विपक्ष दलों ने राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया
चिरौरी न्यूज
नई दिल्ली: कांग्रेस और उसके गठबंधन सहयोगियों ने मंगलवार को राज्यसभा के अध्यक्ष जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया। विपक्षी दलों ने इस प्रस्ताव को सदन के महासचिव के पास औपचारिक रूप से प्रस्तुत किया।
विपक्ष का आरोप है कि अध्यक्ष राज्यसभा की कार्यवाही को पक्षपाती तरीके से चला रहे हैं, जिससे उन्हें यह असाधारण कदम उठाने के लिए मजबूर होना पड़ा। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि अध्यक्ष द्वारा कार्यवाही का इस तरह से संचालन लोकतांत्रिक प्रक्रिया को कमजोर कर रहा है, और इसी कारण विपक्षी दलों ने मिलकर यह प्रस्ताव लाया है।
अविश्वास प्रस्ताव पर हस्ताक्षर करने वाले विपक्षी सांसदों ने इस कदम को उठाने के लिए खेद जताया, लेकिन कहा कि यह संसदीय लोकतंत्र की रक्षा के लिए आवश्यक था। यह प्रस्ताव संविधान के अनुच्छेद 67-बी के तहत प्रस्तुत किया गया है, और इसमें लगभग 60 सांसदों ने हस्ताक्षर किए हैं।
इस मुद्दे पर कांग्रेस सदस्य रणदीप सिंह सुरजेवाला ने सत्तारूढ़ पार्टी पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि वह संसद की कार्यवाही को बाधित कर रही है ताकि भ्रष्टाचार, महंगाई और बेरोजगारी जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा से बचा जा सके। उन्होंने कहा, “यह संसद इतिहास का एक काला अध्याय है। सरकार चर्चा से बचने और संसद का समय बर्बाद करने में लगी हुई है।”
सुरजेवाला ने यह भी दावा किया कि यह भारत के 75 साल के इतिहास में पहली बार है जब सरकार खुद संसद की कार्यवाही को बाधित कर रही है।
कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने राज्यसभा में असमान व्यवहार की शिकायत भी की है। उनका कहना है कि जहां सत्तारूढ़ पार्टी को व्यवधानों के बीच भी अपने विचार व्यक्त करने की अनुमति मिलती है, वहीं विपक्ष को वही अवसर नहीं दिया जाता।
कांग्रेस के सांसद प्रमोद तिवारी ने कहा कि विपक्ष हमेशा चर्चा और बहस के लिए तैयार रहा है, लेकिन भाजपा पर आरोप लगाया कि वह जानबूझकर सदन की कार्यवाही स्थगित कर रही है ताकि बेरोजगारी और उत्तर प्रदेश के संभल में हालिया हिंसा जैसे गंभीर मुद्दों पर चर्चा से बचा जा सके।
विपक्ष का अविश्वास प्रस्ताव संसद में बढ़ते तनाव को दर्शाता है, जहां दोनों पक्ष एक-दूसरे पर लोकतांत्रिक कार्यप्रणाली में बाधा डालने का आरोप लगा रहे हैं।