कोरोना टीकाकरण अभियान में नुक्स न ढूंढ़े विपक्ष
कृष्णमोहन झा
लगभग एक साल पहले चीन की एक प्रयोग शाला से निकले जिस कोरोनावायरस ने दुनिया के अधिकांश देशों में हाहाकार की स्थिति निर्मित कर दी थी उस पर काबू पाने के लिए वैज्ञानिकों ने टीकाकरण को ही सर्वाधिक कारगर उपाय बताया था। इसलिएशरीर में कोरोना वायरस के विरुद्ध प्रतिरोधक क्षमता पैदा करने वाला कारगर टीका विकसित करने की दिशा में वैज्ञानिकों ने युद्ध स्तर पर प्रयास किये और साल भर के अंदर ही अपने प्रयासों में सफलता भी अर्जित कर ली।
१२ देशों में पिछले साल ही टीकाकरण की शुरुआत भी हो गई। तब से हमारे देश में भी कोरोना के टीके की अधीरता से प्रतीक्षा की जा रही थी और अब नए साल के पहले मास में ही हमारे देश में भी कोरोना टीकाकरण अभियान के शुभारंभ की शुभ घड़ी आ चुकी है। भारत दुनिया भर के देशों में यद्यपि कोरोना टीकाकरण की शुरुआत करने वाला १३ वां देश है परंतु दुनिया का सबसे बड़ा कोरोना टीकाकरण अभियान भारत में ही प्रारंभ किया गया है। पहले दिन तीन लाख लोगों के टीकाकरण का लक्ष्य रखा गया।
केंद्र सरकार का दावा है कि दो सप्ताह के बाद भारत प्रति दिन १० लाख लोगों को टीका लगाने वाला दुनिया का पहला देश बन जायेगा। देश में कोरोना टीकाकरण अभियान की शुरुआत पर खुशी व्यक्त करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी उन कोरोना योद्धाओं की याद करते हुए भावुक हो गए जिन्होंने पीड़ित मानवता की सेवा करते हुए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जानसन ने कोरोना वायरस का टीका तैयार करने में भारत की सफलता को दूसरे देशों से अलग बताते हुए कहा है कि ‘भारत दुनिया की फार्मैसी के रूप में पूरे विश्व में ५० प्रतिशत से ज्यादा टीकों की आपूर्ति कर रहा है।’
गौरतलब है कि जब देश में कोरोना वायरस के संक्रमण की शुरुआत हुई थी तब उसके प्रसार को रोकने के लिए सरकार द्वारा समय रहते संपूर्ण देश में लाक डाउन किए जाने के फैसले की विश्व स्वास्थ्य संगठन ने प्रशंसा करते हुए कहा था कि मोदी सरकार ने लाक डाउन लागू करने में जो तत्परता दिखाई उसके कारण भारत में कोरोना वायरस से दूसरे देशों की तुलना में कम नुकसान हुआ।
हम इस बात पर गर्व कर सकते हैं कि कोरोनावायरस के विरुद्ध दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान हमारे देश में शुरू किया गया है परंतु हमें यह भी ध्यान में रखना होगा कि इस दिशा में हमें अभी लंबा सफर तय करना है। कोरोना के टीकाकरण के लिए प्राथमिकताएं तय करने पर अलग अलग राय व्यक्त की जा रही हैं। सरकार और कुछ वैज्ञानिकों की इस बारे में मतभिन्नता भी सामने आई है लेकिन यह कोई इतना बड़ा मुद्दा नहीं कि उसे सुलझाने में कड़ी मशक्कत करनी पड़े। शनै:शनै: इस अभियान में जहां सुधार अथवा बदलाव की आवश्यकता महसूस होगी उसके लिए सरकार हमेशा तैयार रहेगी।
