तीन महीने में ही शिवराज ने दिखाई चुनौतियों से निपटने की क्षमता
कृष्णमोहन झा
देश में लाक डाउन की घोषणा और मध्य प्रदेश में सत्ता परिवर्तन लगभग साथ साथ हुए | लाक डाउन की रिहर्सल के रूप में जिस दिन संपूर्ण देश में जनता कर्फ्यू लागू किया गया उस दिन तक मध्यप्रदेश में सत्ता परिवर्तन सुनिश्चित हो चुका था | प्रदेश में राजनीतिक अस्थिरता के उस माहौल में सत्ता परिवर्तन की आवश्यकता पर भी ढेरों सवाल उठ रहे थे |आज मुझे यह स्वीकार करने में कोई संकोच नहीं है कि एक राजनीतिक विश्लेषक के रूप में उस समय मेरी अपनी राय भी यही थी कि जब कोरोना वायरस के विश्वव्यापी संकट ने देश में संपूर्ण लाकडाउन की अपरिहार्यता के हालात पैदा कर दिए हों तब मध्यप्रदेश में अचानक सत्ता परिवर्तन को क्या टाला नहीं जाना चाहिए था | उस सत्ता परिवर्तन के फलस्वरूप गठित भाजपा सरकार के मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी जब शिवराज सिंह चौहान को सौंप दी गई तो मैंने अपने एक लेख में शिवराज सिंह को मिली उस कठिन जिम्मेदारी को उनके लिए कांटों का ताज निरूपित किया था | दरअसल उस समय सारे देश के साथ ही प्रदेश में भी कोरोना संकट ने हालात ही ऐसे पैदा कर दिए थे कि मुख्यमंत्री की कुर्सी पर आसीन होना कांटों का ताज धारण करने जैसा ही था | शिवराज सिंह चौहान ने अपने सर पर कांटों का यह ताज पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व की इच्छा का सम्मान करते हुए धारण किया तब ये सवाल उठे थे कि शिव राज के लिए इस गुरु गंभीर जिम्मेदारी का निर्वहन क्या अपने आप में किसी अग्नि परीक्षा से कम है परंतु जिन लोगों के मन में ये सवाल उठ रहे थे वे शायद यह भूल गए थे कि मध्यप्रदेश में लगातार तेरह वर्षों तक मुख्यमंत्री पद की बागडोर संभालने का ऐतिहासिक गौरव अर्जित करने का कीर्तिमान केवल और केवल शिवराज सिंह चौहान के नाम दर्ज है | शिव राज सिंह चौहान ने राजभवन में जब एक संक्षिप्त एवं सादगी पूर्ण समारोह में मुख्यमंत्री पद की शपथ ली तो उनकी टीम में वे अकेले थे तब यह सवाल उठना तो स्वाभाविक था कि शिवराज की एकल सरकार कोरोना की कठिन चुनौती का सामना करने में कितनी सफल हो पाएगा |
शिवराज के इस फैसले को उनके अतिआत्म विश्वास के रूप में देखा गया परंतु शिवराज सिंह आलोचनाओं की परवाह न करते हुए संकल्प, सेवा और समर्पण की भावना के साथ कोरोना के विरुद्ध लड़ाई के मैदान में अकेले ही आ डटे | शिव राज की सामर्थ्य और क्षमताओं पर सवाल उठाने वाले उनकेआलोचक तो धीरे धीरे हताश होने लगे परंतु शिवराज के आत्म विश्वास में रंचमात्र भी कमी नहीं आई | अपनी निश्चित रणनीति के अनुसार कोरोना के विरुद्ध लड़ाई के मैदान में उनके कदम निरंतर आगे बढ़ते रहे | धीरे धीरे न केवल हालात बदलने लगे बल्कि शिवराज सिंह के प्रति उनके आलोचकों की धारणाएं भी बदलने लगीं | शिवराज सिंह ने तीन महीने से भीे कम अवधि में यह साबित कर दिया है कि कठिन से कठिन चुनौती का साहस और आत्मविश्वास के साथ सामना करने की इच्छाशक्ति ही उनकी असली पूंजी है | इसी इच्छा शक्ति ने उन्हें हर इम्तहान में सफलता का हकदार बनाया है |
