आयकर विभाग ने महाराष्ट्र में कोऑपरेटिव बैंक के मुख्यालय पर मारे छापे

Unaccounted income of more than Rs 184 crores unaccounted for in raids by Income Tax Department in Maharashtraचिरौरी न्यूज़ 

नई दिल्ली: आयकर विभाग ने 27 अक्टूबर, 2021 को अर्बन क्रेडिट कोऑपरेटिव बैंक के मुख्यालय और उसकी एक शाखा पर छापा मारकर तलाशी और जब्ती की कार्रवाई की। यह बैंक महाराष्ट्र में स्थित है। बैंक के अध्यक्ष और उसके निदेशकों के आवासों को भी खंगाला गया।

बैंक की शाखाओं को एक-दूसरे से जोड़ने वाले कोर बैंकिंग सॉल्यूशंस (सीबीएस) के बैंक आंकड़ों तथा तलाशी के दौरान प्रमुख व्यक्तियों से पूछताछ का विश्लेषण करने से पता चला कि बैंक खाते खोलने में भारी अनियमिततायें बरती गई हैं। बिना पैन कार्ड के बैंक की उपरोक्त शाखा में 1200 से अधिक नये खाते खोले गये। छानबीन में पता चला कि ये सभी बैंक खाते बिना केवाईसी नियमों का पालन किये खोले गये हैं। इसके अलावा खोता खोले जाने के फार्मों को बैंक स्टाफ ने ही भरा था और उन्हीं लोगों ने अपने हस्ताक्षर किये या अंगूठे का निशान लगाया।

इन सभी खातों में नकदी जमा की गई थी। प्रत्येक खाते में 1.9 लाख रुपये के हिसाब से रकम जमा की गई थी, जिनका योग 53.72 करोड़ रुपये बैठता है। इन खातों में 700 से अधिक बैंक खातों की पहचान कर ली गई है, जो श्रृंखलाबद्ध तरीके से खोले गये थे। खाता खोले जाने सात दिनों के भीतर ही, यानी अगस्त 2020 से मई 2021 की अवधि के बीच इन खातों में 34.10 करोड़ रुपये से अधिक की रकम जमा कर दी गई थी। यह रकम इस तरीके से जमा की गई थी कि दो लाख से अधिक की रकम जमा करने के लिये पैन के जरूरी आवश्यकता से बचा जा सके। बाद में इसी शाखा में जमा की गई रकम को फिक्सड डिपॉजिट में बदल दिया गया।

कुछ मामलों में खाता धारकों जैसी स्थानीय पड़ताल से पता चला कि इन लोगों को बैंक में जमा रकम के बारे में कोई जानकारी नहीं है। इन सभी ने ऐसे किसी बैंक खाते या फिक्सड डिपॉजिट के बारे में किसी भी प्रकार की जानकारी होने से साफ तौर पर मना कर दिया।

अध्यक्ष, मुख्य प्रबंध निदेशक और शाखा प्रबंधक भी नकद जमा के स्रोत के बारे में कोई हिसाब नहीं दे सके। उन्होंने स्वीकार किया कि यह काम बैंक के एक निदेशक के कहने पर किया गया। बैंक का यह निदेशक अनाज की आढ़त का व्यापार करने वाला स्थानीय कारोबारी है।

जमा किये गये सबूतों और दर्ज किये गये बयानों के आधार पर 53.72 करोड़ रुपये की रकम को रोक दिया गया है।

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