गुरु हनुमान अखाड़े को बनाएं राष्ट्रीय कुश्ती संग्रहालय
भारतीय कुश्ती के सर्वकालीन श्रेष्ठ गुरु पद्म श्री गुरु हनुमान के 121 वें जन्मदिन पर आज यहाँ बिड़ला व्यायामशाला में उनके शिष्यों और कुश्ती प्रेमियों ने गुरु को याद किया और एक मत से माँग की गई कि उनके अखाड़े को राष्ट्रीय संग्रहालय का दर्ज़ा प्रदान किया जाए। आज यहाँ शक्ति नगत स्थित अखाड़े में बड़ी संख्या में गुरु हनुमान के शिष्य मौजूद थे।
जिनमें गुरु जी के प्रिय शिष्य और गुरु हनुमान ट्रस्ट के अध्यक्ष महाबली सतपाल पहलवान, द्रोणाचार्य राज सिंह, द्रोणाचार्य और राष्ट्रीय कोच जगमिंदर, अखाड़े के संचालक द्रोणाचार्य महासिंह राव, पूर्व भारत केसरी और नामी अन्तर्राष्ट्रीय भगत पहलवान, अर्जुन अवॉर्डी सुजीत मान, राजीव तोमर, नवीन मोर, शीलू पहलवान, कोच विक्रम प्रेमनाथ अखाड़ा, विरेंदर गूँगा पहलवान आदि नामी पहलवान मौजूद थे। सभी ने एक सुर में कहा कि गुरु जी के अखाड़े की यादों, पहलवानों द्वारा जीते गए मेडलों और अन्य सम्मानों को कुश्ती संग्रहालय में सजाया जाए ताकि भावी पहलवान और कोच उनके सादे और पवित्र जीवन से सीख ले सकें।
हालाँकि पिछले कई सालों से गुरु हनुमान के अखाड़े को राष्ट्रीय निधि घोषित किए जाने के बारे में आवाज़ उठाई जाती रही है लेकिन फिलहाल अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। यह भी देखा गया है कि गुरु के शिष्य उनके जन्मदिन पर बड़ी बड़ी बातें करते हैं पर तत्पश्चात शायद ही कोई पलट कर पूछता हो।
कुश्ती जगत में जितना बड़ा नाम गुरु हनुमान का रहा है शायद ही कोई अन्य गुरु उनको छू पाया होगा। अनेकों ओलंपियन, सैकड़ों अंतरराष्ट्रीय पहलवान, दर्जनों पदक विजेता, चार पदंश्री, छह द्रोणाचार्य और सैकड़ों राष्ट्रीय चैम्पियन पहलवान तैयार करने वाले गुरु ने देश को सतपाल, करतार, सुदेश, प्रेमनाथ, जगमिंदर आदि बड़े कद वाले पहलवान दिए। तारीफ की बात यह है कि बिड़ला व्यायामशाला ने देश के स्वतंत्रता संग्राम में भी भूमिका निभाई। खुद गुरुहनुमान कहते थे कि चंद्रशेखर आज़ाद उनके अखाड़े में ज़ोर किया करते थे।
आज यहां सतपाल पहलवान ने कहा कि गुरुजी का अखाड़ा पदकों और ट्राफियों से भरा पड़ा है। तब ज्यादातर पहलवान अपने सम्मान अखाड़े में ही छोड़ जाते थे, जोकि देख रेख की कमी के चलते जंक खा चुके हैं, जिन्हें तब तक पूर्ण सुरक्षित नहीं रखा जा सकता जब तक अखाड़े को सरकार राष्ट्रीय संपति घोषित ना कर दे। सतपाल ने माना कि वह जो कुछ हैं गुरु जी की मार से बने हैं। जगमिंदर भी मानते हैं कि उनका अनुशासन अभूतपूर्व था।
राजसिंह की राय में दिल्ली सरकार से अखाड़े की देखरेख और सरंक्षण के बारे में निवेदन किया जा सकता है। महासिंह राव के अनुसार गुरु हनुमान अपने आप में एक बड़ा नाम रहे हैं। गुरुजी ने आजीवन ब्रह्मचारी का जीवन जिया और अपना सर्वश्व कुश्ती को दे दिया। उनके पहलवानों का सालों साल डंका बजता रहा। उनके शिष्यों के बिना भारतीय कुश्ती टीम की कल्पना भी नहीं की जा सकती थी। कई मौके ऐसे भी आए जब ओलंपिक और एशियाई खेलों में भाग लेने वाली भारतीय कुश्ती टीम में सिर्फ़ गुरु हनुमान के पहलवान शामिल थे।
गुरु हनुमान के शिष्यों ने माना कि अखाड़ा तंगहाली में चल रहा है जिसके लिए सरकारी सरंक्षण की ज़रूरत है।
लेकिन गुरु हनुमान के अखाडे के संरक्षण के लिए मांग करने वाले एक बार अपने दिल पर हाथ रख कर जरूर देखें और पूछें कि कहीं वे गुरु की आत्मा को धोखा तो नहीं दे रहे? वरना हर 15 मार्च को गुरु हनुमान को याद कर फिर भुला क्यों दिया जाता है? उनके शिष्य एकजुट हो कर मांग करें तो बड़ी बड़ी सरकारें झुक सकती हैं।