शिवराजसिंंह चौहान ने जब मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी तभी उन्होंने यह तय कर लिया था कि उन्हें अपनी टीम का गठन करना है यही कारण है कि उन्होंने पांच सदस्यीय मिनी मंत्रिमंडल के गठन का विचार भी तीन सप्ताह तक स्थगित रखने का निश्चय किया क्योंकि उनका मानना था कि इन परिस्थितियों में सारा मंथन केवल कोरोना के विरुद्ध सुनियोजित लड़ाई की कारगर रणनीति बनाने के लिए किया जाना चाहिए इसीलिए मुख्यमंत्री ने पहले टास्क फोर्स का गठन किया और उसके बाद अपनी टीम के पांच सदस्यों का चयन किया था | पांच सदस्यीय मिनी मंत्रिमंडल के गठन में भी उन्होंने एक साथ सारे समीकरण साधकर न केवल अपने राजनीतिक चातुर्य से सबको आश्चर्य चकित कर दिया बल्कि यह भी सिद्ध कर दिया कि मंत्रिमंडल के सदस्यों का चयन करने के अपने विशेषाधिकार को चुनौती देने की स्थिति प्रदेश में वे कभी निर्मित नहीं होने देंगे |उस समय कई राजनीतिक विश्लेषकों ने यह राय व्यक्त की थी कि मुख्यमंत्री का अपनी टीम के लिए मात्र पांच सदस्यों के चयन काफैसला कुछ महत्वाकांक्षी विधायकों के अंदर असंतोष को जन्म दे सकता है परंतु वे सारे अनुमान और आशंकाएं गलत साबित हो चुके हैं | आज की तारीख़ में सबसे बड़ा सच यही है कि प्रदेश भाजपा में शिवराज सिंह चौहान का रुतबा और दबदबा पूर्व वत कायम है यही कारण है कि मध्य प्रदेश में सवा साल के बाद जब सत्ता परिवर्तन सुनिश्चित हो गया तो मुख्यमंत्री पद के लिए पार्टी में उन्हें सर्वाधिक उपयुक्त माना गया और लगभग तीन महीने की अल्पावधि में ही उन्होंने पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व के विश्वास की कसौटी पर खुद को खरा साबित कर दिया है और केन्द् का अटूट विश्वास उनकी सबसे बड़ी ताकत है | यह एक सर्वविदित सच्चाई है कि शिव राज सिंह चौहान की गणना भाजपा शासित राज्यों के उन मुख्यमंत्रियों में प्रमुखता से की जाती है |
शिवराज सिंह चौहान ने मुख्यमंत्री पद की बागडोर संभालते ही कोरोना संकट का प्रभावी तरीके से मुकाबला करने हेतु एक ओर जहां कारगर रणनीति पर अपना ध्यान केन्द्रित किया वहीं दूसरी ओर समाज के जिन वर्गों पर कोरोना प्रकोप का सर्वाधिक प्रभाव पड़ने की आशंका थी उन्हें हर संभव मदद पहुंचाना उनकी पहली प्राथमिकता बन गया | प्रदेश में कोरोना संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए मुख्यमंत्री की पहल पर प्रारंभ आई आई टी टी रणनीति कोरोना संक्रमण को फैलने से रोकने में बेहद सफल साबित हुई | आई आई टी टी अर्थात् आइडेन्टिफिकेशन, आइसोलेशन, टेस्टिंग और ट्रीटमेंट रणनीति की राष्ट्रीय स्तर पर भी काफी चर्चा हुई और कई प्रदेशों की सरकारों ने कोरोना के विरुद्ध अपनी लड़ाई में इस रणनीति का इस्तेमाल किया | देश में जिस तरह कभी विकास के शिवराज माडल की चर्चा हुआ करती थी उसी तरह कोरोना के विरुद्ध लड़ाई में भी शिवराज सरकार की इस रणनीति ने राष्ट्रीय स्तर पर अपनी विशिष्ट पहचान बनाई |
मुख्यमंत्री चौहान ने सबसे पहले गरीब तबके के लोगों को भरोसा दिलाया कि कोरोना के प्रकोप को काबू में रखने के लिए देश भर में लागू किए गए लाक डाउन में उन्हें राज्य सरकार न केवल मुफ्त राशन देगी बल्कि उनकी अार्थिक मदद भी करेगी |लाक डाउन में शिवराज सिंह चौहान की संवेदनशील और सहृदय मुख्यमंत्री की छवि उभर कर सामने आई |शिव राज सरकार ने दूसरे राज्यों में रोजी रोटी कमाने गए मध्य प्रदेश के गरीब मजदूरों को उनके निवास स्थान तक पहुंचाने केलिए हजारों रेल चलवाईं.|
