एनएफएआई ने 1940 और 1950 के दशक की 8 दुर्लभ हिंदी फिल्मों को शामिल कर अपने संग्रह को समृद्ध किया
चिरौरी न्यूज़
नई दिल्ली: भारतीय राष्ट्रीय फिल्म संग्रह (एनएफएआई) ने हिंदी सिनेमा के स्वर्ण युग के एक बड़े अधिग्रहण में अपने संग्रह में 31 फीचर फिल्मों को जोड़ा है। इन फिल्मों का मुख्य आकर्षण अनुभवी हास्य अभिनेता मास्टर भगवान अभिनीत 6 फिल्मों का संग्रह है। इस सूची में 1948 की फिल्म ‘लालच’ और 1949 की फिल्म ‘बचके रहना’ जिसमें मास्टर भगवान ने अभिनय और निर्देशन दोनों किया, से लेकर सिनबाद द सेलर (1952), वज़ीर-ए-आज़म (1961), रात के अंधेरे में (1969) और गुंडा (1969) शामिल हैं।
एनएफएआई के निदेशक प्रकाश मगदुम ने कहा, “यह असली खोज मालूम पड़ती है क्योंकि इस अधिग्रहण में शामिल कम से कम आठ फिल्में बहुत ही दुर्लभ हैं और एनएफएआई संग्रह के लिए बिल्कुल नई हैं। इनमें से दो ब्लैक एंड व्हाइट फिल्में,लालच (1948) और बचके रहना (1949), मास्टर भगवन द्वारा निर्देशित हैं और इनमें बाबूराव पहलवान, मास्टर भगवान और लीला गुप्ते सहित सभी कलाकार भी समान थे। इन दोनों फिल्मों में सी रामचंद्र का संगीत था”। ये सभी 16 मिमी प्रारूप में ब्लैक एंड व्हाइट फिल्में हैं। श्री मगदुम ने कहा कि यह वास्तव में संग्रह का खजाना है क्योंकि 1940 और 1950 के दशक की सेल्युलाइड फिल्में अब मिल गई हैं और उन्हें हासिल कर लिया गया है। उन्होंने कहा कि इन 8 फिल्मों के प्राथमिक निरीक्षण से पता चलता है कि वे अच्छी स्थिति में हैं।
संग्रह में एक दिलचस्प फिल्म ‘मिस पंजाब मेल’ (1958) है, जिसका निर्देशन नानुभाई वकील ने किया हैऔर जिसमें निशि और दलजीत ने अभिनय किया है। संयोग से, फिल्म की पटकथा कैफी आज़मी ने लिखी थी, जो उनकी शुरुआती पटकथाओं में से एक है। अरेबियन नाइट्स, सिनबाद द सेलर (1952) की कहानियों पर आधारित एक फंतासी फिल्म नानाभाई भट्ट द्वारा निर्देशित थी और इसमें नसीम, निरूपा रॉय, मास्टर भगवान, जयंत और प्राण के साथ मुख्य भूमिका में लोकप्रिय दक्षिण भारतीय स्टार रंजन थे। होमी वाडिया और नानाभाई भट्ट प्रोडक्शन द्वारा बनाई गई इस फिल्म में बाबूभाई मिस्त्री ने शानदार स्पेशल इफेक्ट्स दिए थे।
टार्ज़न और हरक्यूलिस (1966) इस संग्रह की एक और दुर्लभ फिल्म है जिसे अनुभवी हास्य अभिनेता महमूद ने निर्देशित किया था। इस फिल्म में अन्य कलाकारों के साथ हबीब, हरक्यूलिस और शकीला बानो भोपाली ने अभिनय किया था। सुल्तान द्वारा निर्देशित ‘प्रोफेसर और जादूगर’ 1967 में बनी एक फंतासी ड्रामा है, जिसमें दलपत, जिलानी, मीनू मुमताज, शम्मी के साथ इंदिरा (बिली) और इंद्रजीत ने अभिनय किया था। शेख मुख्तार, दारा सिंह, हरक्यूलिस और शकीला बानो भोपाली अभिनीत बाबूभाई मिस्त्री द्वारा निर्देशित डाकू मानसिंह (1966) संग्रह की एक और ब्लैक एंड व्हाइट फिल्म है। इस फिल्म में दिखाया गया है कि कैसे एक दयालु और ईमानदार आदमी परिस्थितियों के कारण डकैत बन जाता जाता है।
अनुभवी गायक मन्ना डे ने अपने करियर में कुछ फिल्मों के लिए संगीत तैयार किया था और नाग चंपा (1958) उनकी ऐसी शुरुआती फिल्मों में से एक थी। निरूपा रॉय, मनहर देसाई और ललिता पवार अभिनीत, इस पौराणिक ब्लैक एंड व्हाइट फिल्म का निर्माण और निर्देशन विनोद देसाई ने किया था।
संग्रह की अन्य फिल्मों में सुरैया अभिनीत दिल्लगी (1949), नलिनी जयवंत अभिनीत जादू (1951), देव आनंद और नलिनी जयवंत अभिनीत और केए अब्बास द्वारा निर्देशितराही (1952), श्यामा और तलत महमूद अभिनीत दिल ए नादान (1953), राजा परांजपे और शशिकला अभिनीतचाचा चौधरी (1953) और महिपाल और विजया चौधरी अभिनीत और शांतिलाल सोनी द्वारा निर्देशितनाग मोहिनी (1963) शामिल हैं।