एस जयशंकर ने पश्चिमी देशों पर तंज कसा, ‘लोकतंत्र को पश्चिमी विशेषता मानना गलत’
चिरौरी न्यूज
नई दिल्ली: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शुक्रवार को पश्चिमी देशों पर तंज कसते हुए कहा कि वे लोकतंत्र को पश्चिमी विशेषता के रूप में मानते हैं। म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन के दौरान ‘लाइव टू वोट अन्नदर डे: फोर्टिफाइंग डेमोक्रेटिक रिजीलियंस’ पैनल चर्चा में भाग लेते हुए जयशंकर ने कहा कि उन्हें इस विचार से असहमत हैं कि दुनिया भर में लोकतंत्र संकट में है, और उन्होंने भारत के लोकतंत्र को प्रमुख उदाहरण के रूप में प्रस्तुत किया।
पैनल चर्चा में नॉर्वे के प्रधानमंत्री जोनास गाहर स्टॉरे, अमेरिकी सीनेटर एलिसा स्लॉटकिन और वारसॉ के मेयर राफाल त्र्ज़ासकोव्सकी भी शामिल थे। जयशंकर ने पश्चिमी लोकतंत्र पर अपने विचार रखते हुए कहा, “मुझे लगता है कि मैं एक ऐसे पैनल में एक आशावादी नजर आ रहा हूं जो अपेक्षाकृत निराशावादी था। मैं अपनी उंगली उठाकर बात शुरू करूंगा, यह इंडेक्स फिंगर है। इस नाखून पर जो निशान है, वह उस व्यक्ति का है जिसने अभी वोट दिया है। हाल ही में हमारे राज्य (दिल्ली) में चुनाव हुए थे और पिछले साल हमनें राष्ट्रीय चुनाव भी किए थे। भारत में लगभग दो-तिहाई योग्य मतदाता वोट करते हैं। राष्ट्रीय चुनावों में लगभग 900 मिलियन के चुनावी क्षेत्र से 700 मिलियन ने वोट किया। हम वोटों की गिनती एक ही दिन में करते हैं।”
उन्होंने आगे कहा, “जब से हमने आधुनिक युग में वोटिंग शुरू की है, आज पहले की तुलना में 20 प्रतिशत अधिक लोग वोट करते हैं। तो पहला संदेश यह है कि लोकतंत्र दुनिया भर में संकट में है, मुझे खेद है, मैं इससे असहमत हूं। अभी हम अच्छी तरह से जी रहे हैं, हम अच्छे तरीके से वोट करते हैं और हमें अपने लोकतंत्र की दिशा पर आशावाद है। हमारे लिए लोकतंत्र सच में प्रभावी है।”
जयशंकर ने सीनेटर स्लॉटकिन के उस बयान का भी जवाब दिया जिसमें उन्होंने कहा था कि लोकतंत्र “आपकी टेबल पर खाना नहीं लाता”। उन्होंने कहा, “असल में, हमारे क्षेत्र में यह काम करता है क्योंकि हम एक लोकतांत्रिक समाज हैं, हम 800 मिलियन लोगों को पोषण समर्थन और खाना प्रदान करते हैं और उनके लिए यह महत्वपूर्ण है कि वे कितने स्वस्थ हैं और उनके पेट भरे हैं।”
उन्होंने कहा, “दुनिया के अलग-अलग हिस्से अलग-अलग प्रकार की बातचीत से गुजर रहे हैं। कृपया यह मानकर न चलें कि यह एक सार्वभौमिक घटना है, ऐसा नहीं है। कुछ हिस्सों में यह अच्छा काम कर रहा है, और कुछ हिस्सों में नहीं, और जहां यह काम नहीं कर रहा, वहां लोगों को ईमानदारी से बातचीत करने की आवश्यकता है कि ऐसा क्यों हो रहा है।”
जयशंकर ने यह भी कहा कि “पश्चिमी देशों ने एक समय पर लोकतंत्र को पश्चिमी विशेषता माना था” और “ग्लोबल साउथ में गैर-लोकतांत्रिक ताकतों को बढ़ावा देने में व्यस्त थे।” उन्होंने कहा, “पश्चिम अभी भी ऐसा करता है। मैं कुछ हाल के उदाहरणों को इंगीत कर सकता हूं, जहां आप जो चीजें अपने घर में मूल्य मानते हैं, उन्हें आप विदेश में लागू नहीं करते हैं।”
उन्होंने भारत के लोकतांत्रिक मॉडल की सराहना करते हुए कहा कि भारत ने “सभी चुनौतियों” के बावजूद, कम आय के स्तर पर भी लोकतांत्रिक मॉडल को अपनाए रखा। “जब आप हमारे क्षेत्र को देखते हैं, तो हम एकमात्र ऐसा देश हैं जिसने यह किया। मुझे लगता है कि यह कुछ ऐसा है जिस पर पश्चिम को विचार करना चाहिए क्योंकि अगर आप चाहते हैं कि लोकतंत्र आखिरकार विजयी हो, तो यह महत्वपूर्ण है कि पश्चिम बाहरी दुनिया के सफल मॉडलों को भी अपनाए,” उन्होंने कहा।