पुरी जगन्नाथ मंदिर का रत्न भंडार 46 साल बाद फिर से खुला
चिरौरी न्यूज
नई दिल्ली: ओडिशा के पुरी में 12वीं सदी के जगन्नाथ मंदिर का रत्न भंडार, रविवार को 46 साल बाद दोपहर को फिर से खोला गया। ओडिशा सरकार द्वारा गठित 11 सदस्यीय समिति के सदस्यों ने रविवार दोपहर जगन्नाथ मंदिर के प्रतिष्ठित खजाने को फिर से खोलने के लिए मंदिर में प्रवेश किया।
खजाने में प्रवेश करने वालों में उड़ीसा उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश बिस्वनाथ रथ, श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (एसजेटीए) के मुख्य प्रशासक अरबिंद पाधी, एएसआई अधीक्षक डीबी गडनायक और पुरी के नाममात्र के राजा ‘गजपति महाराजा’ के प्रतिनिधि शामिल हैं।
रत्न भंडार में प्रवेश करने वाले लोगों में चार मंदिर सेवक – पटजोशी महापात्रा, भंडार मेकप, चढौकरण और देउलिकरन भी शामिल थे।
सुबह ‘अग्न्या’ की रस्म पूरी हुई, जिसमें रत्न भंडार को फिर से खोलने की मंजूरी मांगी जाती है। रत्न भंडार में भाई-बहनों – जगन्नाथ, सुभद्रा और बलभद्र के कीमती आभूषण रखे हुए हैं, जिन्हें भक्तों और भूतपूर्व राजाओं ने सदियों से दान किया है। इसे बाहरी कक्ष (बहरा भंडार) और आंतरिक कक्ष (भितरा भंडार) में विभाजित किया गया है।
जबकि 12वीं सदी के मंदिर के बाहरी कक्ष को वार्षिक रथ यात्रा के दौरान सुना बेशा (स्वर्ण पोशाक) अनुष्ठान जैसे अवसरों पर खोला जाता है, खजाने की आखिरी बार सूची 1978 में बनाई गई थी।
जब समिति के सदस्य खजाने के अंदर गए तो मंदिर में सांप पकड़ने वालों की दो टीमें भी मौजूद थीं। आशंका है कि खजाने के अंदर सांप हैं।पुनः खोलने से पहले समिति ने पूरी प्रक्रिया के लिए तीन मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) भी बनाई।
सरकार ने रत्न भंडार में मौजूद कीमती सामानों की एक डिजिटल सूची तैयार करने का फैसला किया है, जिसमें उनके वजन और निर्माण जैसे विवरण होंगे।