दिल्ली सरकार के वित्त पोषित कॉलेजों में एडहॉक शिक्षकों को समायोजित करने के बजाय प्रिंसिपल कर रहे मनमानी: सोमनाथ भारती

Instead of accommodating adhoc teachers in Delhi government funded colleges, principals are doing arbitrary: Somnath Bhartiचिरौरी न्यूज

नई दिल्ली: आम आदमी पार्टी ने दिल्ली सरकार के वित्त पोषित 28 कॉलेजों के लिए पूरी तरह कार्यात्मक गवर्निंग बॉडीज के जल्द से जल्द गठन की मांग की है। साथ ही इन कॉलेजों में गवर्निंग बॉडी के लिए दिल्ली सरकार द्वारा भेजे गए नामों को तुरंत अप्रूव करने का अनुरोध किया है। आम आदमी पार्टी का कहना है कि केजरीवाल सरकार के इन 28 कॉलेजों में फुल फ्लेज्ड गवर्निंग बॉडी के गठन के बिना कोई साक्षात्कार नहीं होना चाहिए। क्योंकि दिल्ली सरकार की मंशा ऐसे सिस्टम का निर्माण करना है जिससे मौजूदा एडहॉक शिक्षकों के समायोजन को पहली प्राथमिकता दी जाए।

इस संबंध में “आप” विधायक सोमनाथ भारती ने कहा कि दिल्ली सरकार ने 28 सरकारी वित्त पोषित कॉलेजों की गवर्निंग बॉडीज के लिए उम्मीदवारों की सूची भेजी है. लेकिन डीयू प्रशासन नामांकन को मंजूरी नहीं दे रहा है। पूर्ण स्थापित गवर्निंग बॉडी के अभाव में दिल्ली सरकार के वित्त पोषित कॉलेजों में एडहॉक शिक्षकों को समायोजित करने के बजाय प्रिंसिपल्स अपनी मनमानी थोप रहे हैं। हमारी मांग है कि इन कॉलेजों की गवर्निंग बॉडीज के लिए दिल्ली सरकार द्वारा भेजे गए नॉमिनीज को तुरंत ही एग्जीक्यूटिव काउंसिल में अप्रूव करें। साथ ही फुली-फ्लेज्ड गवर्निंग बॉडीज के गठन के बिना किसी भी व्यक्ति का अपॉइंटमेंट गैर-कानूनी माना जाएगा।

एएडीटीए के नेशनल प्रेसिडेंट प्रो. आदित्य नारायण मिश्रा ने कहा कि बीजेपी वाले 100 साल पुराने एजुकेशन इंस्टीट्यूट को खत्म करना चाह रहे हैं। ये सिर्फ चाहते हैं कि हर जगह पर इनके लोग आ जाएं, फिर चाहे वो योग्य हो या नहीं।

आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता व विधायक सोमनाथ भारती और दिल्ली टीचर्स एसोसिशएन (एएडीटीए) के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रो. आदित्य नारायण मिश्रा ने मंगलवार को एक महत्वपूर्ण प्रेसवार्ता को संबोधित किया।

आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता सोमनाथ भारती ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी एग्जीक्यूटिव, ज्यूडिशियरी, एकेडमिक सहित हर क्षेत्र में मनमानी कर संस्थानों को कमजोर करने में लगी है। दिल्ली विश्वविद्यालय में भी बीजेपी चुनी हुई सरकार को दरकिनार कर रही है। दिल्ली विश्वविद्यालय के 28 कॉलेज ऐसे हैं, जिसमें गवर्निंग बॉडीज की सरंचना के लिए दिल्ली सरकार मेंबर्स को नियुक्त करती है। इन 28 कॉलेजों में से 12 कॉलजों में 100 फीसद फंडिंग दिल्ली सरकार द्वारा की जाती है। जबकि 16 कॉलेज 5 फीसद फंडिंग दिल्ली सरकार करती है। इन 28 कॉलेजों में गवर्निंग बॉडीज के लिए दिल्ली सरकार सदस्यों के नाम भेजती है। इसके बाद उन नामों को एग्जीक्यूटिव काउंसिल के समक्ष अप्रूव कराया जाता है।

