मेधा पाटकर को मानहानि मामले में गैर-जमानती वारंट पर किया गया गिरफ्तार

Medha Patkar arrested on non-bailable warrant in defamation case
(Pic: Twitter)

चिरौरी न्यूज

नई दिल्ली: सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर को शुक्रवार सुबह दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया, जब एक अदालत ने उनके खिलाफ मानहानि मामले में गैर-जमानती वारंट (NBW) जारी किया। यह मामला दिल्ली के उपराज्यपाल वी. के. सक्सेना द्वारा 2001 में दायर किया गया था।

साकेत अदालत के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विशाल सिंह ने यह वारंट बुधवार को तब जारी किया जब पाटकर लगातार अदालत में पेश नहीं हो रही थीं और न ही उन्होंने सजा के आदेश का पालन किया। अदालत ने कहा कि पाटकर जानबूझकर अदालत के आदेश का उल्लंघन कर रही हैं और उनकी मंशा स्पष्ट रूप से सजा से बचने की है।

8 अप्रैल को अदालत ने मेधा पाटकर को एक साल की अवधि के लिए सदाचार के आधार पर प्रोबेशन पर रिहा करने का आदेश दिया था, बशर्ते वह शिकायतकर्ता (वी.के. सक्सेना) को ₹1 लाख मुआवजा जमा कराएं। यह आदेश ट्रायल कोर्ट के उस फैसले में बदलाव के तहत दिया गया था जिसमें पाटकर को 5 महीने की साधारण कैद और ₹10 लाख का मुआवजा देने को कहा गया था।

अदालत ने कहा कि यदि अगली तारीख तक पाटकर ने आदेश का पालन नहीं किया तो अदालत को ‘दयालु सजा’ पर पुनर्विचार करना होगा और उसे बदलना पड़ेगा।

यह मामला 2001 का है, जब वी. के. सक्सेना — जो उस समय अहमदाबाद स्थित एनजीओ नेशनल काउंसिल फॉर सिविल लिबर्टीज के प्रमुख थे — ने मेधा पाटकर के खिलाफ दो मानहानि मामले दर्ज कराए थे। एक मामला उनके एक टीवी इंटरव्यू में दिए गए कथित आपत्तिजनक बयानों से जुड़ा था और दूसरा एक प्रेस बयान से।

यह कानूनी विवाद खुद मेधा पाटकर द्वारा 2000 में दाखिल एक मुकदमे के बाद शुरू हुआ था, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि सक्सेना ने उनके और नर्मदा बचाओ आंदोलन को बदनाम करने वाले विज्ञापन प्रकाशित किए थे।

इस मामले में वी. के. सक्सेना की ओर से अधिवक्ता गजिंदर कुमार, किरण जय, चंद्र शेखर, दृष्टि और सौम्या आर्या ने अदालत में पैरवी की।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *