मुर्शिदाबाद हिंसा: कोलकाता हाई कोर्ट के आदेश पर अर्धसैनिक बल तैनात, हालात तनावपूर्ण
चिरौरी न्यूज
नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में फैली हिंसा के बाद रविवार को कई हिस्सों में तबाही के दृश्य देखे गए। सड़कों पर सन्नाटा पसरा रहा और अर्धसैनिक बलों ने गश्त की। शुक्रवार की नमाज़ के बाद भड़की हिंसा ने शनिवार को भी रफ्तार नहीं थामी, जिसमें अब तक तीन लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है और कुल 150 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
कलकत्ता हाई कोर्ट ने शनिवार को हिंसाग्रस्त इलाकों में केंद्रीय बलों की तैनाती का आदेश देते हुए कहा कि वह “राज्य के कुछ जिलों में हो रही तोड़फोड़ की खबरों पर आंखें नहीं मूंद सकती।” इसके बाद सूटी और शमशेरगंज जैसे अति संवेदनशील इलाकों में बीएसएफ की पांच अतिरिक्त कंपनियों को तैनात किया गया।
पुलिस का कहना है कि सूटी, ढुलियन, शमशेरगंज और जंगीपुर क्षेत्रों में स्थिति अब शांतिपूर्ण है। हालांकि, स्थानीय लोगों ने मीडिया को बताया कि शुक्रवार को तीन घंटे तक चले उपद्रव के दौरान प्रशासन और पुलिस का कहीं अता-पता नहीं था।
ढुलियन के एक दुकानदार ने कहा, “मेरी दुकान जला दी गई। मेरी पत्नी और बच्चे डर से सहमे हुए थे। पुलिस कहीं नहीं थी। वे भी हमारे जैसे अपने घरों में छिपे बैठे थे।” वहीं, भाजपा नेता शुभेंदु अधिकारी ने दावा किया कि “ढुलियन में कम से कम 35 हिंदू दुकानों को आग के हवाले किया गया।”
मृतकों में हरगोबिंद दास और उनके बेटे चंदन दास को शनिवार को भीड़ ने बेरहमी से मार डाला। वहीं, 17 वर्षीय इजाज़ शेख को शुक्रवार को सूटी में पुलिस की गोली लगी, जिसकी शनिवार को मौत हो गई। हिंसा में अब तक 18 पुलिसकर्मी भी घायल हो चुके हैं।
राज्य के डीजीपी राजीव कुमार ने वरिष्ठ अधिकारियों के साथ शमशेरगंज में स्थिति का जायज़ा लिया और देर रात इलाके में मार्च किया। हाई कोर्ट ने यह भी कहा कि यह हिंसा केवल मुर्शिदाबाद तक सीमित नहीं रही, बल्कि उत्तर 24 परगना और हुगली के चंपदानी इलाके में भी फैल गई है।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शांति की अपील करते हुए हिंसा के लिए “कुछ राजनीतिक दलों को धर्म का दुरुपयोग करने” का जिम्मेदार ठहराया। वहीं, भाजपा नेताओं ने राज्य सरकार की “नाकामी और तुष्टिकरण की राजनीति” को इसके लिए दोषी ठहराया है।