भारतीय युवा हमेशा अपने बड़ों से सीखने को तैयार रहते हैं: जी. के. रेड्डी
चिरौरी न्यूज़
नई दिल्ली:
- ‘बुजुर्गों की बात- देश के साथ’ कार्यक्रम का उद्देश्य 95 साल और उससे अधिक उम्र के युवाओं और बुजुर्गों के बीच बातचीत को बढ़ाना है
- प्रदर्शनी में अंबर, कांगड़ा सहित चित्रकला के विभिन्न स्कूलों के कृष्ण थीम पर चित्रों के संग्रह को प्रदर्शित किया गया है
- गीत गोविन्द मूल रूप से 12वीं शताब्दी के कवि जयदेव की रचना है
केंद्रीय संस्कृति मंत्री श्री गंगापुरम किशन रेड्डी और केंद्रीय संस्कृति राज्य मंत्री श्री अर्जुन राम मेघवाल ने आज नई दिल्ली स्थित आईजीएनसीए में डॉ. उत्पल के. बनर्जी की पुस्तक ‘गीत गोविन्द: जयदेवडिवाइन ओडिसी’ का विमोचन किया। इसके साथ ही ‘गीत गोविन्द’ पर एक प्रदर्शनी और ‘बुजुर्गों की बात- देश के साथ’ कार्यक्रम का भी शुभारंभ किया गया।
‘बुजुर्गों की बात- देश के साथ’ कार्यक्रम का उद्देश्य युवाओं और उन बुजुर्गों के बीच संवाद को बढ़ाना है जो 95 साल और उससे अधिक उम्र के हैं और आजादी से पहले भारत में लगभग 18 साल बिताए हैं। आदर्श रूप में, बातचीत का वीडियो 60 सेकेंड से कम होना चाहिए और इसे www.rashtragaan.in पर अपलोड किया जा सकता है।
कृष्ण थीम पर आयोजित प्रदर्शनी में अंबर, कांगड़ा सहित विभिन्न चित्रकला स्कूलों से चित्रों के संग्रह को प्रदर्शित किया गया है।
मूल रूप से ‘गीत गोविन्द’ 12वीं शताब्दी में कवि जयदेव ने लिखी थी।
‘बुजुर्गों की बात- देश के साथ’ कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए श्री किशन रेड्डी ने कहा, ‘भारत युवाओं का देश है, जो हमेशा अपने बड़ों से सीखने के लिए तैयार रहते हैं। चाहे वह गुरु-शिष्य परंपरा हो, परिवार या काम में बड़ों की भूमिका हो, भारतीयों ने हमेशा अपने बड़ों से सीखा-समझा है। इसलिए ‘बुजुर्गों की बात- देश के साथ’ कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए मुझे बहुत खुशी हो रही है।’
उन्होंने आगे कहा कि यह एक अनूठा कार्यक्रम है जहां देश के युवा पुरानी पीढ़ी और 95 साल या उससे अधिक उम्र के बुजुर्गों के साथ समय बिताएंगे और उनसे बातचीत करेंगे। वे इस वीडियो को अपलोड करेंगे और संस्कृति मंत्रालय उन्हें एकीकृत करेगा। आजादी के अमृत महोत्सव में बुजुर्गों को शामिल करने का यह एक शानदार तरीका है।
इस अवसर पर केंद्रीय संस्कृति राज्य मंत्री श्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि युवाओं की ऊर्जा और बड़ों का अनुभव देश को आगे ले जा सकता है और 2047 तक प्रधानमंत्री के विजन के तहत देश को और शक्तिशाली बना सकता है। उन्होंने आगे परिवार के महत्व पर प्रकाश डाला और युवाओं से परिवार के बुजुर्गों की उपेक्षा न करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि एक व्यक्ति के विकास से परिवार का विकास होता है और जब परिवार विकसित होता है तो समाज आगे बढ़ता है और एक विकसित समाज समृद्ध राष्ट्र का निर्माण करता है।
गीतगोविन्द पुस्तक के विमोचन के अवसर पर श्री जी.के. रेड्डी ने कहा, ‘हमारे वरिष्ठ और पद्मश्री से सम्मानित श्री उत्पल बनर्जी की पुस्तक गीतगोविन्दम- ए डिवाइन ओडिसी का विमोचन करते हुए मुझे बहुत खुशी हो रही है। मुझे बताया गया है कि यह 12वीं शताब्दी के महान कवि जयदेव की पुस्तक का पहला तुकबद्ध अनुवाद है।’
उन्होंने आगे कहा कि हमारी अपनी संस्कृति में गीतगोविन्दम जप, पाठ, पारंपरिक संगीत, शास्त्रीय नृत्य, लघु चित्रकला और जटिल मूर्तिकला के माध्यम से समय की कसौटी पर खरा उतरा है। अंग्रेजी में अनुवाद करके हम अपनी संस्कृति और विरासत की बहुत बड़ी सेवा कर रहे हैं।
मंत्री ने इस तथ्य पर भी प्रकाश डाला कि हमारी संस्कृतियां और परंपराएं तभी फलेंगी-फूलेंगी जब हम इसे दुनिया के साथ साझा करेंगे। उन्होंने कहा कि इसलिए, मुझे इस अनुवाद पुस्तक का विमोचन करते हुए प्रसन्नता हो रही है। जयदेव के कृष्ण और राधा मनुष्य के रूप में देवता हैं, जो मानवीय भावनाओं को दर्शाते हैं। मंत्री ने कहा कि केवल वही व्यक्ति इस अनुवाद के साथ न्याय कर पाता, जिसकी जड़ें भारत की संस्कृति और दर्शन में गहराई से जुड़ी हों।