डीयू: स्थायी, तदर्थ व अतिथि शिक्षकों और कर्मचारियों के सामने वेतन संकट, कुछ कॉलेजों में पेंशन भी नहीं मिला

DU: Salary crisis in front of permanent, ad hoc and guest teachers and employees, pension not even received in some collegesचिरौरी न्यूज

नई दिल्ली: गुरु पूर्णिमा के उत्सव के बीच दिल्ली विश्वविद्यालय के कुछ कॉलेजों में पूरी प्रतिबद्धता और लगन के साथ भारत की नई पौध को ज्ञान से सींच रहे शिक्षक आर्थिक समस्या से जूझ रहे हैं। AADTA विभिन्न कॉलेजों में वेतन और पेंशन की विलंबित और अनियमित रूप से दिए जानें के मुद्दे को बार-बार उठाता रहा है। लेकिन चिंता की बात यह है कि कुछ मामलों में, यह देरी 5 महीने तक पहुंच गई है।

AADTA ने कहा, “लगभग 2 साल पहले, हमने पीएफएमएस (सार्वजनिक वित्त प्रबंधन प्रणाली) के साथ लेखांकन हेड्स के पुनर्गठन के कारण विश्वविद्यालय में उपजने वाले वेतन और पेंशन के ऐसे आसन्न संकट के बारे में डूटा अध्यक्ष को आगाह किया था। AC, EC और DUTA कार्यकारिणी में भी हमारे निर्वाचित सदस्य पूरी तत्परता के साथ लगातार इस मुद्दे को उठाते रहे हैं। विगत दिनों कुलपति को दिए गए अपने अभ्यावेदन में, हमारे निर्वाचित सदस्यों ने “तत्काल आधार पर उचित उपाय करने की मांग की है क्योंकि उपर्युक्त वित्तीय समस्याओं ने अब गंभीर संकट का रूप ले लिया है। वे अब छिटपुट न रह के एक गंभीर व्यापक समस्या हो गई हैं।”

हमारे निर्वाचित सदस्यों ने समय-समय पर, विश्वविद्यालय प्रशासन को सिर्फ कागज पर अथवा आश्वासन तक सीमित न रहते हुए, इन व्यापक वेतन और पेंशन संकटों को व्यवहारिक रूप से हल करने के लिए, तत्काल हस्तक्षेप करने पर जोर दिया है।

AADTA ने इन समस्याओं का विवरण निम्नलिखित रूप से दी है:

1. जुलाई शुरू होने के बावजूद शिक्षकों और कर्मचारियों को उनकी जून की सैलरी का अब तक इंतजार है। कुछ मामलों में, बकाया एक महीने से अधिक का है। कई कॉलेजों में एक सप्ताह की देरी से वेतन भुगतान एक सामान्य बात बन गई है। इससे ईएमआई और ईसीएस के समय में बड़ी मुश्किलें पैदा हो रही हैं।

2. 16 जून 2023 को हमने कॉलेज के डीन को पत्र लिखकर चिंता जताई कि दयाल सिंह कॉलेज और गार्गी कॉलेज में पिछले तीन महीनों से तदर्थ शिक्षकों को वेतन का भुगतान नहीं किया गया है।

3. तदर्थ शिक्षकों और संविदा कर्मचारियों के वेतन मद को स्थायी शिक्षकों के वेतन मद से अलग कर, पेंशन मद में एक साथ ले आया गया है, जिससे वेतन और पेंशन का ऐसा संकट पैदा हो गया। हम इसके विरोध में लगातार आवाज़ उठा रहे हैं। लेकिन इस पर अभी तक ध्यान नहीं दिया गया है और हमारे साथियों को परेशानी हो रही है।

4. कई कॉलेजों में अतिथि शिक्षकों का पारिश्रमिक भी एक माह से अधिक समय से लंबित है. कुछ मामलों में, अतिथि शिक्षकों को पिछले 5 महीनों से भुगतान नहीं किया गया है।

5. कई महाविद्यालयों में सेवानिवृत्त शिक्षकों एवं कर्मचारियों को एक माह से अधिक समय से पेंशन नहीं मिली है। कुछ मामलों में, मासिक पेंशन का केवल आंशिक भुगतान ही जारी किया गया था। इन वरिष्ठ साथियों ने हमारे विश्वविद्यालय और महाविद्यालयों की गौरवशाली यात्रा में अपना पसीना और खून बहाया है और उनमें से कई तो पूरी तरह से अपनी पेंशन पर ही निर्भर हैं। कोई भी देरी उनकी गरिमा के अनुरूप नहीं है जो उन्होंने अर्जित की है।

AADTA के इन निर्वाचित सदस्यों द्वारा यह प्रतिवेदन कुलपति को दिया–
डॉ सीमा दास, राजपाल सिंह पवार, सदस्य कार्यकारी परिषद।
आनंद प्रकाश, प्रोफेसर देव नंदन कुमार, प्रोफेसर अंजू जैन, सदस्य, डूटा कार्यकारी।
राम किशोर यादव, आलोक रंजन पांडे, ममता चौधरी, डॉ. सुनील कुमार, और सीएम नेगी, एसी सदस्य।

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