यूपी के पूर्व डीजीपी का बड़ा दावा: ‘1989-90 में तत्कालीन सरकार ने साथ दिया होता तो खत्म कर देता अतीक अहमद का आतंक’
चिरौरी न्यूज
नई दिल्ली: उमेश पाल की हत्या और उत्तर प्रदेश के माफिया-राजनेता और पूर्व सांसद अतीक अहमद की संलिप्तता को लेकर उठे बवाल के बीच, यूपी के पूर्व डीजीपी, ओपी सिंह ने यह दावा करके एक तूफान खड़ा कर दिया कि अगर 1989-90 की तत्कालीन उत्तर प्रदेश सरकार साथ दी होती तो वह अतीक के आतंक को खत्म कर सकते थे। उन्होंने कहा कि प्रयागराज सिटी एसपी के रूप में उन्होंने अतीक को उसके गुर्गों सहित दर दबोचा था लेकिन उसे छोड़ने और जाने देने के लिए राजनीतिक दबाव था।
इंडिया टुडे से बात करते हुए, पूर्व डीजीपी ने दावा किया कि जब वह 1989-90 में इलाहाबाद (अब प्रयागराज) के एसपी सिटी के रूप में तैनात थे, तो एक दर्ज प्राथमिकी को लेकर पुलिस की एक टीम के साथ अतीक के अड्डे पर छापा मारा था. उस समय अतीक के हजारों समर्थकों ने उन्हें और पुलिस को गोली मारने के लिए घेर लिया था।
सिंह ने दावा किया कि माफिया के आदमियों ने पूरी पुलिस पार्टी को मार देता। लेकिन उन्होंने अतीक को चेतावनी दी कि अगर अतीक के समर्थकों ने पुलिस पार्टी पर एक भी गोली चलाई, तो उसे और उसके समर्थक दोनों को पुलिस गोली मार देगी। इसके बाद अतीक के समर्थक रास्ते से हटे।
यूपी के पूर्व शीर्ष पुलिस अधिकारी ने कहा कि वह अतीक और उसके गिरोह को वहीं गिरफ्तार करना चाहते थे, लेकिन राजनीतिक दबाव ने उनकी टीम को बिना किसी गिरफ्तारी के वापस जाने के लिए मजबूर कर दिया। उन्होंने कहा कि अगर पुलिस के साथ मुठभेड़ के बाद अतीक को गिरफ्तार कर लिया जाता या उसे मार गिराया जाता तो इतना बड़ा बखेड़ा खड़ा नहीं होता।
इसके अलावा, सिंह ने कहा कि उस समय उनके काम की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेताओं और इलाहाबाद के लोगों ने प्रशंसा की थी, लेकिन सत्ताधारी दल माफिया का समर्थन कर रहा था, जिसके कारण यूपी में सबसे खूंखार गैंगस्टर का उदय हुआ।
उमेश पाल हत्याकांड में पुलिस ने अब तक अतीक के गिरोह के केवल 10 सदस्यों का पता लगाया है और अब अन्य सदस्यों की तलाश पड़ोसी राज्यों के साथ-साथ आगरा सहित यूपी के विभिन्न शहरों में कर रही है।
इस बीच, यूपी के पूर्व डीजीपी ओपी सिंह के दावों पर टिप्पणी करते हुए एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि मुख्तार अंसारी और अतीक अहमद दोनों विधायक थे और राज्य की राजनीतिक मशीनरी पर उनकी मजबूत पकड़ थी। हालांकि, अब ये दोनों एनकाउंटर में मारे जाने के डर से खुद को जेलों के अंदर सुरक्षित मानते हैं।