34 सालों बाद शिक्षा नीति में किया गया बड़ा बदलाव जानें क्या है खास
शिवानी रज़वारिया
बुधवार को केंद्र सरकार ने नई शिक्षा नीति को मंजूरी देकर शिक्षा क्षेत्र में एक बड़े बदलाव की शुरुआत की है। इस नई नीति में स्कूल की पढ़ाई से लेकर उच्च शिक्षा तक कई बड़े बदलाव किए गए हैं जिससे बच्चों को काफी राहत मिलने वाली है। बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल ने बताया कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम बदलकर शिक्षा मंत्रालय रखा जाएगा। इसी के साथ शिक्षा में किए गए बड़े बदलावों का भी परिचय दिया।
शिक्षा पद्धति को और मजबूत करने के लिए हर साल कुछ ना कुछ किए जाते हैं लेकिन इस बार पूरी शिक्षा नीति को ही बदल दिया गया है. 34 साल बाद देश को फिर एक नई शिक्षा नीति मिली है। 21वीं सदी की यह पहली शिक्षा नीति है जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता की कैबिनेट बैठक में मंजूर की गई है। इससे पहले सन 1986 में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी द्वारा नई शिक्षा नीति लाई गई थी।1992 में इसे संशोधित किया गया था। नई शिक्षा नीति के लिए बच्चों से लेकर शिक्षक, अभिभावक सभी अचंभित हैं और नए बदलावों को जानने के लिए उत्साहित भी!
क्या होगा खास
3 से 6 साल के बच्चों तक का मौलिक अक्षर और अंक ज्ञान बढ़ाने के लिए उन्हें एक ही पैटर्न से पढ़ाई कराई जाएगी।
6 से 9 साल के बच्चे जो आमतौर पर 1-3 क्लास में होते हैं उनको नेशनल मिशन के तहत बुनियादी साक्षरता और न्यूमरेंसी में मजबूत किया जाएगा।
बच्चों को मिडिल स्कूल यानी कक्षा 6 से 8 में विषयों का ज्ञान कराया जाएगा.कोडिंग की शिक्षा भी कक्षा 6 से ही दी जाएगी।
10 + 2 सिस्टम को खत्म कर 5+3+3+4 का पैटर्न अपनाया जाएगा। इसके तहत छात्रों को 4 वर्गों में बांटा गया है. पहले वर्ग में 3 से 6 वर्ष के बच्चों को प्री नर्सरी व प्ले नर्सरी से लेकर कक्षा दो तक की शिक्षा दी जाएगी.दूसरी वर्ग में कक्षा 2 से 5 तक का पाठ्यक्रम तैयार किया गया है तीसरे में पांचवी से आठवीं कक्षा तक और चौथे वर्ग में नौवीं से 12वीं कक्षा तक का पाठ्यक्रम निर्धारित किया गया है।
पांचवी कक्षा तक के बच्चों को अपनी मातृभाषा व क्षेत्रीय भाषा में पढ़ाई करवाई जाएगी।
नई शिक्षा नीति में 12वीं कक्षा तक साइंस आर्ट्स कॉमर्स में कोई अंतर नहीं होगा यानी आप किसी भी विषय को चुनने में अब बाध्य नहीं होंगे।
नई शिक्षा नीति में मल्टीपल एंट्री और एग्जिट सिस्टम को शामिल किया गया है जिसमें 1 साल इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने पर आपको अब सर्टिफिकेट मिल जाएगा 2 साल की पढ़ाई करने पर डिप्लोमा और 3 से 4 साल में आप इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त करेंगे। ऐसे बच्चों को यह फायदा होगा कि यदि उनकी पढ़ाई किसी कारण वंश बीच में छूट जाती है तो उनका कोई भी साल बर्बाद नहीं जाएगा।
मल्टीपल एंट्री थ्रू बैंक ऑफ क्रेडिट के तहत छात्र के फर्स्ट, सेकंड ईयर के क्रेडिट डिजीलॉकर के माध्यम से क्रेडिट रहेंगे. जिससे कि अगर छात्र किसी कारण गैप लेता है और एक फिक्स्ड टाइम के अंतर्गत वह वापस आता है तो उसे फर्स्ट और सेकंड ईयर रिपीट करने को नहीं कहा जाएगा. यानी उसे दोबारा क्लास को नहीं पढ़ना पड़ेगा। उसके क्रेडिट एकेडमिक क्रेडिट बैंक में मौजूद रहेंगे. ऐसे में छात्र उसका इस्तेमाल अपनी आगे की पढ़ाई के लिए करेगा। अब मास्टर्स करने के बाद एमफिल करना आवश्यक नहीं होगा छात्र सीधा पीएचडी के लिए एप्लाई कर सकेंगे।