सरस आजीविका मेले में लोगों ने शॉपिंग के साथ साथ रंगारंगा कार्यक्रम का लिया आनंद
चिरौरी न्यूज़
गुरुग्राम: गुरुग्राम के सेक्टर 29 के लेज़र वैली पार्क में चल रहे सरस मेले में लोग ना सिर्फ देश भर से आईं ग्रामीण महिलाओं का सामान खदीकर उनके हुनर की दाद दे रहे हैं बल्कि प्रतिदिन आयोजित हो रहे रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी आनंद ले रहे हैं।
सरस मेले में बुद्धवार शाम आयोजित रंगारंग कार्यक्रमों में राजस्थानी लोकगीतों और नृत्य की शानदार प्रस्तुति ने पंडाल में उपस्थित सभी दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
कार्यक्रम की शुरुआत मशहूर गायक अनिल भाट्ट ने स्वागत राजस्थानी गीत “चौक पुराओ माटी रंगाओ, आज मेरे पिया घर आये, खबर सुनाऊ जो ख़ुशी रे बताऊ जो, आज मेरे पिया घर …” के साथ समां बाध दिया। इसके साथ अनिल भाट्ट ने राजस्थानी लोकगीत ‘बाई सा रा बीरा जयपुर ज्याजो जी, आता तो लायजो और ‘तारां री चुन्दडी’ और ओ म्हारी घूमर छे नखराळी ऐ माँ घुमर रमवा म्हें जास्याँ’ गाकर अपना जादू बिखेर दिया।
इस लोकगीत पर जोरदार कालबेलिया राजस्थानी मटकी नृत्य ने चार चांद लगा दिया। कार्यक्रम में जोश और जुनून से भरे बेहतरीन देशभक्ति गीत ‘धरती सुनहरी अंबर नीला. हर मौसम रंगीला. ऐसा देस है मेरा हो. ऐसा देस है मेरा’ पर कलाकारों ने भव्य प्रस्तुति पेश कर लोगों को तालियां बजाने पर मजबूर कर दिया। इसके बाद दर्शकों की आग्रह पर सूफी गाने का आग़ाज़ हुआ जिसे अनिल भाट्ट ने ‘शहंशाह-ए-कव्वाली’ कहे जाने वाले नुसरत फतेह अली ख़ान के मशहूर ट्रैक ‘पिया रे-पिया रे, थारे बिना लागे नहीं मारा जिया रे’, तुम्हें दिल्लगी भूल जानी पड़ेगी, मुहब्बत की राहों में आकर तो देखो के बाद ‘छाप तिलक सब छीनी रे,. मोसे नैना मिलईके’ गाकर लोगों को झूमने पर मजबूर कर दिया।
23 अक्टूबर तक चलने वाले इस सरस मेले में प्रति दिन देश के विभिन्न राज्यों के लोकगीत और नृत्य का प्रस्तुति की जाती है। सरस मेले के माध्यम से ग्रामीण स्वंय सहायता समूहों की महिलाएं न केवल रोज़गार के अवसर पैदा कर रही है बल्कि महिला सशक्तिकरण की दिशा में बेहतरीन मिसाल पेश कर रही है।