सरकार ने राजकोषीय नीति को आत्मनिर्भर भारत के अनुरूप बताया

चिरौरी न्यूज़

नई दिल्ली: केन्द्रीय वित्त और कॉरपोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने आज संसद में आर्थिक समीक्षा 2020-21 पेश करते हुए कहा कि समीक्षा में यह दर्शाया गया है कि सरकार की राजकोषीय नीति की प्रतिक्रिया आत्मनिर्भर भारत के दायरे में मांग और आपूर्ति की नीतियों का संयोजन रही है। जिसे महामारी से लड़ने और ईंधन तथा आर्थिक रिकवरी के लिए तैयार किया गया था। समीक्षा में बताया गया है कि महामारी के खिलाफ भारत सरकार की राजकोषीय नीति की प्रतिक्रिया अपने देशों के मुकाबले अलग थी। अन्य देशों के मुकाबले भारत में अर्थव्यवस्था के पुनरुद्धार के लिए प्रत्यक्ष बड़े प्रेरक पैकेज का चयन किया गया। सरकार ने कदम दर कदम दृष्टिकोण को अपनाया।

आर्थिक समीक्षा में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि सरकार ने दुनिया का सबसे बड़ा खाद्य कार्यक्रम चलाया है, जन-धन खातों में धन का सीधे हस्तांतरण किया है और ऋण के लिए सरकारी गारंटी आदि प्रदान की गई हैं। राजकोषीय प्रेरक पैकेज का दायरा पूंजीगत व्यय को बढ़ाने, उत्पादन से जुड़े प्रोत्साहन और अन्य योजनाओं को बढ़ावा देने के लिए व्यापक बनाया गया, ताकि खपत मांग को दोबारा जुटाया जा सके।

केन्द्र सरकार के वित्त

बजट पूर्व समीक्षा में बताया गया है कि 2019-20 के अस्थायी आंकड़ों के लिए वित्तीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद का 4.6 प्रतिशत है, जो 2019-20 के संशोधित अनुमानों में कल्पना किए गए वित्तीय घाटे से 0.8 प्रतिशत अंक तथा 2018-19 में राजकोषीय घाटे से 1.2 प्रतिशत अंक अधिक है। 2018-19 की तुलना में 2019-20 के अस्थायी आंकड़ों में प्रभावी राजस्व घाटा जीडीपी का 1 प्रतिशत बढ़कर जीडीपी का 2.4 प्रतिशत हो गया।

इस समीक्षा में बताया गया है कि कॉरपोरेट और व्यक्तिगत आयकर 2019-20 के अस्थायी आंकड़ों में कम हो गया है। इसका कारण मुख्य रूप से कॉरपोरेट कर दर में कटौती जैसे संरचनात्मक सुधारों को लागू करने के कारण विकास में आई गिरावट रही, लेकिन राजस्व में रिकवरी प्रत्यक्ष है, क्योंकि मासिक सकल जीएसटी राजस्व संग्रह पिछले तीन महीनों से लगातार एक लाख करोड़ के आंकड़े को पार कर रहा है। दिसंबर, 2020 माह के लिए मासिक जीएसटी राजस्व दिसंबर, 2019 के मुकाबले जीएसटी राजस्व में 12 प्रतिशत बढ़ोतरी दर्ज करने के बाद 1.15 लाख करोड़ के स्तर पर पहुंचा है। यह जीएसटी लागू होने के बाद जीएसटी कर संग्रह का सबसे अधिक मासिक संग्रह है।

बजट अनुमानों की तुलना में नवंबर, 2020 तक राजस्व संग्रह नीचे दिए गए हैं-

  बजट अनुमान (2020-21) वास्तविक प्राप्ति (नवंबर, 2020)
निवल कर राजस्व 16.36 लाख करोड़ 42.1 प्रतिशत बजट अनुमान (6.88 लाख करोड़)
गैर कर राजस्व 3.85 लाख करोड़ 32.3 प्रतिशत बजट अनुमान

 

इसके अलावा बजट पूर्व समीक्षा के अनुसार गैर-ऋण पूंजीगत प्राप्तियां बढ़कर 2.3 लाख करोड़ रुपये हो गई, जो 2020-21 बजट अनुमानों में जीडीपी का 1 प्रतिशत हैं। व्यय पक्ष के लिए बजट 2020-21 में कुल व्यय 30.42 लाख करोड़ रुपये होना अनुमानित था। इसमें 26.3 लाख करोड़ रुपये का राजस्व व्यय और 4.12 लाख करोड़ रुपये का पूंजीगत व्यय शामिल है। जीडीपी की प्रतिशत्ता के रूप में 2019-20 के अंतिम आंकड़ों की तुलना में 2020-21 बजट अनुमानों में कुल व्यय की अनुमानित वृद्धि जीडीपी की 0.3 प्रतिशत है और यह वृद्धि राजस्व और पूंजीगत व्यय दोनों में जीडीपी की 0.15 प्रतिशत के समतुल्य हैं।

समीक्षा के अनुसार अप्रैल-नवंबर, 2020 के दौरान कुल सरकारी व्यय बजट अनुमानों का 62.7 प्रतिशत रहा है। यह अप्रैल से नवंबर, 2019 की तुलना में 65.3 प्रतिशत है। अप्रैल से दिसंबर, 2020 के लिए पूंजीगत व्यय 3.17 लाख करोड़ रुपये हो गया है, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि के दौरान हुए पूंजीगत व्यय की तुलना में 24 प्रतिशत अधिक है। कुल व्यय में भी वर्ष दर वर्ष 11 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है।

इसके अलावा 2019-20 के स्थायी आंकड़ों की तुलना में 2020-21 के बजट अनुमानों में 11.9 प्रतिशत की वृद्धि होने की कल्पना की गई थी। यह 2018-19 की तुलना में 2019-20 में राजस्व व्यय की 17 प्रतिशत बढ़ोतरी के सापेक्ष साधारण वृद्धि दर्ज हुई है। प्रमुख सब्सिडी में व्यय 2020-21 बजट अनुमानों में जीडीपी का 1 प्रतिशत रहा, जो 2019-20 के अस्थायी आंकड़ों की तुलना में 2.1 प्रतिशत की साधारण वृद्धि को दर्शाता है।

आर्थिक समीक्षा में बताया गया है कि कुल व्यय में पूंजीगत व्यय का हिस्सा औसत रूप से स्थिर स्तर पर है। इसे मोटे तौर पर 2019-20 के अस्थायी आंकड़ों की तुलना में 2020-21 के बजट अनुमानों में 1 प्रतिशत अंक बढ़ाने का अनुमान है। समीक्षा में यह भी बताया गया है कि 2016-17 से 2019-20 तक की अवधि के दौरान 1.35 लाख करोड़ रुपये के अतिरिक्त बजटीय संसाधन (ईबीआर) जुटाए गए। 2020-21 बजट अनुमानों में 49,500 करोड़ रुपये के ईबीआर जुटाने का अनुमान है, जो जीडीपी का 0.22 प्रतिशत है।

राज्यों को हस्तांतरण

आर्थिक समीक्षा में यह पाया गया कि वर्ष 2019-20 के दौरान सकल कर राजस्व संग्रह में गिरावट के कारण 2018-19 की तुलना में 2019-20 के संशोधित अनुमानों में केन्द्रीय करों में राज्यों की हिस्सेदारी में गिरावट आई। बजट 2020-21 में राज्यों को कुल हस्तांतरण जो 2019-20 संशोधित अनुमानों में जीडीपी का 5.7 प्रतिशत था, 2020-21 बजट अनुमानों में जीडीपी का 6 प्रतिशत होने की कल्पना की गई है।

राज्य वित्त

समीक्षा के अनुसार कोविड-19 के प्रकोप से पहले अपने बजट प्रस्तुत करने वाले राज्यों के लिए औसत सकल वित्तीय घाटा बजट अनुमान उनकी जीएसडीपी का 2.4 प्रतिशत, जबकि लॉकडाउन के बाद प्रस्तुत करने वाले राज्यों का औसत बजट जीएसडीपी का 4.6 प्रतिशत था। पूंजीगत व्यय पर राज्यों की राजकोषीय नीति पर दोबारा ध्यान केन्द्रित किए जाने के लिए केन्द्र सरकार ने वित्तीय वर्ष 2021 के दौरान पूंजीगत व्यय के लिए राज्यों को विशेष सहायता देने के लिए एक योजना की घोषणा की। वर्ष 2019-20 के लिए राज्य की पात्रता से अधिक 0.59 करोड़ रुपये के अतिरिक्त ऋण लेने के लिए राज्यों को एक मुश्त विशेष अनुमति दी गई। राज्यों को सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) के 2 प्रतिशत तक की अतिरिक्त ऋण सीमा की भी अनुमति दी गई, जिसकी 1 प्रतिशत राशि राज्य स्तर सुधार लागू करने की शर्त के अधीन है।

केन्द्र सरकार वित्त

आर्थिक समीक्षा में यह पाया गया है कि वैश्विक महामारी के प्रकोप को देखते हुए सामान्य सरकार (केन्द्र और राज्य मिलकर) राजस्व में कमी और अधिक वित्तीय जरूरतों को ध्यान में रखते हुए राजकोषीय कमी दर्ज होने का अनुमान लगा रही है। राजकोषीय समेकन के मार्ग में आई यह गिरावट क्षणिक है, क्योंकि राजकोषीय संकेतक अर्थव्यवस्था में रिकवरी के साथ वापस आ जाएंगे। आने वाले वर्षों में भारत में राजकोषीय प्रगति बरकरार रखने के लिए एक सटीक दृष्टिकोण अपनाया गया है। प्रगति में रिकवरी होने से मध्यम अवधि में भारी राजस्व संग्रह में मदद मिलेगी, जिससे सतत् राजकोषीय मार्ग प्रशस्त होगा।

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