किडनी के इलाज में भारतीय शोधकर्ताओं ने नीरी केएफटी को बताया असरदार: रिपोर्ट

Indian researchers found Neeri KFT effective in kidney treatment: Reportचिरौरी न्यूज

नई दिल्ली: विश्व किडनी दिवस पर भारतीय शोधकर्ताओं ने नीरी केएफटी दवा को किडनी के इलाज में रामबाण बताया। शोधकर्ताओं ने मरीजों पर किए परीक्षण में 42 दिन के भीतर सीरम क्रिएटिनिन का स्तर काबू में पाया जो बताता है कि किडनी रक्त को कितनी अच्छी तरह से फिल्टर कर रही है।

बेंगलुरू स्थित राष्ट्रीय यूनानी चिकित्सा संस्थान के शोधकर्ताओं का यह अध्ययन ईरान के मेडिकल जर्नल एविसेना जर्नल ऑफ मेडिकल बायोकेमिस्ट्री ने प्रकाशित किया है जिसका संचालन चर्चित हमादान यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिसिन साइंसेज कर रहा है।

अध्ययन में शोधकर्ताओं ने बताया कि नीरी केएफटी 19 जड़ी-बूटियों से बनी एक भारतीय आयुर्वेदिक दवा है जिसमें पुनर्नवा, गोखरू, वरुण, कासनी, मकोय, पलाश, गिलोय मिश्रण है। भारतीय वैज्ञानिकों के साथ खोज करने वाले एमिल फार्मास्युटिकल्स के कार्यकारी निदेशक डॉ. संचित शर्मा ने कहा कि पारंपरिक चिकित्सा को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिल रही है। आयुर्वेद में किडनी को मजबूती देने के लिए कई औषधियों का जिक्र है। नीरी केएफटी पर अब तक कई चिकित्सा अध्ययन हुए हैं जिनमें इसे असरदार पाया गया।

शोधकर्ताओं के अनुसार, समय पर पहचान न होने से क्रोनिक किडनी डिजीज यानी सीकेडी का बोझ लगातार बढ़ रहा है। वैश्विक स्तर पर यह करीब 13 फीसदी तक है। भारत की बात करें तो 10 में से नौ सीकेडी रोगी महंगे उपचार का भार नहीं उठा सकते। इसलिए सस्ते विकल्प के तौर पर पारंपरिक चिकित्सा के वैज्ञानिक तथ्यों का पता लगाने के लिए यह अध्ययन किया गया।

अध्ययन में शोधकर्ताओं ने Neeri KFT दवा एवं कबाब चीनी का इस्तेमाल करते हुए पाया कि 15-15 मरीजों के दोनों समूह में अनेक सकारात्मक प्रभाव हैं। दोनों समूहों के मरीजों के सीरम क्रिएटिनिन में कमी दर्ज की गई। दूसरे ईजीएफआर यानी ग्लोमेरुलर फिल्ट्रेशन दर में भी सुधार पाया गया। इसमें बढ़ोत्तरी सुधार का संकेत है। यह दोनों पैरामीटर किडनी की कार्य प्रणाली में सुधार के संकेत हैं। इन औषधियों के सेवन से मरीजों में अरुचि और थकान में भी कमी पाई गई। शोधकर्ताओं ने अध्ययन में कहा है कि पारंपरिक चिकित्सा में कई ऐसी बीमारियों का इलाज छिपा है जिनके बारे में जागरूकता बेहद कम है। ये नतीजे बेहद महत्वपूर्ण हैं।

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