोहली और बीसीसीआई सवालों से उपर है। उसके फैसले पर कोई ऊँगली नहीं उठा सकता। लेकिन सोशल मीडिया पर अब कोहली सहित भारतीय टीम मैनेजमेंट की जमकर आलोचना हो रही है।
पाकिस्तान के साथ मैच हारने के बाद शमी की खूब आलोचना हुई और उनके बचाव में कप्तान सहित कई लोग सामने आये। लेकिन अगर उनके परफॉरमेंस की बात की जाय तो इन दो मैचों में मोहम्मद शमी शायद ही अपने पुराने रंग में नज़र आये हैं। उन्होंने पाकिस्तान के विरूद्ध भी 11 से ज्यादा के एवरेज से रन दिए थे, और कल के मैच में भी सिर्फ एक ओवर में 11 रन दे दिए। अब उनमें न तो स्पीड रही और न ही उनका लाइन और लेंथ ठीक चल रहा है, लेकिन कोहली का भरोसा अब भी उनमें है। बैटिंग में सूर्यकुमार यादव की जगह इशान किशन को लाया गया लेकिन वह भी नहीं चल पाए।
टीम मैनेजमेंट से पिच को पढने में भी गलती हो रही है। ये सभी को मालूम है कि दुबई में ओस की कितनी महत्ता है। तो इसमें वहां स्लो बॉलर ही ज्यादा उपयोगी हो सकते हैं। लेकिन फिर भी अश्विन को बाहर बैठाया गया है।
कोई भी टीम एक दिन मे कमजोर या ताकतवर नहीं हो जाती। विश्व कप से दुखदायी विदाई, जो सुनिश्चित-सी है, के लिए जिम्मेदार भारतीय टीम के साथ साथ इस T20-विश्व कप की मेजबान बीसीसीआई है जिसने ओस की अहम भूमिका को दरकिनार कर दुबई में शाम साढे सात बजे से मैच रखे ताकि उसे ज्यादा से ज्यादा रेवेन्यू मिले, जबकि आईपीएल के दौरान दुबई में मुकाबले की हार-जीत का फैसला टीमों के खेल से ज्यादा सिक्के की उछाल तय कर दे रहा था।
वही जुए सरीखी कहानी T20-विश्व कप में भी दोहराई जा रही है। खेल की सही मायने में जीत तब होती जब यहां मैच सिर्फ भारतीय समयानुसार तीन बजे ही रखे गए होते। लेकिन धनलोलुप क्रिकेट बोर्ड के लिए टीम की हार-जीत नहीं सिर्फ पैसा मायने रखती है। पहले पाकिस्तान और अब न्यूजीलैंड से पिटने के बाद टीम इंडिया की इस विश्व कप से विदाई सुनिश्चित है और उसके बाद दर्शक भी मैदान से और टीवी से गायब होने ही वाले हैं।