नहीं रहे हिंदी सिनेमा के दिग्गज फ़िल्मकार बासु चटर्जी
न्यूज़ डेस्क
नई दिल्ली: चित्तचोर, रजनी, बातों बातों में, उस पार, छोटी सी बात, खट्टा-मीठा, पिया का घर जैसी कई यादगार हिंदी फिल्मो के लेखक और निर्देशक बासु चटर्जी का 90 साल की उम्र में मुम्बई के सांताक्रूज स्थित उनके घर पर आज निधन हो गया. बासु चटर्जी जिन्हें प्यार से लोग बासु दा हैं, लम्बे समय से डायबीटीज व हाई ब्लड प्रेशर जैसी बिमारियों से ग्रसित थे.
बासु दा की निधन की खबर अशोक पंडित ने एक चैनल को दी और बताया कि उम्र संबंधी बीमारियों के चलते बासु दा का निधन हुआ है और आज दोपहर 2.00 बजे सांताक्रूज के शवदाह गृह में उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा.
70 और 80 के दशक में हिंदी सिनेमा में बासु दा एक बड़ा नाम थे. वास्तविक जिन्दगी को सिमेमा के रुपहले परदे पर लाने की कोशिश बासु दा ने अपनी फिल्मो के माध्यम से किया. बासु दा ने चित्तचोर, रजनी, बातों बातों में, उस पार, छोटी सी बात, खट्टा-मीठा, पिया का घर, चक्रव्यूह, शौकीन, रुका हुआ फैसला, जीना यहां, प्रियतमा, स्वामी, अपने पराये, एक रुका हुआ फैसला जैसी कई फिल्मों का निर्देशन किया और हिंदी सिनेमा की दुनिया में अपनी एक अलग पहचान कायम की. इनके अलावा उन्होंने सफेद झूठ, रत्नदीप, हमारी बहू अलका, मनपसंद, कमला की मौत, त्रियाचरित्र जैसी फ़िल्में भी बनायीं जो ज्यादा सफल नहीं हुई.
1969 में आने वाली फिल्म सारा आकाश के जरिए फिल्मी दुनिया में कदम रखने वाले बासु दा ने पहले 1966 में रिलीज हुई राज कपूर और वहीदा रहमान स्टारर फिल्म तीसरी कसम के निर्देशक बासु भट्टाचार्य के सहायक के तौर पर भी काम किया था. आपको जानकार आश्चर्य होगा कि बासु दा ने अपने करियर की शुरुआत एक कार्टूनिस्ट के तौर साप्ताहिक अखबार ‘ब्लिट्ज’ से की थी. और वहां उन्होंने 18 साल तक काम किया था, उसके बाद उन्होंने फिल्मों से जुड़ने और फिल्म निर्देशन करने का फैसला किया.
मध्यवर्गीय समस्याओं को लेकर फिल्में बनाना बासु दा की सबसे बड़ी खासियतों में से एक थी. बासु दा ने दूरदर्शन के लिए ब्योमकेश बख्शी, रजनीगंधा जैसे बेहद लोकप्रिय सीरियल्स का भी निर्देशन किया, जिन्हें उनकी बेहतरीन फिल्मों की तरह की आज भी याद किया जाता है.
चित्तचोर, रजनी, बातों बातों में, उस पार, छोटी सी बात, खट्टा-मीठा, पिया का घर जैसी कई यादगार हिंदी फिल्मो के लेखक और निर्देशक बासु चटर्जी का 90 साल की उम्र में मुम्बई के सांताक्रूज स्थित उनके घर पर आज निधन हो गया। बासु चटर्जी जिन्हें प्यार से लोग बासु दा बोलते हैं, लम्बे समय से डायबीटीज व हाई ब्लड प्रेशर जैसी बिमारियों से ग्रसित थे। बासु दा की निधन की खबर अशोक पंडित ने एक चैनल को दी और बताया कि उम्र संबंधी बीमारियों के चलते बासु दा का निधन हुआ है और आज दोपहर 2।00 बजे सांताक्रूज के शवदाह गृह में उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।
70 और 80 के दशक में हिंदी सिनेमा में बासु दा एक बड़ा नाम थे। वास्तविक जिन्दगी को सिमेमा के रुपहले परदे पर लाने की कोशिश बासु दा ने अपनी फिल्मो के माध्यम से किया। बासु दा ने चित्तचोर, रजनी, बातों बातों में, उस पार, छोटी सी बात, खट्टा-मीठा, पिया का घर, चक्रव्यूह, शौकीन, रुका हुआ फैसला, जीना यहां, प्रियतमा, स्वामी, अपने पराये, एक रुका हुआ फैसला जैसी कई फिल्मों का निर्देशन किया और हिंदी सिनेमा की दुनिया में अपनी एक अलग पहचान कायम की। इनके अलावा उन्होंने सफेद झूठ, रत्नदीप, हमारी बहू अलका, मनपसंद, कमला की मौत, त्रियाचरित्र जैसी फ़िल्में भी बनायीं जो ज्यादा सफल नहीं हुई।
1969 में आने वाली फिल्म सारा आकाश के जरिए फिल्मी दुनिया में कदम रखने वाले बासु दा ने पहले 1966 में रिलीज हुई राज कपूर और वहीदा रहमान स्टारर फिल्म तीसरी कसम के निर्देशक बासु भट्टाचार्य के सहायक के तौर पर भी काम किया था।
आपको जानकार आश्चर्य होगा कि बासु दा ने अपने करियर की शुरुआत एक कार्टूनिस्ट के तौर साप्ताहिक अखबार ‘ब्लिट्ज’ से की थी। और वहां उन्होंने 18 साल तक काम किया था, उसके बाद उन्होंने फिल्मों से जुड़ने और फिल्म निर्देशन करने का फैसला किया।
मध्यवर्गीय समस्याओं को लेकर फिल्में बनाना बासु दा की सबसे बड़ी खासियतों में से एक थी। बासु दा ने दूरदर्शन के लिए ब्योमकेश बख्शी, रजनीगंधा जैसे बेहद लोकप्रिय सीरियल्स का भी निर्देशन किया, जिन्हें उनकी बेहतरीन फिल्मों की तरह की आज भी याद किया जाता है।