उन्होंने कहा कि यह गवर्निंग बॉडी बेहद महत्वपूर्ण होती है। कॉलेज में प्रिंसिपल का अपॉइंटमेंट, एडॉहक टीचर्स को परमानेंट कराने की जिम्मेदारी गवर्निंग बॉडी की होती है। केजरीवाल सरकार का शुरू से उद्देश्य रहा है कि जिन एडहॉक शिक्षकों ने अपने जीवन के 15 से 20 साल कॉलेजों में बच्चों को पढ़ाने के लिए दिए हैं, उन्हें कॉलेज में परमानेंट टीचर्स की भर्ती के दौरान प्राथमिकता दी जाए। इसलिए यह जरूरी है कि कॉलेजों में फूली फ्लेजड गवर्निंग बॉडीज बने। दिल्ली सरकार की तरफ से भेजे गए नॉमिनीज के नामों को एग्जीक्यूटिव काउंसिल अप्रूव करें, ताकि पूरी तरह कार्यात्मक गवर्निंग बॉडीज अपने काम में लगे।

इस संबंध में तत्कालीन उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने 28 जनवरी 2023 को 28 कॉलेजों के गवर्निंग बॉडीज के लिए नॉमिनीज की सूची दिल्ली विश्वविद्यालय को सौंपी थी। जिसे अप्रूव करने की जिम्मेदारी वाइस चांसलर की थी। लेकिन उन्होंने लोकतांत्रिक तरीके से चल रही सरकार की बात नहीं मानी। इसी कारण 3 फरवरी 2023 को सूची को अप्रूव कराने के लिए एग्जीक्यूटिव काउंसिल की बैठक बुलाई गई। लेकिन नॉमिनीज की सूची को अप्रूव नहीं किया गया।

विधायक सोमनाथ भारती ने कहा कि कुछ दिनों पहले भारती कॉलेज में प्रिंसिपल के अपॉइंटमेंट के लिए असिस्टेंट रजिस्ट्रार के माध्यम से 3 नॉमिनीज का नाम भेजा गया। हमने मुद्दा उठाया कि इन तीन नॉमिनीज पर एग्जीक्यूटिव काउंसिल का अप्रूवल नहीं है। भारती कॉलेज के अंदर 3 नॉमिनी गैर-कानूनी तरीके से लाए गए। कॉलेजों में प्रिंसिपल अपनी मनमर्जी थोप रहे हैं, हम इसकी निंदा करते हैं। हमारी मांग है कि इन 28 कॉलेजों की गवर्निंग बॉडीज के लिए दिल्ली सरकार द्वारा भेजे गए नॉमिनीज को तुरंत ही एग्जीक्यूटिव काउंसिल में अप्रूव करें। ताकि इन कॉलेजों मे फुली फ्लेज्ड गवर्निंग बॉडीज बने। उसके बाद ही अन्य प्रोसेस शुरू हो। फुली फ्लेज्ड गवर्निंग बॉडीज के बगैर किसी भी व्यक्ति का अपॉइंटमेंट गैर-कानूनी माना जाएगा। डीयू के कुलपति लोकतांत्रिक तरीके से लिए गए फैसलों की अवमानना ना करें।

