प्राक्कलन समिति की बैठक में शामिल हुए सांसद बृजमोहन अग्रवाल
चिरौरी न्यूज
रायपुर/ नई दिल्ली: रायपुर सांसद श्री बृजमोहन अग्रवाल शुक्रवार को दिल्ली में आयोजित प्राक्कलन समिति की प्रथम बैठक में शामिल हुए। लोकसभा सचिवालय में आयोत बैठक की अध्यक्षता समिति अध्यक्ष डॉ. संजय जायसवाल ने की जिसमे सदस्यों को समिति की कार्यप्रणाली से अवगत कराया गया।
बृजमोहन अग्रवाल ने बताया कि, प्राक्कलन समिति का कार्य काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह सुनिश्चित करती है कि जनता के धन का उपयोग प्रभावी और पारदर्शी तरीके से हो रहा है। यह समिति सरकारी खर्चों की जवाबदेही तय करने और वित्तीय अनुशासन बनाए रखने में अहम भूमिका निभाती है।
प्राक्कलन समिति भारत की संसद की सबसे बड़ी समिति है, जो लोकसभा के सदस्यों से मिलकर बनती है। इस समिति का मुख्य कार्य सरकार के खर्चों की जांच करना और यह सुनिश्चित करना है कि धन का सही और आर्थिक रूप से उपयोग हो रहा है। समिति विभिन्न मंत्रालयों और सरकारी विभागों के व्यय का मूल्यांकन करती है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि आवंटित धन का उपयोग प्रभावी और आर्थिक रूप सही से हो रहा है।
समिति सरकार को नीतिगत सुझाव भी देती है जिससे सरकारी योजनाओं और कार्यक्रमों के कार्यान्वयन में सुधार हो सके।
समिति अपनी जांच के आधार पर रिपोर्ट तैयार करती है और लोकसभा में प्रस्तुत करती है। ये रिपोर्ट्स सार्वजनिक होती हैं और इन पर चर्चा की जाती है।
प्राक्कलन समिति 2023-24 के दौरान ‘सौर पार्क और अल्ट्रा मेगा सौर पावर प्रोजेक्ट्स का कार्यान्वयन – एक समीक्षा’ नवीकरणीय ऊर्जा,
राष्ट्रीय ग्रामीण अवसंरचना विकास एजेंसी का प्रदर्शन, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना, राष्ट्रीय राजमार्ग विकास परियोजना (NHDP) के तहत विभिन्न परियोजनाओं का मूल्यांकन’, ‘अमृत भारत स्टेशन योजना की प्रगति’, पीएम मेगा इंटीग्रेटेड टेक्सटाइल रीजन और एपैरल पार्क योजना और बीमार टेक्सटाइल यूनिट्स/PSUs के पुनरुद्धार प्रयास’, नमामी गंगे कार्यक्रम के तहत सीवेज उपचार परियोजनाओं का मूल्यांकन, पहाड़ी क्षेत्रों में हाइड्रो पावर परियोजनाओं का मूल्यांकन, प्राइवेट एंटरप्रेन्योर गारंटी योजना और भारतीय खाद्य निगम – एक समीक्षा उपभोक्ता मामले, ‘राष्ट्रीय कार्यक्रम पर रोकथाम और नियंत्रण नॉन-कम्युनिकेबल डिजीज’ और ‘राष्ट्रीय वेक्टर बॉर्न डिजीज कंट्रोल प्रोग्राम’ का प्रदर्शन, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) और केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालयों का प्रदर्शन पर लेकर संबंधित मंत्रालय को अपनी रिपोर्ट पहले ही प्रस्तुत कर चुकी है।