विवेकानंद कॉलेज में 12 तदर्थ शिक्षकों के रीज्वाइनिंग की मांग को लेकर भूख हड़ताल
चिरौरी न्यूज़
नई दिल्ली: विवेकानंद कॉलेज के प्रिंसिपल के तानशाही रवैए के ख़िलाफ़ 19 मई को 9 बजे प्रातः से सायं 5 बजे तक दिल्ली विश्वविद्यालय के शिक्षकों ने भूख हड़ताल किया। विवेकानंद कॉलेज के प्राचार्या ने 12 एडहॉक शिक्षकों को रीज्वाइनिंग देने से मना कर दिया है जिसके विरोध में दिल्ली विश्वविद्यालय के सभी शिक्षकों ने इस भूख हड़ताल का समर्थन करते हुए बड़ी संख्या में ऑनलाइन भागीदारी किया और सोशल मीडिया पर अपनी तस्वीरें भी साझा की।
इस भूख हड़ताल में शामिल सभी शिक्षकों ने विवेकानन्द कॉलेज की प्राचार्या के तानशाही रवैए की आलोचना की। इसी तरीके का प्रयास प्रिंसिपल द्वारा इसी साल जनवरी में किया गया था जिसे उस समय जीबी चेयरमैन ने ख़ारिज करते हुए 5 दिसंबर 2019 के एमएचआरडी के पत्र के आधार पर सभी एडहोक शिक्षकों की रीज्वाइनिंग सुनिश्चित किया, अब फिर से एडहोक शिक्षकों को निकालने का कार्य प्रिंसिपल द्वारा किसी साज़िश का हिस्सा लगता है जो इस महामारी के दौर में क्रूरता के साथ साथ अपराध भी है।
भूख हड़ताल में शामिल शिक्षकों ने कहा कि, “विवेकानंद कॉलेज की प्राचार्या द्वारा किया जा रहा यह कृत्य अवैधानिक है क्योंकि वह भारत सरकार के फरमान का उलंघन करता है जिसे एमएचआरडी ने 5 दिसंबर 2019 को दिल्ली विश्वविद्यालय में पढ़ाने वाले शिक्षकों के लिए जारी किया था जिसमें स्पष्ट रूप से कहा गया है कि कोई भी एडहॉक शिक्षक तब तक नहीं हटाया जा सकता जब तक उस पद पर स्थाई नियुक्ति नहीं हो जाती।“
भूख हड़ताल में शामिल सभी शिक्षकों ने एक स्वर में हटाए जाने वाले सभी 12 शिक्षकों को तत्काल रीज्वॉइनिंग देने की मांग की है क्योंकि इस महामारी काल में किसी भी शिक्षक को उसके पद से साज़िश करके हटाना क्रूरता की पराकाष्ठा है और अवैधानिक भी। इन सभी शिक्षकों ने विवेकानन्द कॉलेज की प्राचार्या के इस तरीके के गैर कानूनी और अमानवीय कृत्य के लिए उन्हें बर्खास्त करने की भी मांग की है।