एक साथ आएं सभी मार्शल आर्ट्स खेल, पुराने मास्टर्स आगे आएं: सुमन तलवार

Martial arts sports should come under one umbrella, old masters should come forward: Suman Talwarराजेंद्र सजवान

जब कभी भी कोई अंतरराष्ट्रीय खेल आयोजन सामने आता है तो देश के मार्शल आर्ट्स खेलों का जाना पहचाना खेल शुरू हो जाता है, जैसा कि ग्वांगझाऊ , में आयोजित होने वाले एशियाई खेलों से पहले शुरू हो रहा है। इस खेल में खिलाड़ी, अधिकारी, खेल फेडरेशन, भारतीय खेल प्राधिकरण, ओलंपिक समिति और कई अन्य गुत्थम गुत्था हो चुके हैं । हर एक के अपने अपने दावे और अपने अपने स्वार्थ हैं । इस बार भी कुछ ऐसा ही हो रहा है। कराटे, कुराश , तायकवांडो , जूडो, और कुछ अन्य खेलों में विवादों की भरमार है। खिलाड़ियों और कोचों के चयन को लेकर घमासान मचा है।

एशियाड में भाग लेने कौन जाएगा और किसका नंबर कटेगा , कहना मुश्किल है क्योंकि चयन श्रेष्ठता के आधार पर कम ही होता है। अधिकारियों के लाडले चयनकर्ताओं की पहली पसंद होते हैं । यह प्रथा सालों से चली आ रही है। खेल फेडरेशनों के दो या अधिक धड़े अस्तित्व में हैं और उनकी अपनी दादागिरी चलती है। क्योंकि खेल मंत्रालय और आईओए मूक दर्शक बने रहते हैं इसलिए यह कुव्यवस्था बदस्तूर जारी है। क्या कोई इलाज या हाल है और कैसे मार्शर्ट्स खेलों के फर्जीवाडे से बचा जा सकता है, इस बारे में बहुचर्चित मार्शल आर्ट खिलाड़ी और फिल्मी दुनिया के जाने माने हस्ताक्षर सुमन तलवार कुछ है कर राय रखते हैं । लगभग 750 फिल्मों में अपनी अदाकारी के जौहर दिखाने वाले सुमन दक्षिण भारत के सबसे लोकप्रिय कलाकारों में हैं और सौ से अधिक हिंदी फिल्मों के अलावा दस भाषाओं की फिल्मों में भी भूमिका निभा चुके हैं।

कंप्लीट मार्शल आर्ट्स द्वारा थ्यागराज नगर स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में आयोजित अवार्ड समारोह में सुमन को देश के श्रेष्ठ मार्शल आर्ट खिलाड़ी का सम्मान, “मार्शल आर्ट गौरव” दिया गया । इस अवसर पर उनसे भारतीय मार्शल आर्ट खेलों की दशा दिशा पर लंबी बातचीत हुई। उन्होंने बर्बाद हो रहे और युवाओं का भविष्य खराब कर रहे मार्शल आर्ट्स खेलों से एकजुट होने और एक प्लेटफार्म पर एक छाते के नीचे आने और अपनी पहचान बनाने का आह्वान किया।

सुमन मानते हैं कि मार्शल आर्ट्स खेल भारत में बेहद लोकप्रिय हैं लेकिन इन खेलों को चलाने वाले ज्यादातर लोग भटक गए हैं। वे खेल की बजाय कुछ और स्वार्थों पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं। खासकर कराटे की गुटबाजी ने पीड़ा पहुंचाई है, जिसमें चंद लोगों के स्वार्थ खेल बिगाड़ रहे हैं। सुमन चाहते हैं कि कराटे सहित तमाम खेल एक मंच पर आए और मिल जुल कर सबके हित में काम करें। वे मानते हैं कि खेल की आड़ में ज्यादातर लोग देश के भविष्य की प्रतिभाओं को लूटने में लगे हैं। सभी अपनी अपनी दुकानें चला रहे हैं, जोकि ठीक नहीं है। कराटे के “सेवन डैन” रहे लंबे ऊंचे कद के सुमन दक्षिण भारतीय फिल्म उद्योग पर राज करने के बाद अब मार्शल आर्ट्स खेलों को एकजुट करना चाहते हैं। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि खेलों की एकजुटता के लिए पहल करना चाहते हैं, जिसमें सभी पूर्व नामी मास्टरों और कोचों का सहयोग जरूरी है। यदि ऐसा नहीं हुआ तो इन खेलों का अस्तित्व मिट जाएगा।

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