सबसे बड़ी आवश्यकता इस बात की है कि यह महत्वाकांक्षी अभियान कोरोना पर हमारी विजय सुनिश्चित होने तक अबाध गति से जारी रहे। इसमें कोई संदेह नहीं कि देश में कोरोना टीकाकरण अभियान के क्रियान्वयन में कुछ अव्यवस्थाएं भी परिलक्षित हो सकती हैं परंतु सर्वाधिक आवश्यकता इस बात की है कि टीकाकरण अभियान को लेकर सरकार की आलोचना का सिलसिला अब थम जाना चाहिए। जो दल इस टीके की कीमत अथवा इसकी प्रभावशीलता के संबंध में प्रश्न उठा रहे हैं उन्हें दर असल इस बात पर गौर करना चाहिए कि देश में कोरोना टीकाकरण अभियान की शुरुआत ने लोगों की आंखों में एक नई चमक ला दी है। निराशा के बादल छंटने लगे हैं। लोगों में यह भरोसा जाग उठा है कि कोरोनावायरस अपराजेय नहीं है। टीकाकरण की शुरुआत होने के बाद भी अभी लडाई समाप्त नहीं हुई है लेकिन एक आत्मविश्वास ने अवश्य जन्म लिया है।
कोरोना के विरुद्ध जो लड़ाई हमने लगभग एक साल पहले शुरू की थी यह अभियान उसका सबसे महत्वपूर्ण पड़ाव है जो इस वायरस पर हमारी अंतिम विजय सुनिश्चित करेगा। जिस तरह कोरोना संक्रमण की शुरुआत के बाद सारे देश की जनता ने एक जुटता का परिचय दिया था वह एक जुटता हमें आगे भी बनाए रखनी होगी। जो सावधानियां हम अभी तक बरत रहे थे उनको हम एक दम नजर अंदाज नहीं कर सकते।
कोरोना टीकाकरण अभियान ज्यों ज्यों आगे बढ़ेगा त्यों त्यों देश के कुछ विपक्षी दल सरकार पर निशाना साधने की मंशा से इसके क्रियान्वयन के तौर तरीकों में नुक्स निकालने के प्रयास भी तेज होने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता। अगर टीकाकरण अभियान के किसी स्तर पर कोई कमी नजर आती है तो उसे सामने लाने का विपक्षी दलों को पूरा हक है और यह यह उनका लोकतांत्रिक जिम्मेदारी भी है और अगर इसके पीछे उन कमियों को दूर करने के लिए सरकार को विवश करने की भावना है तो विपक्षी दलों को भी ग़लत नहीं ठहराया जा सकता परंतु देश के कुशल वैग्यानिकों द्वारा रात दिन एक कर तैयार किए गए टीके को भाजपा का टीका करार दे देना अथवा टीके की गुणवत्ता पर सवाल खड़े करना विपक्षी दलों की मंशा को संदेह के घेरे में ला देता है। कुछ विपक्षी दल कोरोना टीके को मुद्दा बनाकर सरकार पर निशाना साधने के लिए रोज ने बहाने खोज रहे हैं।
ऐसा करते समय वे यह भूल जाते हैं कि अपने इन प्रयासों से टीके की प्रभाव शीलता के बारे में अनजाने ही देश की जनता के मन में भय पैदा कर रहे हैं जो अधीरता से इस टीके की प्रतीक्षा कर रही थी। जो विपक्षी दल यह तर्क दे रहे हैं कि क्लीनिकल ट्रायल के स्तर पर ही टीकाकरण अभियान शुरू कर देना उचित नहीं है उन्हें यह भी सोचना चाहिए कि देश के प्रसिद्ध चिकित्सा संस्थानों के प्रमुख भी स्वयं कोरोना का टीका लगवा कर इसे निरापद प्रमाणित करने के लिए आगे आ चुके हैं। अच्छा तो यह होगा कि विपक्षी दल टीके के निरापद होने के बारे में जनता को आश्वस्त करने के अभियान में सरकार को सहयोग प्रदान करें। सरकार के सामने इस समय दिल्ली में लगभग दो माह से जारी किसान आंदोलन का हल निकालने की जिम्मेदारी भी है इसलिए इस टीकाकरण अभियान को सफल बनाने में विपक्ष को सरकार के साथ बिना किसी पूर्वाग्रह के सहयोग करना चाहिए।
लेखक वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक हैं।