सचिन तेंदुलकर और ग्लेन मैक्ग्राथ का हास्यपूर्ण विज्ञापन वायरल, 1999 के विवादास्पद ‘शोल्डर-बिफोर-विकेट’ के फैसले की याद दिलाई
चिरौरी न्यूज
नई दिल्ली: क्रिकेट के दो महान खिलाड़ी, सचिन तेंदुलकर और ग्लेन मैक्ग्राथ, ने डॉ. अग्रवाल आई हॉस्पिटल के लिए एक हल्के-फुल्के विज्ञापन में साथ दिया है, जिसमें उन्होंने क्रिकेट इतिहास के सबसे चर्चित फैसलों में से एक, 1999 के एडिलेड टेस्ट में तेंदुलकर के ‘शोल्डर-बिफोर-विकेट’ फैसले को फिर से ताजा किया।
यह विज्ञापन, जिसमें दोनों दिग्गज मजेदार बातचीत करते नजर आ रहे हैं, तेंदुलकर द्वारा अपने X (पूर्व ट्विटर) हैंडल पर शेयर करने के बाद वायरल हो गया है, जिससे क्रिकेट फैन्स में पुरानी यादें ताजा हो गईं।
विज्ञापन में तेंदुलकर, मैक्ग्राथ को 1999 के एडिलेड टेस्ट में हुए विवादास्पद फैसले को याद दिलाते हैं, जब उन्हें ‘शोल्डर-बिफोर-विकेट’ के तहत आउट करार दिया गया था। तेंदुलकर मजाक करते हुए कहते हैं कि वह फैसला गलत था और हंसी में यह सुझाव देते हैं कि मैक्ग्राथ को शायद अपनी आंखों का चेकअप कराना चाहिए।
इस हल्के-फुल्के आदान-प्रदान ने एक बार फिर उस घटना को लेकर बहस छेड़ दी है, जब फैन्स यह चर्चा कर रहे हैं कि क्या अंपायर डेरिल हार्पर का निर्णय सही था।
यह घटना 1999 के एडिलेड टेस्ट में हुई थी, जब भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच मैच चल रहा था। मैक्ग्राथ ने एक गेंद डाली, जिसे तेंदुलकर ने बाउंसर समझकर झुका दिया, लेकिन गेंद उतनी ऊपर नहीं उठी और तेंदुलकर के बाएं कंधे से टकरा गई, जो स्टंप्स के सामने था। मैक्ग्राथ ने अपील की और अंपायर डेरिल हार्पर ने तेंदुलकर को ‘लेग-बिफोर-विकेट’ (LBW) आउट करार दिया, जबकि गेंद न तो बैट को छुई थी और न ही उनके पैरों को।
यह फैसला उस समय बड़े विवाद का कारण बना था, और कई लोगों का मानना था कि तेंदुलकर को आउट नहीं दिया जाना चाहिए था। हालांकि, डॉ. अग्रवाल के इस विज्ञापन में दोनों क्रिकेटर्स उस विवाद को हास्य के साथ स्वीकार करते हैं, यह दिखाते हुए कि उनके बीच पुराने मैदानों की प्रतिस्पर्धाओं के बावजूद आपसी सम्मान और दोस्ती कायम है।
तेंदुलकर द्वारा इस विज्ञापन को शेयर किए जाने के बाद क्रिकेट फैन्स में 90 के दशक और 2000 के दशक की भारत-ऑस्ट्रेलिया की तीव्र प्रतिद्वंद्विता को लेकर एक बार फिर पुरानी यादें ताजा हो गई हैं।