इस दौरान दिल्ली टीचर्स एसोसिशएन (एएडीटीए) के नेशनल प्रेसिडेंट प्रो. आदित्य नारायण मिश्रा ने कहा कि जिस तरह बीजेपी संस्थाओं को ध्वस्त करने का काम कर रही है, उसी तरह दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति के नेतृत्व में डीयू का प्रशासन काम कर रहा है। दिल्ली विश्वविद्यालय की क्रेडिबिलिटी को बनाने के पीछे 100 साल की मेहनत, तपस्या और नियम कानून का ऑब्जरवेशन शामिल है। बीजेपी उस संस्था की क्रेडिबिलिटी को खत्म करने का काम कर रही है। डीयू के कानून के अनुसार गवर्निंग बॉडी में जो भी नाम शामिल होंगे, वो एग्जीक्यूटिव काउंसिल से अप्रूव होकर जाएंगे। डीयू में 3 फरवरी को एग्जीक्यूटिव काउंसिल की मीटिंग से एक हफ्ते पहले ही तत्कालीन उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने 28 कॉलेजों की गवर्निंग बॉडी के लिए नामों की सूची भेजी थी। मगर इसके बावजूद इन नामों को नहीं रखा गया। 27 जनवरी को तत्कालीन डिप्टी सीएम ने दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति को पत्र लिखाकर साफ कहा था कि जो एडहॉक टीचर्स जहां काम कर रहे हैं, हम उन्हें वहीं समायोजित करना चाहते हैं। हम उन्हें डिस्प्लेस नहीं करना चाहते है, क्योंकि इन शिक्षकों की आजीविका का सवाल है। मगर तब तक डीयू ने 70 फीसद से ज्यादा एडहॉक शिक्षकों को हटा दिया था।

उन्होंने कहा कि जब 28 तारीख को गवर्निंग बॉडी की लिस्ट आई तो बाजपा को लगा कि दाल गलने वाली नहीं है। इसलिए उनकी पार्टी की तरफ से जो नाम आते हैं, उसे बिना योग्यता के तवज्जो की जाती है। जबकि उनके स्थान पर ऐसे एडहॉक शिक्षकों को नौकरी से निकाला जाता है, जोकि ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन में टॉपर रहे हैं। जिन शिक्षकों के इंटरनेशनल पब्लिकेशंस में आर्टिकल्स पब्लिश हुए हैं, आज उनके लिए अपना घर चलाना मुश्किल हो गया है। इस विषय पर तत्कालीन डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया जी ने 15 फरवरी को दूसरे पत्र के जरिए डीयू प्रशासन को रिमाइंडर दिया था कि हमारी गवर्निंग बॉडीज बनाई जाए। मगर इसके बावजूद भारती कॉलेज और शिवाजी कॉलेज में 3 नाम भेजे गए। इससे यह सवाल खड़ा होता है कि आखिर यह तीन नाम किस पार्टी से आए हैं। जबकि स्टेट्यूट 30 में साफ कहा गया है कि कोई भी नाम बिना एग्जीक्यूटिव काउंसिल के अप्रूवल के नहीं जाएंगे। डीयू के इतिहास में ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था, मगर आज हो रहा है।

प्रो. आदित्य नारायण मिश्रा ने कहा कि भाजपा दिल्ली सरकार के एडॉक शिक्षकों के समायोजन के स्टेटेड पोजीशन को विफल बनाना चाहती है। साथ ही बीजेपी अपनी मनमर्जी के प्रिंसिपल लाना चाहते हैं। इस समय जो कार्यवाहक प्रिंसिपल कॉलेजों में काम कर रहे हैं, उन्हें वहां जबरदस्ती बैठाया गया है। इनके बजाए सबसे वरिष्ठ लोगों पर दबाव डालकर उनसे रिजाइन करवाया गया है। यह भी कहा जा रहा है कि आने वाले समय में बीजेपी अपने लोगों को कुर्सी पर बिठाना चाहती है, इसलिए 10 तारीख को इंटरव्यू रखा गया है। उन्होंने कहा कि  एकेडमिक काउंसिल व एग्जीक्यूटिव काउंसिल के सदस्यों ने कुलपति को पत्र लिखकर कानून का पालन करने के लिए कहा है। यहां तक कि इस मुद्दे पर दिल्ली विश्वविद्यालय में भूख हड़ताल भी की। हमने सोचा कि शायद इससे कुलपति की नींद खुलेगी। मगर यह कोशिश भी नाकाम रही। बीजेपी वाले 100 साल पुराने एजुकेशन इंस्टीट्यूट को खत्म करना चाह रहे हैं। ये सिर्फ चाहते हैं कि हर जगह पर इनके लोग आ जाएं, फिर चाहे वो योग्य हो या नहीं।

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