अब नहीं चेते तो हो जाएगी देर
चिरौरी न्यूज़
नई दिल्ली: पिछले दो सालमें लोगों ने दशक के सबसे बुरे दिनों को देखा, कोविड अचानक से हमारे जीवन में आ गया और हम घरों में कैद हो गए, मास्क लगाना जरूरी हो गया, सामाजिक दूरी का पालन करना आदत में शामिल करना पड़ा। जबकि हम ऐसे कभी भी नहीं रहे, आत्मियता जताने के लिए हमारे लिए गले मिलना जरूरी होता था, प्यार की झप्पी का महत्व हमसे बेहतर और कौन समझ सकता है, जो पल में कई तरह के तनाव को दूरकर मन को सुकुन देती है।
हाथ मिलाने. गले लगाने और आत्मियता के साथ मिलने से मस्तिष्क में एक सिरोटोनिम प्रोटीन उत्सर्जित होता है, जिसे खुशी का टोनिक भी कहा जाता है। संवेदनाओं से जुड़ा इस प्रोटीन का स्राव पिछले दो साल में लोगों के दिमाग में बनना ही बंद हो गया है। निश्चित रूप से कोविड ने जीवन को दुरूह कर दिया है, लेकिन उम्मीद की किरण भी इसी दुरूह या मुश्किल भरे रास्ते से निकलेगी, अगर कुछ दिन और ईमानदारी से कोविड अनुरूप व्यवहार का पालन कर लिया तो हम सभी तीसरी लहर को आने से रोक सकते हैं तब ही स्वास्थ्य विशेषज्ञ मान रहे हैं कि कोविड से बचने के लिए सामाजिक वैक्सीन भी उतनी ही जरूरी है जितनी की संक्रमण से बचाव के लिए।
बीते कुछ दिनोंने हमने अपने व्यवहार से पूरे देश को शर्मिंदा किया है। मसूरी के कैप्टीफॉल से आई फोटो सोशल मीडिया पर काफी वायरल हुई जिसका जिक्र प्रधानमंत्री ने भी अपने संबोधन में किया। तीसरी लहर को लेकर आशंकित होने वाले हर उस शख्स को अपनी दिनचर्या और आदतों पर गौर फरमाने की जरूरत है जिन्होंने दोस्तों से मिलने पर मास्क उतार दिया, पार्टी की या फिर कोविड अनुरूप व्यवहार का पालन नहीं किया।
प्रशासनिक स्तर पर अगर देखें तो कोविड से लड़ने के लिए देश की चिकित्सा व्यवस्था और संसाधनों को निरंतर दुरूस्त किया जा रहा है, ऑक्सीजन की कमी हुई तो ऑक्सीजन प्लांट लगा दिए गए, रेमडेसवीर हो या फिर टैबी फ्लू, दवाओं की कमी हुई तो इनका निर्यात बंद कर देश की जरूरत को पूरा किया गया।
जनवरी तक देश में कोविड की एक भी वैक्सीन नहीं थी, अब हमारे पास विकल्प मौजूद हैं। किसी भी बाहर देश की वैक्सीन कोदेश में प्रयोग से पहले कई तरह की औपचारिकताओं से गुजरना पड़ता है, लेकिन आपात स्थिति को देखते हुए सभी इमरजेंसी यूज आर्थराइजेशन सर्टिफिकेट दियागया, जिससे लोगों के पास वैक्सीन के अधिक और बेहतर विकल्प मौजूद हों। जिनराज्यों से वैक्सीन की कमी होने की खबरे आती हैं वहां तुरंत वैक्सीन पहुंचाई जा रही है, प्रारंभिक स्तर पर वैक्सीन की उपलब्धता में कुछदिक्कतें हो सकती हैं, लेकिन देश की 95 करोड़ वैक्सीन पात्र जनता को टीका देने में कुछ समस्याएं आना लाजिमी है, बावजूद इसके नई वैक्सीन के जरिए इस कमी को भी पूरा किया जा रहा है।
अब बात आती है सामाजिक वैक्सीन की, जिसे सबको मिलकर प्रयोग करना है, तीसरी लहर आने का यदि सच में डर है तो आज से हीअपने और अपनों के व्यवहार को नोटिस करें, यदि कोई आसपास कोविड अनुरूप व्यवहार का पालन नहीं कर रहा है तो उसे टोके, जरूरी नहीं कि हर चीज को समझाने के लिए सरकारी आदेश का पालन किया जाएं, कुछ चीजें हमें अपनी सुरक्षाके लिए अपनानी होती है।
जैसा कि अकसर सड़क एवं राज्य परिवहन द्वारा हेलमेट पहनने को लेकर सावधानियां जारी की जाती है, सिर है आपका आखिरी सुरक्षा है आपकी। कोविड वैक्सीन और कोविड अनुरूप व्यवहार हमें कोविडसंक्रमण होने से नहीं बचा सकते लेकिन हम इसकी गंभीरता से बच सकते हैं।
कोविड की दूसरी लहर में जिनती बड़ी संख्या में मरीजों को अस्पताल में भर्तीकरने की जरूरत पड़ी थी यदि ऐसा दोबारा होने पर हम अस्पताल में भर्ती होनेवाले मरीजों की संख्या में पचास फीसदी कमी भी कम पाएं तो यह हमारी सफलता होगी। ऐसा तब ही संभव है जबकि हम वैक्सीन लगवाएं और कोविड अनुरूप व्यवहार का पालन करें। यदि ऐसा नहीं किया गया तो दूसरी तीसरी या फिर चौथी लहर आनेसे भी कोई नहीं रोक पाएगा। क्योंकि वायरस अपनी संख्या बढ़ाने के लिए ऐसे ही लापरवाह लोगों की फिराक में है, जिसके शरीर में वह आसानी से प्रवेश कर सके।