ऐसा हुआ तो डीडीसीए का कद बढ़ेगा
राजेंद्र सजवान
भले ही क्रिकेट पर लाख आरोप लगें लेकिन यह खेल ऐसा बहुत कुछ कर रहा है जोकि बाकी भारतीय खेलों के लिए सबक है तो खेल से जुड़े लाखों खिलाड़ी लाभान्वित भी हो रहे हैं। ताज़ा उदाहरण दिल्ली जिला क्रिकेट संघ(डीडीसीए) द्वारा अपने खिलाड़ियों, अधिकारियों, अंपायरों, कोचों, स्कोरर, चयनकर्ताओं और ग्राउंड स्टाफ के हित में लिया गया फ़ैसला है।
कोविड 19 से हुए नुकसान से राहत दिलाने के लिए जिला क्रिकेट संघ ने सभी वर्गों की बक़ाया रकम के तुरंत भुगतान का फ़ैसला किया है, जोकि लंबे समय से पेंडिंग थी। इस दिशा में एक बड़ा ऐतिहासिक कदम यह उठाया जा रहा है कि डीडीसीए ने राज्य के तमाम अंतरराष्ट्रीय और प्रथम श्रेणी के खिलाड़ियों के लिए 10-10 लाख का स्वास्थ्य बीमा कराने की दिशा में प्रयास शुरू कर दिया है।
कोषाध्यक्ष शशि खन्ना के अनुसार अध्यक्ष रोहन जेटली इस बारे में गंभीरता से विचार कर रहे हैं। श्रीमती खन्ना के अनुसार डीडीसीए दिल्ली की क्रिकेट से जुड़े खिलाड़ियों, कोचों और हर तबके की परेशानी को समझती है और उनके अध्यक्ष हर संभव सहायता के लिए तत्पर हैं।
गए सालों में डीडीसीए पर स्थानीय क्रिकेट अधिकारियों, खिलाड़ियों, सदस्यों और अन्य द्वारा गंभीर आरोप लगाए जाते रहे हैं। शशि खन्ना के अनुसार उनके डायनेमिक अध्यक्ष रोहन जेटली डीडीसीए को साफ सूत्री इकाई बनाने और खिलाड़ियों को हर सहायता पहुँचाने के लिए दृढ़ संकल्प हैं। स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी को शीघ्र अति शीघ्र कार्यरूप देने की मंशा के साथ जेटली अन्य महत्वपूर्ण पहलुओं पर भी विचार कर रहे हैं। ऐसा होता है तो यह अपने आप में एक उदाहरण होगा।
इसमें दो राय नहीं कि भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड एक धन कुबेर है। उसकी सदस्य इकाइयों के पास भी पैसे और साधनों की कमी नहीं है। यह भी सच है कि क्रिकेट खिलाड़ी अन्य खिलाड़ियों की अपेक्षा धनऔर मान सम्मान के मामले में कहीं आगे हैं। इसलिए क्योंकि क्रिकेट ने तमाम आरोपों और आलोचनाओं के बावजूद खुद को मज़बूत बनाए रखा है।
जहाँ एक ओर बाकी भारतीय खेल पैसे पैसे के लिए सरकार का मुँह ताकते फिर रहे हैं, क्रिकेट ने खुद को इतना बुलंद कर दिया है जिसके बारे में अन्य खेल कभी सोच भी नही सकते। यही कारण है कि भारतीय क्रिकेट हर विधा में अव्वल है और लगातार तरक्की कर रही है।
डीडीसीए की कोशिश इस बात का प्रमाण है क़ि देश की राजधानी के क्रिकेट कर्णधारों को क्रिकेट, अपने खिलाड़ियों, कोचों और सपोर्ट स्टाफ की चिंता है। बोर्ड भी जानता है कि उसका अस्तित्व खेल और खेल से जुड़े लोगों से है। यही कारण है कि बीसीसीआई, और उसकी सदस्य इकाइयों को डीडीसीए का कदम भा गया है। हो सकता है कि निकट भविष्य में अन्य राज्यों की क्रिकेट इकाइयाँ भी डीडीसीए का अनुसरण करें, जोकि एक स्वागत योग्य प्रयास है। लेकिन यह न भूलें कि डीडीसीए वादे से मुकरने के लिए भी खासी चर्चित रही है।
वैसे भी देखा जाए तो पूर्व खिलाड़ियों की हालत कोई बहुत अच्छी नहीं है। आईपीएल ने वर्तमान खिलाड़ियों को करोड़पति बना दिया है लेकिन पुराने खिलाड़ी अन्य खेलों के खिलाड़ियों जैसा जीवन जी रहे हैं। यदि दिल्ली ने अपने खिलाड़ियों के हित में कदम उठाया है और उन्हें लाभ पहुँचता है तो डीडीसीए की विश्वसनीयता बढ़ेगी ।
(लेखक वरिष्ठ खेल पत्रकार हैं।)