गृह मंत्री अमित शाह सहित कई नेताओं ने गुरु तेग बहादुर जी के बलिदान को बताया मानवता के लिए प्रेरणास्रोत

Many leaders including the Home Minister called the sacrifice of Guru Teg Bahadur Ji an inspiration for humanityचिरौरी न्यूज

नई दिल्ली: देश भर में आज नौवें सिख गुरु, ‘हिंद की चादर’ गुरु तेग बहादुर जी की जयंती (प्रकाश पर्व) बड़े श्रद्धा और सम्मान के साथ मनाई गई। इस अवसर पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समेत कई नेताओं ने गुरु जी को श्रद्धांजलि अर्पित की और उनके बलिदान को देश की आध्यात्मिक विरासत का गौरव बताया।

गृह मंत्री अमित शाह का भावपूर्ण संदेश

गृह मंत्री अमित शाह ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, “सिखों के नौवें गुरु श्री गुरु तेग बहादुर जी ने अन्याय, अत्याचार और अंधविश्वास के विरुद्ध समाज को जागरूक करके आत्म-संस्कृति की रक्षा को सिख धर्म का पर्याय बना दिया। आज उनके प्रकाश पर्व पर उन्हें नमन करता हूँ। धर्म और आत्म-सम्मान की रक्षा हेतु कट्टर आक्रांताओं के विरुद्ध अडिग रहकर दिए गए उनके बलिदान से मानव समाज धर्म रक्षा के लिए सदा प्रेरित होता रहेगा।”

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बताया ‘धार्मिक स्वतंत्रता के प्रहरी’

राजनाथ सिंह ने लिखा, “श्री गुरु तेग बहादुर जी की जयंती के पावन अवसर पर मैं उन्हें नमन करता हूँ। वे साहस, त्याग और धर्म के प्रति अटूट समर्पण के प्रतीक हैं। धार्मिक स्वतंत्रता और मानवाधिकारों की रक्षा के लिए दिया गया उनका सर्वोच्च बलिदान भारत की आध्यात्मिक शक्ति और ‘एकता में विविधता’ का अद्वितीय उदाहरण है।”

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बताया ‘मानवता का प्रकाश स्तंभ’

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने संदेश में कहा, “सिख संप्रदाय के महान संत, नौवें गुरु ‘हिंद की चादर’ श्री गुरु तेग बहादुर जी महाराज के प्रकाश पर्व पर उन्हें सादर नमन, समस्त श्रद्धालुओं एवं प्रदेशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएं। धर्म और राष्ट्र की रक्षा के लिए समर्पित उनका तपस्वी जीवन सम्पूर्ण मानवता के लिए प्रेरणास्रोत है।”

गुरु तेग बहादुर जी का जीवन और बलिदान

गुरु तेग बहादुर जी (1621–1675) सिख धर्म के नौवें गुरु थे। वे एक महान योद्धा, दार्शनिक, कवि और धर्मगुरु थे, जिन्होंने न केवल सिख समुदाय बल्कि सम्पूर्ण मानव समाज के लिए धार्मिक स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ी।

मुगल शासक औरंगज़ेब द्वारा कश्मीरी पंडितों पर जबरन इस्लाम धर्म अपनाने का दबाव बनाया जा रहा था, तब उन्होंने अत्याचार के विरुद्ध आवाज उठाई। गुरु तेग बहादुर जी ने दिल्ली के चांदनी चौक में सार्वजनिक रूप से बलिदान दिया, लेकिन अत्याचार के सामने सिर नहीं झुकाया। उनका यह बलिदान आज भी धार्मिक स्वतंत्रता, सहिष्णुता और मानव अधिकारों की रक्षा का प्रतीक माना जाता है। गुरु जी ने सिखों के पवित्र ग्रंथ श्री गुरु ग्रंथ साहिब में भी अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनकी रचनाओं में आध्यात्मिक ज्ञान, विनम्रता, सेवा, और मानवता की भावना झलकती है।

गुरु तेग बहादुर जी का जीवन और बलिदान यह सिखाता है कि धर्म की रक्षा के लिए जीवन भी अर्पित किया जा सकता है, और यही बलिदान उन्हें ‘हिंद की चादर’ बनाता है। आज भी उनके विचार और मूल्य दुनिया भर में लाखों लोगों को न्याय, सत्य और धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देते हैं।

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