यही नहीं दूसरे राज्यों के भी जो प्रवासी मजदूर मध्यप्रदेश होकर अपने राज्य जाना चाहते थे उन्हें भी बसों से उनके राज्य की सीमा तक पहुंचाया | इस दौरान इन बेसहारा गरीब मजदूरों के लिए पर्याप्त भोजन पानी एवं विश्राम सुविधा उपलब्ध कराने में भी राज्य सरकार और स्वयंसेवी संस्थाओं की भूमिका सराहनीय रही|
मुख्यमंत्री चौहान ने लाक डाउन से उपजी अप्रत्याशित बेरोजगारी की समस्या के समाधान हेतु राज्य में जल्द ही एक अनूठा श्रमसिद्धि अभियान प्रारंभ करने की घोषणा की जिसकी देश भर में व्यापक चर्चा हुई | मुख्यमंत्री ने प्रदेश की 22 हजार से अधिक ग्राम पंचायतों के सरपंचों एवं श्रमिक प्रतिनिधियों से वीडियो कांफ़्रेंसिंग के माध्यम से संवाद के दौरान इस अभियान की घोषणा की | इस योजना के अंतर्गत हर ग्राम पंचायत के द्वारा अपने अपने क्षेत्र में घर घर जाकर बेरोजगारों के बारे में जानकारी एकत्र की जाएगी और उनके लिए रोजगार की व्यवस्था की जाएगी | ग्राम पंचायतें यह सुनिश्चित करेंगी कि गांव में रहने वाले हर मजदूर के पास जाब कार्ड हो और हर मजदूर को काम मिले | मुख्य मंत्री ने बाहर से मजदूरों को भी संबल योजना से जोड़ने की घोषणा करते हुए कहा कि मजदूरों ,गरीबों एवं किसानों की सेवा उनके लिए भगवान की सेवा के समान है |
शिवराजसिंह चौहान के हाथों में मुख्य मंत्री पद की बागडोर आने के बाद मात्र तीन महीनों की अल्पावधि में ही किसानों के चेहरों पर मुस्कान लौटने लगी है | मुख्य मंत्री ने इस छोटी सी अवधि में किसानों की मुश्किलें दूर करने के लिए जो प्रभावी कदम उठाए हैं उनसे किसानों को अपने अच्छे दिन लौट आने का अहसास होने लगा है | मध्य प्रदेश ने इस वर्ष देश में सर्वाधिक गेहूँ उपार्जन करने वाला राज्य होने का जो गौरव अर्जित किया है उसका श्रेय निसंदेह मुख्य मंत्री शिव राज सिंह चौहान को ही जाता है जिनके नेतृत्व में मध्य प्रदेशअतीत में लगातार पांच वर्षों तक कृषि कर्मण अवार्ड अर्जित करने का अधिकारी बन चुका है | जब देश में कोरोना संक्रमण को बढने से रोकने के लिए लाकडाउन की घोषणा की गई तब गेहूँ की कटाई प्रारंभिक चरण में ही थी इसलिए किसानों की यह आशंकाएं स्वाभाविक ही थी कि शिव राज सरकार इस वर्ष क्या गेहूँ उपार्जन का लक्ष्य पूर्ण करने में सफल हो पाएगी परंतु मात्र पचास दिनों में ही जब राज्य सरकार नेकिसानों से पिछले वर्ष से 74प्रतिशतअधिक गेहूँ उपार्जित किया तो किसानों के चेहरे खिल उठे |शिव राज सरकार ने किसानों की कोरोना संक्रमण से सुरक्षा हेतु गेहूँ उपार्जन के एक हजार नए केन्द्र बनाए यही कारण था कि इतने बड़े उपार्जन अभियान में राज्य के एक भी किसान के संक्रमित होने की खबर राज्य के किसी भी केन्द्र से नहीं आई | सरकार ने इस वर्ष 1.29लाख करोड़ मीट्रिक टन गेहूँ का उपार्जन कर 16 लाख किसानों को 240000करोड रुपये का भुगतान किया है यह अपने आप में एक रिकार्ड है | विशेष उल्लेखनीय बात यह है कि शिव राज सरकार ने विकेन्द्रीकृत उपार्जन की व्यवस्था के माध्यम से अपने प्रदेश की आवश्यकता के अलावा अन्य प्रदेशों के लिए भी उपार्जन किया|
