नए एम्स राज्यों में उन्नत कोविड स्वास्थ्य सेवा प्रदान कर रहे हैं
चिरौरी न्यूज़
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना (पीएमएसएसवाई) की घोषणा अगस्त 2003 में तृतीयक स्वास्थ्य सेवा अस्पतालों की उपलब्धता से जुड़े असंतुलन को दूर करने और देश में चिकित्सा शिक्षा में सुधार के लिए की गयी थी। यहएक केंद्रीय क्षेत्र की योजना है।
इस योजना को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वंचित राज्यों में गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा शिक्षा के सपने को पूरा करने के लिए एक नया प्रोत्साहन मिला, और प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना के तहत कई नए अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) स्थापित किए जा रहे हैं। इस योजना के तहत अब तक 22 नए एम्स की स्थापना को मंजूरी दी गयी है, जिनमें से भोपाल, भुवनेश्वर, जोधपुर, पटना, रायपुर और ऋषिकेश में छह एम्स पहले से ही पूरी तरह से काम कर रहे हैं। अन्य सात एम्स में ओपीडी की सुविधा और एमबीबीएस की कक्षाएं शुरू हो गई हैं जबकि पांच अन्य संस्थानों में केवल एमबीबीएस की कक्षाएं शुरू हुई हैं।
पीएमएसएसवाई योजना के तहत स्थापित किए गए या स्थापित किए जा रहे इन क्षेत्रीय एम्स ने पिछले साल की शुरुआत में महामारी की शुरुआत से ही कोविड के प्रबंधन में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है। उनका योगदान इस लिहाज से महत्वपूर्ण हो जाता है कि वे उन क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाएं दे रहे हैं जहां स्वास्थ्य बुनियादी ढांचा कमजोर था।
इन संस्थानों ने अपनी जिम्मेदारी पर खरा उतरते हुए मध्यम और गंभीर रूप से बीमार कोविडमरीजों के इलाज के लिए बिस्तर क्षमता का विस्तार करके कोविड-19 की दूसरी लहर की चुनौती का भी सराहनीय जवाब दिया है। अप्रैल 2021 के दूसरे सप्ताह से, इन संस्थानों में 1,300 से अधिक ऑक्सीजन बेड और कोविड के इलाज के लिए समर्पित लगभग 530आईसीयूबेड जोड़े गए हैं और लोगों के लिए उपलब्ध ऑक्सीजन और आईसीयूबेड की वर्तमान उपलब्धता क्रमशः लगभग 1,900 और 900 है। बढ़ती मांग को ध्यान में रखते हुए, अप्रैल-मई, 2021 के दौरान रायबरेली और गोरखपुर के एम्स में कोविड के इलाज की सुविधाएं शुरू कर दी गयीं, जिससे उत्तर प्रदेश राज्य को फतेहपुर, बाराबंकी, कौशाम्बी, प्रतापगढ़, सुल्तानपुर, अम्बेडकर नगर, बस्ती, संत कबीर नगर, महाराजगंज, कुशीनगर, देवरिया, बलिया, मऊ और आजमगढ़ जैसे दूरदराज के जिलों के मरीजों की सक्रिय रूप से सेवा करने में मदद मिली है।
नए एम्स में कोविड के लिए समर्पित बिस्तरों की वर्तमान उपलब्धता इस प्रकार है:
क्रम संख्या | संस्थान | नए एम्स में कोविड के लिए समर्पित बिस्तरों की मौजूदा उपलब्धता | |
गैर आईसीयू ऑक्सीजन बेड | वेंटिलेटर सहित आईसीयू बेड | ||
1 | एम्स, भुवनेश्वर | 295 | 62 |
2 | एम्स, भोपाल | 300 | 200 |
3 | एम्स, जोधपुर | 120 | 190 |
4 | एम्स, पटना | 330 | 60 |
5 | एम्स, रायपुर | 406 | 81 |
6 | एम्स, रिषिकेश | 150 | 250 |
7 | एम्स, मंगलागिरी | 90 | 10 |
8 | एम्स, नागपुर | 125 | 10 |
9 | एम्स, रायबरेली | 30 | 20 |
10 | एम्स, बठिंडा | 45 | 25 |
11 | एम्स, बीबीनगर | 24 | 0 |
12 | एम्स, गोरखपुर | 10 | 0 |
कुल | 1925 | 908 |
कोविड मरीजों की देखभाल के लिए इन नए एम्स की क्षमताओं को भारत सरकार वेंटिलेटर, ऑक्सीजन कंसन्ट्रेटर, ऑक्सीजन सिलेंडर जैसे अतिरिक्त उपकरणों के अलावाअन्य उपभोग्य सामग्रियों जैसे एन-95 मास्क, पीपीई किट और फेविपिराविर, रेमडेसिविर एवंटोसिलिजुमाब सहित आवश्यक दवाओं के आवंटन के माध्यम से मजबूत कर रही है।
तृतीयक स्वास्थ्य सेवा केंद्र होने के नाते, नए क्षेत्रीय एम्स ने कोविड मरीजों को अन्य महत्वपूर्ण गैर-कोविडस्वास्थ्य सेवाएं भी प्रदान कीं, जैसे कि डायलिसिस की आवश्यकता वाले या गंभीर हृदय रोग वाले मरीज, गर्भवती महिलाएं, बाल रोग मरीज।
अकेले एम्स रायपुर ने मार्च 2021 से 17 मई, 2021 तक कुल 9664 कोविड मरीजोंका इलाज किया है। संस्थान ने कोविड-19 से पीड़ित 362 महिलाओं की देखभाल की, उनमें से 223 की सुरक्षित प्रसव कराने में मदद की है। कोविड से पीड़ित 402बच्चों को बाल चिकित्सा देखभाल प्रदान की गयी। गंभीर हृदय रोगों वाले 898 कोविड मरीजों ने इलाज का लाभ उठाया, जबकि 272 रोगियों को उनके डायलिसिस सत्र में सहायता प्रदान की गयी।
देश में इस समय विभिन्न राज्यों में म्यूकोर्मिकोसिस के मामले सामने आ रहे हैं। यह स्थिति आमतौर पर कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों और मधुमेह से पीड़ित लोगों में देखी जाती है। मधुमेह कोविडके लिए एक सह-रुग्णता है, जिसके इलाज के लिए स्टेरॉयड के इस्तेमाल की जरूरत होती है जो शरीर की प्रतिरक्षा-प्रतिक्रिया को नियंत्रित करता है, इस दुर्लभ संक्रमण का इलाज बेहद जटिल है। हालांकि, इस बीमारी के लिए भी, रायपुर, जोधपुर, पटना, ऋषिकेश, भुवनेश्वर और भोपाल में एम्स द्वारा प्रभावी और उच्च गुणवत्ता वालाइलाजउपलब्ध कराया जा रहा है, इसके अलावा कुछ अन्य एम्स में भी ऐसा किया जा रहा है जहां अब तक पूरी तरह से काम शुरू नहीं हुआ है।