आरबीआई ने नवंबर 2024 में आठ टन सोने की और खरीदारी की
चिरौरी न्यूज
नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने नवंबर 2024 में सोने की अपनी खरीदारी को और बढ़ाते हुए आठ टन सोना और खरीदा। यह जानकारी विश्व स्वर्ण परिषद (WGC) की नवीनतम रिपोर्ट में दी गई है, जिसमें बताया गया कि केंद्रीय बैंकों ने नवंबर महीने में कुल 53 टन सोना खरीदा। रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया कि अमेरिकी चुनाव के बाद सोने की कीमतों में गिरावट ने कुछ केंद्रीय बैंकों को सोने की अधिक खरीदारी करने का प्रोत्साहन दिया।
आरबीआई ने सोने को एक सुरक्षित निवेश के रूप में खरीदा है, जिसका मुख्य उद्देश्य महंगाई से बचाव करना और विदेशी मुद्रा जोखिम को कम करना है, खासकर उन समयों में जब वैश्विक स्तर पर राजनीतिक तनाव और अनिश्चितताएं उत्पन्न होती हैं। नवंबर में आठ टन सोना खरीदने के बाद, आरबीआई ने 2024 के पहले 11 महीनों में कुल 73 टन सोने की खरीदारी की है, जिससे इसकी कुल सोने की आरक्षित राशि 876 टन तक पहुँच गई है। इस खरीदारी के साथ आरबीआई ने साल 2024 में सबसे बड़ी खरीदारी करने वाले देशों में पोलैंड के बाद दूसरा स्थान बना लिया है।
चीन के पीपल्स बैंक (PBoC) ने भी छह महीने बाद सोने की खरीदारी फिर से शुरू की है, नवंबर में पांच टन सोने की खरीदारी के साथ अपने कुल सोने के भंडार को 2,264 टन तक पहुंचा दिया है, जो इसके कुल भंडार का 5 प्रतिशत है।
वहीं, सिंगापुर के मौद्रिक प्राधिकरण ने पांच टन सोना बेचा है, जिससे इस वर्ष अब तक 7 टन सोने की बिक्री हो चुकी है और इसकी कुल सोने की आरक्षित राशि 223 टन रह गई है।
आरबीआई की सोने की खरीदारी 2023 की तुलना में पांच गुना बढ़ चुकी है। अब आरबीआई के कुल सोने के भंडार 890 टन हो चुके हैं, जिनमें से 510 टन सोना भारत में ही रखा गया है। विश्व स्वर्ण परिषद के अनुसार, पोलैंड ने नवंबर में 21 टन और उज्बेकिस्तान ने नौ टन सोना खरीदा।
केंद्रीय बैंकों की इस सोने की भारी खरीदारी ने वैश्विक बाजार में सोने की कीमतों को भी प्रभावित किया है, जिससे सोने की कीमतों में बढ़ोतरी हो रही है।
आरबीआई का अधिकांश सोना विदेशी भंडार में सुरक्षित रखा गया है, जिसमें बैंक ऑफ इंग्लैंड और बैंक फॉर इंटरनेशनल सेटलमेंट्स शामिल हैं। लगभग एक तिहाई सोना नागपुर और मुंबई स्थित आरबीआई के भंडारों में रखा गया है। 2024 में आरबीआई ने यूनाइटेड किंगडम में रखे अपने 100 मीट्रिक टन सोने को भारत स्थानांतरित कर दिया है, क्योंकि अब देश में पर्याप्त भंडारण क्षमता उपलब्ध है। इस कदम से यूके में भंडारण शुल्क में बचत होने की उम्मीद है।