मध्य प्रदेश के जो छात्र उच्चशिक्षा संस्थानों द्वारा प्रतिवर्ष आयोजित प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी हेतु राजस्थान के कोटा में अध्ययन कर रहे थे वे भी जब लाक डाउन के कारण वापस लौटना चाह रहे थे तब भी मुख्यमंत्री शिव राज सिंह के निर्देश पर मध्यप्रदेश से सैकड़ों बसें कोटा भेज कर राज्य के छात्रों को सुरक्षित वापस लाया गया | जब ये छात्र जब यहां आकर अपने अभिंभावकों से मिले तो मुख्य मंत्री की इस संवेदनशीलता और सहृदयता से उनका अभिभूत होना स्वाभाविक था |मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने राज्य के अस्पतालों में भर्ती कोरोना संक्रमितों को स्वास्थ्य लाभ पहुंचाने के लिए जो चिकित्सक , स्वास्थ्यकर्मी एवं पैरामेडिकल स्टाफ के सदस्य अपनी जान जोखिम में डालकर अपनी सेवाएं प्रदान कर रहे थे उनकी सुरक्षा और सम्मान सुनिश्चित करने के लिएभी प्रशासन को सख्त निर्देश दे रखे थे इसी तरह लाक डाउन का पालन कराने की जिम्मेदारी का निष्ठापूर्वक निर्वहन करने वाली पुलिस के कर्तव्यपालन में बाधक बनने वाले समाज विरोधी तत्वों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई करने में मुख्यमंत्री की तत्परता उल्लेखनीय रही | गौरतलब है कि देश में लाकडाउन लागू किए जाने के कुछ ही दिन बाद इंदोर में चिकित्सकों और पेरामेडिकल स्टाफ के स्टाफ के सदस्यों की एक टीम पर हमला करने वाले लोगों के विरुद्ध मुख्य मंत्री के निर्देश पर त्वरित कार्रवाई की गई थी एवं आरोपियों को गिरफ्तार कर उनके विरुद्ध रासुका में प्रकरण दर्ज किया गया था | इसी तरह की त्वरित कार्रवाई भोपाल के एक इलाके में पुलिस कर्मियों पर हमला करने वाले असामाजिक तत्वों के विरुद्ध भी की गई थी |
कोरोना संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए संपूर्ण देश में लागू लाक डाउन के कारण पूरे समय घर के अंदर रहने की अनिवार्यता ने अनेक लोगों को मानसिक तनाव का शिकार बना दिया था इसके निवारण में अध्यात्म का मार्ग कितना सहायक हो सकता है यह जानने के लिए मुख्य मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शंकराचार्य जयंती के पुनीत अवसर पर देश के प्रमुख संतो से मार्ग दर्शन लिया |कोरोना संकटकाल में प्रदेश की जनता के साहस और आत्मबल को मजबूत करने की दिशा में मुख्य मंत्री की इस अनूठी पहल ने महत्वपूर्ण योगदान किया |
शिव राज सिंह चौहान ने चौथी बार मुख्यमंत्री पद की बागडोर थामने के बाद तीन महीने से भी कम अवधि में यह साबित कर दिया है कि उनके अंदर समाई संकल्प, सेवा और समर्पण की त्रिवेणी कर्तव्यपालन के मार्ग में उनकी सबसे बड़ी ताकत बनी रहेगी |मैंने हमेशा उनका इसी रूप में आकलन किया है | कई वर्ष पूर्व प्रकाशित मेरे एक राजनीतिक लेख संग्रह का शीर्षक भी यही था -‘संकल्प, सेवा, समर्पण की त्रिवेणी:शिवराज ‘| आज भी मैं यह मानता हूं कि मेरी उस पुस्तक का इससे बेहतर कोई दूसरा शीर्षक नहीं हो सकता था
(लेखक वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक हैं।)