प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 21वीं सदी को ‘एशिया की सदी’ बताया, भारत-चीन रिश्तों की महत्ता पर जोर

Prime Minister Narendra Modi called the 21st century 'Asia's century', stressed the importance of India-China relationsचिरौरी न्यूज

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 21वीं सदी को “एशिया की सदी” के रूप में परिभाषित करते हुए इस महाद्वीप की वैश्विक प्रगति में अहम भूमिका पर जोर दिया है। उन्होंने कहा कि भारत और चीन के बीच अच्छे रिश्ते न केवल दोनों देशों के लिए फायदेमंद हैं, बल्कि वैश्विक स्थिरता और समृद्धि के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।

प्रधानमंत्री मोदी ने भारत और चीन के रिश्तों पर बोलते हुए दोनों देशों के बीच गहरे सांस्कृतिक संबंधों का उल्लेख किया और कहा कि जैसे एक परिवार में मतभेद होते हैं, वैसे ही इन देशों के बीच भी मतभेद स्वाभाविक हैं, जो प्रबंधनीय हैं।

अमेरिका स्थित पॉडकास्टर लेक्स फ्रिडमैन से बातचीत के दौरान पीएम मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि दोनों देशों के बीच मतभेदों को बढ़ने से रोकने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं और संवाद ही इन मतभेदों को सुलझाने की कुंजी है।

उन्होंने यह भी कहा कि सीमा की स्थिति अब स्थिर हो गई है, जो शांति बनाए रखने की दिशा में एक सकारात्मक कदम है। पीएम मोदी ने कहा कि देशों के बीच प्रतिस्पर्धा स्वाभाविक है, लेकिन यह संघर्ष में नहीं बदलनी चाहिए। इसके बजाय, सहयोग को बढ़ावा देना चाहिए ताकि शांति और समृद्धि सुनिश्चित की जा सके।

प्रधानमंत्री ने बताया कि भारत और चीन के मजबूत रिश्ते न केवल दोनों देशों के लिए बल्कि वैश्विक स्थिरता के लिए भी महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने कहा कि 21वीं सदी में एशिया का उत्थान एक निर्णायक क्षण है और इसके देशों के बीच सहयोग इस महाद्वीप की पूरी क्षमता को unlock करने के लिए अहम है।

प्रधानमंत्री ने 2020 के घटनाक्रमों को याद करते हुए स्वीकार किया कि सीमा पर हुए घटनाक्रमों ने भारत-चीन रिश्तों में तनाव बढ़ाया था, लेकिन उन्होंने कहा कि हाल ही में रूस के कजान में ब्रिक्स समिट के दौरान चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से उनकी बातचीत के बाद सीमा पर स्थिति सामान्य हुई है। इसके साथ ही, यह प्रयास जारी है कि 2020 से पहले की स्थिति को फिर से बहाल किया जाए।

उन्होंने भारत-चीन के रिश्तों के भविष्य को लेकर आशावाद व्यक्त किया और दोनों देशों के बीच संबंधों को बनाए रखने और मजबूत करने की महत्ता पर जोर दिया। प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी कहा कि पड़ोसी देशों के बीच मतभेद स्वाभाविक हैं, लेकिन संवाद को प्राथमिकता देनी चाहिए।

उन्होंने भारत और चीन की साझा धरोहर पर भी बात की, दोनों देशों की प्राचीन संस्कृतियों और सभ्यताओं का उल्लेख करते हुए कहा कि ऐतिहासिक रूप से दोनों देशों के बीच ज्ञान और समझ का आदान-प्रदान हुआ है, जिसने वैश्विक प्रगति में योगदान दिया है।

प्रधानमंत्री ने यह भी बताया कि इतिहास में एक समय था जब भारत और चीन मिलकर दुनिया की जीडीपी का आधा हिस्सा हुआ करते थे, जो दोनों देशों के वैश्विक अर्थव्यवस्था में योगदान को दर्शाता है।

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