मारे गए चीनी सैनिकों के परिवारों ने माँगा भारत के सैनिकों की तरह सम्मान; ड्रैगन ने कहा, बाद में बताएंगे
चिरौरी न्यूज़
नई दिल्ली: चीनी सीमा पर भारतीय सैनिकों के शहीद होने के बाद देश मेंजिसे मन में आ रहा है वो व्यक्त कर रहा है, जबकि चीन में ऐसा नहीं है। पूर्वी लद्दाख के गलवान घाटी में 15 जून की रात हिंसक झड़प में भारत और चीन दोनों ही देशों के सैनिकों की जान गई। भारत में पूरे राजकीय सम्मान के साथ सैनिकों का अंतिम संस्कार किया गया, उन्हें राष्ट्रनायक के रूप में यहाँ की जनता और सरकारें देख रही है। लेकिन चीन में सैनिकों और उनके परिवार का सम्मान तो दूर की बात जनता को उन सैनिकों के नाम तक नहीं बताए जा रहे हैं, जो भारत के साथ लड़ाई में मारे गए थे।
अब वहां की जनता ने भारत की तरह शहीदों के सम्मान की मांग की है जिसे शांत करने की कोशिश करते हुए चीनी अधिकारियों ने कहा है कि बाद में बताएंगे। सत्ताधारी चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स के एडिटर हू शिजिन ने एक लेख में लिखा, ”सेना में मरने वालों को सर्वोच्च सम्मान दिया जाता है और समाज को बाद में सही समय पर सूचना दी जाएगी, ताकि हीरोज का सम्मान हो और उन्हें याद रखा जाए, जिसके वे हकदार हैं।
बता दें कि ये लेख उस वीडियो के सामने आने के दो दिन बाद लिखा गया है, जिसमें सैनिकों के परिजन आक्रोश प्रकट करते हुए भारत के शहीदों की तरह सम्मान की मांग कर रहे थे। सैनिकों के परिवारों ने कहा कि भारत में शहीदों का बहुत सम्मान होता है, लेकिन यहां ना तो कोई सम्मान दिया जाता है और ना ही पहचान दी जाती है।
चीन की सरकार के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स ने यह स्वीकार किया है कि झड़प में चीनी सैनिक मारे गए, लेकिन चीन की सरकार अभी तक इस मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए है। ग्लोबल टाइम्स के एडिटर हू ने लिखा, ”अभी तक चीनी सेना ने मारे गए सैनिकों के बारे में कोई सूचना नहीं दी है। मैं समझता हूं कि यह आवश्यक कदम है, जिसका उद्देश्य दो देशों की जनताओं की भावनाओं को नहीं भड़कने देना है।”
उन्होंने हमले में चीन के 40 सैनिकों के मारे जाने संबंधी दावों को खारिज किया।